scorecardresearch
 

अरुणाचल सेक्टर में LAC पर भारत की निगरानी तेज, तैनात किए ड्रोन और एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर

बीते साल गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुए खूनी संघर्ष के बाद से भारत खासा सतर्क है.  बवाल के बाद भारत ने बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी के अलावा लगभग 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा पर तैनाती भी बढ़ा दी थी.  

Advertisement
X
Drones deployed Arunachal sector
Drones deployed Arunachal sector
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अरुणाचल सेक्टर में LAC पर भारतीय सेना की निगरानी तेज
  • गलवान की झड़प के बाद एलएसी पर बढ़ा है तनाव

बीते साल गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुए खूनी संघर्ष के बाद से भारत खासा सतर्क है.  बवाल के बाद भारत ने बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी के अलावा लगभग 3,400 किलोमीटर लंबी सीमा पर तैनाती भी बढ़ा दी थी.  वहीं अब सेना ने अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी दिन-रात की निगरानी को और तेज कर दिया है. इसके लिए रिमोट ऑपरेटेड विमानों को भी लगाया गया है. 

Advertisement

इससे परिचित लोगों ने बताया कि इज़राइल निर्मित हेरॉन मध्यम-ऊंचाई वाले लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन का एक बड़ा बेड़ा पहाड़ी इलाकों में एलएसी पर चौबीसों घंटे निगरानी कर रहा है. यहां से वह कमांड और नियंत्रण केंद्रों को जरूरी डेटा और तस्वीरें भेजता है. उन्होंने कहा कि ड्रोन के साथ-साथ, भारतीय सेना की विमानन शाखा इस क्षेत्र में एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) रुद्र के वीपन सिस्टम इंटीग्रेटेड (WSI) वैरिएंट को भी तैनात कर रही है, जिससे इस क्षेत्र में भारत के सामरिक मिशनों को और अधिक मजबूती मिल रही है.

साथ ही उन्होंने बताया कि यहां अपनी विमानन शाखा का विस्तार करते हुए सेना ने इस साल इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र विमानन ब्रिगेड की शुरुआत की है ताकि संवेदनशील क्षेत्रों में तैयारियों को बढ़ाया जा सके. इसके अलावा भारतीय सेना इजरायल से हेरॉन टीपी ड्रोन का एक बेड़ा भी लीज पर ले रही है जो 35,000 फीट की ऊंचाई पर लगभग 45 घंटे तक काम करने में सक्षम है. हेरॉन टीपी ड्रोन एक एक्सटेंडेड रेंज के लिए ऑटोमेटिक टैक्सी-टेकऑफ़ और लैंडिंग (ATOL) और सेटेलाइट कम्युनिकेशन (SATCOM) सिस्टम से लैस है.

Advertisement

इन्होंने बताया कि क्षेत्र में सुरक्षा गतिशीलता के मद्देनजर उनकी रणनीतिक जरूरत को देखते हुए अरुणाचल क्षेत्र में अतिरिक्त सड़कों, पुलों और रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है. इसके अलावा तवांग को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने पर भी काम जारी है.

गौरतलब है कि पिछले साल 5 मई को पैंगोंग झील क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध के बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों के साथ अपनी तैनाती बढ़ा दी थी. इसके बाद 15 जून को गालवान घाटी में घातक झड़पों के बाद तनाव और भी बढ़ गया.

 

Advertisement
Advertisement