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तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की ओर बढ़ा पहला कदम, कानून वापसी का प्रस्ताव मोदी कैबिनेट से मंजूर

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के बिल को मंजूरी दे दी गई है. इसके बाद इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा.

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पीएम मोदी ने 19 नवंबर को कानून वापसी का ऐलान किया था. (फाइल फोटो-PTI)
पीएम मोदी ने 19 नवंबर को कानून वापसी का ऐलान किया था. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक
  • कृषि कानून रद्द करने वाले बिल को दी गई मंजूरी
  • मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश होगा बिल

Farm Laws Repeal Bill: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की ओर सरकार ने पहला कदम बढ़ा दिया है. बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में तीनों कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. सूत्रों ने मीटिंग में कानून रद्द करने वाला बिल कैबिनेट में मंजूर कर लिया गया है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर इस बारे में जानकारी दी.

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कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा. इस बिल को 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Session) में पेश किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि कृषि मंत्रालय ने पीएमओ की सिफारिश पर कानून रद्द करने का बिल तैयार किया है.

क्या हैं वो तीन कृषि कानून?

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020

ये भी पढ़ें-- तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद बड़ा सवाल, क्या यूपी में पलटेगा बीजेपी का चुनावी भाग्य?

कैबिनेट बैठक के बाद आगे क्या?

जिस तरह कानून बनाने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होती है, उसी तरह रद्द करने के लिए भी संसद की मंजूरी जरूरी है. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा. इस बिल पर बहस होगी और वोटिंग होगी. इसके बाद बिल पास होते ही तीनों कृषि कानून रद्द हो जाएंगे. 

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आखिर क्यों वापस लेना पड़ा सरकार को कानून?

जून 2020 में मोदी सरकार इन तीनों कृषि कानूनों का अध्यादेश लेकर आई. उस समय भी इनका विरोध हुआ. उसके बाद सितंबर में ये तीनों कानून हंगामे के बीच पास हो गए. उसके बाद 27 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति ने भी इन्हें मंजूरी दे दी. कानून बनने के बाद किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसके बाद 26 नवंबर को पंजाब, यूपी, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली बॉर्डर पर जम गए और आंदोलन शुरू कर दिया.

सरकार और किसान संगठनों के बीच कई बातचीत भी हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. सरकार किसानों के हिसाब से संशोधन को तैयार थी लेकिन किसान कानून वापसी पर अड़े रहे. करीब सालभर से चल रहे आंदोलन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कानूनों को रद्द करने की घोषणा की. 

 

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