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जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर, 20 ने सम्मेद शिखर से पाया मोक्ष, जानिए बाकी 4 के बारे में

दुनिया के सबसे प्राचीन जैन धर्म का संस्थापक ऋषभदेव को माना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे. वे भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे. वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ का उल्लेख मिलता है. ऋषभदेव (आदिनाथ) ने अष्टपद पर्वत (कैलाश पर्वत) से मोक्ष की प्राप्ति की थी. इसी तरह, तीन अन्य तीर्थंकरों ने अलग-अलग जगहों से मोक्ष प्राप्त किया.

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जैन धर्म के आखिरी तीर्थंकर भगवान महावीर ने बिहार के नालंदा जिले में स्थित पावापुरी में मोक्ष की प्राप्ति की थी.
जैन धर्म के आखिरी तीर्थंकर भगवान महावीर ने बिहार के नालंदा जिले में स्थित पावापुरी में मोक्ष की प्राप्ति की थी.

देशभर में सम्मेद शिखर के मसले पर नाराजगी देखने को मिल रही है. जैन समाज के लोग अपने सर्वोपरि तीर्थ क्षेत्र को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. देश में जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं और कई जगह आमरण अनशन की भी खबरें हैं. जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हैं, इनमें से 20 तीर्थंकरों से सम्मेद शिखर से मोक्ष प्राप्त किया है. जानिए, 4 तीर्थंकरों ने कहां से प्राप्त किया मोक्ष...

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बता दें कि 2019 में एक अधिसूचना जारी की गई थी. इस अधिसूचना में सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की गई थी. इसी फैसले के बाद से जैन समाज के लोग नाराज थे. झारखंड के गिरिडीह में स्थित मधुवन की पहाड़ियों में बसे इस क्षेत्र से जैन धर्म के 24 में 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की है. इसलिए जैन समाज के लिए ये स्थान इतना पूज्यनीय है. 
सम्मेद शिखर से सिर्फ जैन तीर्थंकर ही नहीं, बल्कि लाखों मुनियों ने मोक्ष प्राप्त किया है. पर्वतराज शिखर जी पर 20 तीर्थंकरों के मोक्ष स्थान बने हैं, जिन्हें टोंक के नाम से जाना जाता है. इन 20 टोकों में से सबसे ऊंची भगवान चंदाप्रभु की टोंक है. देखा जाए तो भगवान चंदाप्रभु और भगवान पार्श्वनाथ की टोंक बिल्कुल उल्टी दिशा में है. 

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बाकी 4 तीर्थंकर ने कहां से पाया मोक्ष?

- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी (आदिनाथ) की बात करें तो उनको अष्टापद से मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. इस मंदिर का निर्माण कैलाश पर्वत के रूप में किया गया था जो अब तिब्बत में आता है और भारत के आखिरी गांव माना से महज 3 किलोमीटर ही दूर है. भगवान आदिनाथ को ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है.

- जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य ने चंपापुर तीर्थ से मोक्ष पाया है. चंपापुर तीर्थ भागलपुर के पास स्थित है. चंपापुर में भगवान वासुपूज्य का जन्म और मोक्ष दोनों हुआ था. 

- जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान अरिष्टनेमि (नेमिनाथ) को मोक्ष की प्राप्ति गुजरात की प्राचीन गिरनार की पहाड़ियों में हुआ था. बता दें कि गिरनार क्षेत्र को लेकर भी कुछ साल पहले सम्मेद शिखर जैसा विवाद खड़ा हो गया था. गिरनार की पहाड़ियों पर लगभग 16 जैन मंदिर हैं, जो एक किले के समान लगते हैं. 

जैन धर्म के आखिरी तीर्थंकर यानि वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर का मोक्ष कल्याणक बिहार के पावापुरी में हुआ. बता दें कि भगवान महावीर के मोक्ष कल्याणक के दिन को ही जैन धर्म के लोग दिवाली के रूप में मनाते हैं. पावापुरी के इस मंदिर की खास बात ये है कि ये मंदिर पानी के बीचों बीच बना हुआ है और चारों तरफ से कमल के फूलों से घिरा हुआ है.

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जानिए पूरे 24 तीर्थंकरों के नाम

1. ऋषभदेव जी (आदिनाथ)
2. अजितनाथ जी
3. संभवनाथ
4. अभिनंदन जी
5. सुमतिनाथ जी
6. पद्मप्रभु जी
7. सुपार्श्वनाथ जी
8. चंदाप्रभु जी
9. . सुमतिनाथ जी
10. शीतलनाथ जी
11. श्रेयांसनाथ जी
12. वासुपूज्य जी
13. विमलनाथ जी
14. अनंतनाथ जी
15. धर्मनाथ जी
16. शांतिनाथ जी
17. कुंथुनाथ जी
18. अरहनाथ जी
19. मल्लिनाथ जी
20. मुनिसुव्रत जी
21.  नमिनाथ जी
22. नेमीनाथ जी
23. पार्श्वनाथ जी
24. महावीर स्वामी जी

 

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