
चेन्नई में DMK की अगुवाई में आयोजित बैठक के दौरान जाइंट एक्शन कमेटी ने परिसीमन के मुद्दे पर एक 7 सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया है. कमेटी ने इस बात पर चिंता जताई कि आसन्न परिसीमन की प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी है, और इसमें शामिल होने वाले शेयरहोल्डर्स यानी राज्यों के साथ विचार-विमर्श नहीं किया गया.
1. ट्रांसपेरेंसी की जरूरत: JAC ने यह प्रस्ताव दिया कि लोकतंत्र को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए जाने वाले किसी भी परिसीमन की प्रक्रिया को ट्रांसपेरेंट तरीके से किया जाए. इसमें सभी राज्यों की राजनीतिक पार्टियों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों को शामिल होना चाहिए.
2. संविधान संशोधन पर जोर: JAC ने कहा कि 42वें, 84वें और 87वें संवैधानिक संशोधनों के पीछे की विधायी मंशा उन राज्यों की रक्षा और प्रोत्साहन करने की थी, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है. इसलिए 1971 की जनगणना पर आधारित संसदीय क्षेत्रों की सीमा को 25 और वर्षों के लिए बढ़ाया जाना चाहिए.
3. राज्यों को सजा न दी जाए: जो राज्य जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी रूप से लागू कर चुके हैं और जिनकी जनसंख्या का हिस्सा घट गया है, उन्हें सजा नहीं दिया जाना चाहिए. केंद्र सरकार को इसके लिए जरूरी संवैधानिक संशोधन करने होंगे.
4. संसदीय रणनीति: प्रतिनिधि राज्यों के सांसदों की कोर कमेटी केंद्र सरकार द्वारा किसी भी विपरीत परिसीमन की कोशिश के खिलाफ संसदीय रणनीतियों का को-आर्डिनेट करेगी.
5. संयुक्त प्रतिनिधित्व: कोर कमेटी के सांसद मौजूदा संसदीय सत्र के दौरान भारत के प्रधानमंत्री को इस संदर्भ में संयुक्त प्रतिनिधित्व पेश करेंगे.
6. विधानसभा प्रस्ताव: बैठक में प्रतिनिधित्व कर रहीं विभिन्न राज्यों की राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने राज्यों में इस मुद्दे पर उपयुक्त विधानसभा में प्रस्ताव लाने की कोशिश करेंगी और इसे केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगी.
7. जन जागरूकता अभियान: JAC अपने-अपने राज्यों में नागरिकों के बीच पूववर्ती परिसीमन अभ्यास के इतिहास और संदर्भ पर जानकारी फैलाने के लिए जरूरी कोशिश भी करेगा और प्रस्तावित परिसीमन के परिणामों पर एक समन्वित जनमत संग्रह रणनीति अपनाएगा.