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'प्लानिंग से फिजिकल एक्शन' तक, जानें- टूलकिट केस में कब, क्या और कैसे हुआ?

इस कहानी का विषय टूलकिट है और इसमें सबसे अहम किरदार ग्रेटा थनबर्ग, दिशा रवि, निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और एम.ओ धालीवाल हैं. दो और नाम शुभम व थिलक भी लिस्ट में हैं. 

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दिल्ली पुलिस की कस्टडी में हैं दिशा रवि (फोटो- राहुल गुप्ता)
दिल्ली पुलिस की कस्टडी में हैं दिशा रवि (फोटो- राहुल गुप्ता)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 3 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग से शेयर हो गया था टूलकिट
  • 4 फरवरी को दिल्ली पुलिस की नजर में आया टूलकिट
  • पुलिस की जांच में सामने आया दिशा रवि का नाम

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन ने उस दिन पूरी दुनिया का ध्यान खींचा जब 26 जनवरी के मौके पर दिल्ली में हिंसा देखी गई. किसानों ने ट्रैक्टर परेड बुलाई थी, जिसमें कुछ तत्वों ने हिंसा की. इस घटना ने देश-दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और आंदोलन को लेकर नजरिया भी बदलता दिखाई दिया. आंदोलन की आड़ में उपद्रव जैसे शब्द सामने आए, हिंसा करने वालों की धरपकड़ भी शुरू हुई. खालिस्तानी और आतंकी की गूंज भी सुनाई दी. इसी कड़ी में अंतरराष्ट्रीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग का एक ट्वीट आया जिसने कहानी को नया मोड़ दे दिया. 

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इस कहानी का विषय टूलकिट है और इसमें सबसे अहम किरदार ग्रेटा थनबर्ग, दिशा रवि, निकिता जैकब, शांतनु मुलुक और एम.ओ धालीवाल हैं. दो और नाम शुभम व थिलक भी लिस्ट में हैं. 

18 साल की ग्रेटा थनबर्ग स्वीडन की रहने वाली हैं और क्लाइमेट को लेकर काम करती हैं. ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट ने इस पूरे केस को ही बदल दिया.

3 फरवरी: ग्रेटा थनबर्ग ने एक ट्वीट किया और इस ट्वीट के साथ उन्होंने एक टूलकिट भी शेयर कर दिया. ट्वीट में ग्रेटा ने लिखा कि ये एक टूलकिट है अगर आप मदद करना चाहते हैं. ग्रेटा ने ये ट्वीट किसानों के समर्थन में किया था. टूलकिट यानी एक गूगल डॉक्यूमेंट यानी एक ऑनलाइन लिखित दस्तावेज जिसमें ये बताया गया कि किसान आंदोलन को लेकर क्या करना है, कैसे करना है. बताया जा रहा है कि ये टूलकिट ग्रेटा ने गलती से ट्वीट कर दिया था. हालांकि, ये टूलकिट बाद में डिलीट कर दिया गया, लेकिन ग्रेटी की ये गलती बड़ा विवाद बन गई और टूलकिट दिल्ली पुलिस की नजर में आ गया.

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4 फरवरी: ग्रेटा थनबर्ग ने एक और ट्वीट किया और अपडेटेड बताते हुए टूलकिट को शेयर किया. इस ट्वीट में भी ग्रेटा ने किसानों के समर्थन की बात कही.

ग्रेटा क्लाइमेट एक्टिविस्ट हैं, लिहाजा पूरी दुनिया में बहुत लोग उनसे जुड़ें हैं जो पर्यावरण प्रेमी हैं और इसके लिए काम करना चाहते हैं. स्वीडन में जब ग्रेटा ने स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लामेट कैंपेन चलाया तो इसे पूरी दुनिया में पहचान मिली. इसी क्रम में #FridaysForFuture की शुरुआत की गई और दुनिया भर से युवा लोगों को इससे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया. बेंगलुरु की दिशा रवि भी फ्राइडे फॉर फ्यूचर से जुड़ी हैं. जिस टूलकिट को लेकर विवाद है, वो बनाने का आरोप दिशा रवि पर ही है.

दिल्ली पुलिस ने बताया है कि सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के दौरान 4 फरवरी को एक गूगल डॉक्यूमेंट टूलकिट के बारे में पता चला जो ट्विटर पर शेयर किया गया था. पुलिस के मुताबिक, इस टूलकिट में 26 जनवरी, एक्शन और डिजिटल स्ट्राइक जैसी बातें लिखी थीं. इसी दिन दिल्ली पुलिस ने टूलकिट को लेकर एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की.

13 फरवरी: दिल्ली पुलिस की जांच में दिशा रवि का नाम सामने आया. 22 साल की ग्रेजुटए दिशा बेंगलुरु की रहने वाली है. लिहाजा, दिल्ली पुलिस वहीं पहुंची और दिशा को गिरफ्तार कर लिया.

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14 फरवरी: दिशा को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस ने बताया कि दिशा ने टूलकिट को एडिट किया है, इसमें हजारों लोग शामिल हैं और ये खलिस्तानी ग्रुप को दोबारा खड़ा करने और भारत सरकार के खिलाफ एक बड़ी साजिश है. पुलिस ने बताया कि 3 फरवरी को टूलकिट एडिट किया गया था. इस पर दिशा ने कहा कि मैंने टूलकिट में दो लाइन एडिट की थी और ये मैंने किसानों के समर्थन में किया था क्योंकि वो अन्नदाता है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने दिशा को 5 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया. 

16 फरवरी: दिल्ली पुलिस ने ये भी बताया कि टूलकिट दिशा ने ही टेलीग्राम पर ग्रेटा थनबर्ग को भेजी थी, जो गलती से ग्रेटा से ट्वीट हो गई और पब्लिक डोमेन में आ गई. दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा और दिशा की वो वॉट्सऐप चैट भी शेयर की है जिसमें टूलकिट ट्वीट होने की बात कही गई है. ये चैट 3 फरवरी यानी उसी दिन की है जब ग्रेटा से टूलकिट शेयर हो गया था. चैट में दिशा में डरी हुई नजर आ रही हैं और गलती होने की बात कर रही हैं. 

हालांकि, ये कहानी थोड़ा और पीछे भी जाती है, जब टूलकिट को लेकर पूरी कथित प्लानिंग की गई. 

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11 जनवरी: दिल्ली पुलिस के मुताबिक, 11 जनवरी को खालिस्तानी समर्थित पोएटिस जस्टिस फाउंडेशन (PJF) ने एक जूम मीटिंग की. इस मीटिंग में निकिता जैकब, शांतनु, एम.ओ धालीवाल व अन्य लोग शामिल हुए. इस मीटिंग में निर्णय लिया गया कि #askIndiawhy कैंपेन को विश्व स्तर पर फैलाया जाए. पुलिस ने बताया कि धालीवाल (PJF सदस्य) का मकसद इस मुद्दे को बड़ा बनाना और किसानों के बीच असंतोष व गलत जानकारी फैलाना था. इस जूम मीटिंग के बारे में निकिता जैकब ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया है कि देर रात 2.30 बजे ये मीटिंग बुलाई गई थी जिसका एकमात्र मकसद सिर्फ किसानों को समर्थन करना था. 

गौरतलब है कि किसान मोर्चा ने 3 जनवरी को सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड की जाएगी. हालांकि, टूलकिट के किरदार इससे पहले से ही आपस में जुड़े हुए थे. 

6 दिसंबर: दिल्ली पुलिस ने बताया है कि विवादित टूलकिट निकिता जैकब और उसके साथी शांतनु व दिशा ने तैयार किया था. इस टूलकिट को शांतनु के ईमेल अकाउंट से बनाया गया था. ये लोग एक वॉट्सग्रुप पर जुड़े थे, जो 6 दिसंबर को बनाया गया था.

यानी अगर दिल्ली पुलिस की मानें तो टूलकिट सामने आने से पहले ही इसकी पूरी प्लानिंग कर ली गई थी. इस टूलकिट बनाने में शामिल लोग पहले से ही आपस में जुड़े हुए थे. पुलिस का कहना है कि टूलकिट में 26 जनवरी को फिजिकल एक्शन जैसी जो बातें लिखी गई थीं, वो एकदम वैसी थीं जैसा गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुआ. 

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अब एक तरफ सामाजिक संगठन और विपक्षी नेता दिशा रवि की रिहाई की मांग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस टूलकिट के आधार पर एक बड़ी साजिश का दावा करते हुए इस षड्यंत्र के अन्य किरदारों को पकड़ने की कोशिश में लगी है. खालिस्तानी समर्थित फाउंडेशन चलाने वाला एम.ओ धालीवाल भी इस कड़ी का अहम हिस्सा है. धालीवाल कनाडा में है और उसने कनाडाई मूल की पुनिता नाम की महिला से इसमें मदद ली है. बताया जा रहा है कि पुनिता ने ही निकिता, दिशा और शांतनु से टूलकिट बनवाया था.


 

  • क्या टूलकिट की साजिश पर पुलिस की कार्रवाई सही है?

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