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काशी में जलस्तर बढ़ने से परंपरा बदली, दशाश्वमेध घाट पर अब छत पर होने लगी गंगा आरती

जल आयोग के बुलेटिन के मुताबिक, वाराणसी में गंगा का जलस्तर सुबह स्थिर जरूर था, लेकिन शाम होते-होते गंगा का पानी बढ़ने लगा. जिसके चलते अब इसका असर आस्था और परंपराओं पर भी पड़ना शुरू हो गया है. वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध नित्य संध्या गंगा आरती बाढ़ के चलते आज से छत पर शुरू की गई है.

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गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर के चलते ये निर्णय लिया गया है.
गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर के चलते ये निर्णय लिया गया है.

वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा है, जिसके चलते परंपराएं भी प्रभावित होने लगी हैं. रविवार से प्रसिद्ध गंगा घाट दशाश्वमेध पर होने वाली नित्य गंगा आरती आज से छत पर शुरू हो गई है. इसके पीछे बताया जा रहा है कि सावन में श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा हो गई है और घाट पर स्थान कम बचा है. चूंकि बनारस के सभी 84 गंगा घाट जलमग्न हो चुके हैं.

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जल आयोग के बुलेटिन के मुताबिक, वाराणसी में गंगा का जलस्तर सुबह स्थिर जरूर था, लेकिन शाम होते-होते गंगा का पानी बढ़ने लगा. जिसके चलते अब इसका असर आस्था और परंपराओं पर भी पड़ना शुरू हो गया है. वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध नित्य संध्या गंगा आरती बाढ़ के चलते आज से छत पर शुरू की गई है.

सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति

आरती हमेशा की तरह 7 अर्चकों की ओर से गंगा सेवा निधि की छत पर संपन्न की गई. लेकिन आरती का स्वरूप संकुचित कर दिया गया और सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति थी, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा की मानें तो गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर के चलते ये निर्णय लिया गया है.

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गंगा के सभी घाट जलमग्न

उन्होंने कहा कि अब गंगा सेवा निधि के कार्यालय की छत पर नित्य गंगा आरती होगी. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई है और गंगा घाट सभी जलमग्न हो चुके हैं. एहतियात के तौर पर छत पर गंगा आरती श्रद्धालुओं की सीमित संख्या के साथ शुरू की गई है. क्योंकि परंपराओं का निर्वहन बहुत जरूरी है.

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