तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कुछ सांसदों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को लेटर लिखकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) को पद से हटाने की मांग की है. पार्टी के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन, सुखेंदु शेखर रॉय, महुआ मोइत्रा ने पीएम मोदी यह लेटर लिखा है. उन्होंने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने तुषार मेहता से मुलाकात की है. हालांकि, मेहता ने मुलाकात के इन आरोपों को खारिज कर दिया.
तृणमूल कांग्रेस के तीनों नेताओं ने लेटर में कहा है कि आखिर कैसे सॉलिसिटर जनरल दो वित्तीय घोटालों (नारद-सारदा) के आरोपी शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात कर सकते हैं? इसी वजह से मेहता को उनके पद से हटाया जाना चाहिए. लेटर में तृणमूल के नेताओं ने कहा, ''अधिकारी नारद-शारदा घोटाले में आरोपी हैं और ऐसी बैठकें उन मामलों के परिणाम को प्रभावित करने के लिए की गई है.''
'एक कप चाय की पेशकश की'
टीएमसी के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए तुषार मेहता ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि शुभेंदु अधिकारी कल (गुरुवार) मेरे आवास सह ऑफिस पर आए थे. वह दोपहर तकरीबन तीन बजे बिना जानकारी दिए आए. चूंकि, मैं पहले से ही अपने कमरे में एक पूर्व-निर्धारित बैठक में था, मेरे कर्मचारियों ने उनसे मेरे दफ्तर के वेटिंग रूम में बैठने का अनुरोध किया और उन्हें एक कप चाय की पेशकश की.
उन्होंने आगे कहा, ''जब मेरी बैठक समाप्त हो गई और उसके बाद मेरे पीपीएस ने मुझे उनके आने के बारे में जानकारी दी, तो मैंने अपने पीपीएस से अधिकारी से मिलने में असमर्थता के बारे में अवगत कराने और उनसे माफी मांगने के लिए कहा, क्योंकि उन्हें इंतजार करना पड़ा था. अधिकारी ने मेरे पीपीएस को धन्यवाद दिया और मुझसे मिलने की जिद किए बिना चले गए. ऐसे में शुभेंदु अधिकारी से मेरी मुलाकात का सवाल ही नहीं उठता है.''
पहले टीएमसी में थे शुभेंदु अधिकारी
बता दें कि पूर्व तृणमूल कांग्रेस के नेता और वर्तमान समय में बीजेपी के विधायक शुभेंदु अधिकारी कभी ममता बनर्जी के काफी करीबी नेता माने जाते थे. लेकिन पिछले साल के अंत में बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. हालांकि, चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन वे खुद ममता बनर्जी के खिलाफ जीत गए थे.