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'नजरिया बदलो, नजारा बदलेगा' मुंबई के इस कैफे में काम करने वाले सभी कर्मचारी किन्नर

कैफे मुंबई के अंधेरी इलाके में शुरू किया गया है. यह बंबई नजरिया के नाम से लोगों के बीच तेजी से फेमस हो रहा है. यहां काम करने वाले ट्रांसजेंडर कर्मचारी कैफे में आने वाले मेहमानों को सम्मान के साथ सर्विस मुहैया कराते हैं.

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कैफे में ऑर्डर सर्व करने वाले बर्तनों पर इस तरह से स्टीकर चिपकाए गए हैं.
कैफे में ऑर्डर सर्व करने वाले बर्तनों पर इस तरह से स्टीकर चिपकाए गए हैं.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुंबई के अंधेरी इलाके में शुरू हुआ कैफे
  • ऑर्डर लेने से लेकर सर्व करने तक सभी काम करते हैं किन्नर

ट्रेन, बस और कई सार्वजनिक स्थानों पर अक्सर किन्नर लोगों से पैसे मांगते नजर आते हैं. कुछ लोग उन्हें पैसे दे देते हैं तो कुछ दुत्कार कर भगा देते हैं. इस तरह की जिल्लत से बचने के लिए महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक अनोखा कैफे शुरू किया है, जिसमें काम करने वाले सभी कर्मचारी किन्नर हैं.

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कैफे में शानदार खाना परोसने के साथ-साथ किन्नरों ने समाज की सोच बदलने की पहल भी शुरू की है. कैफे शुरू करने वाले ने एक नारा बनाया है. नारा है... नजरिया बदलो, नजारा बदलेगा. इस नारे के स्टीकर खाना सर्व किए जाने वाले बर्तनों समेत कैफे में कई जगहों पर लगाए गए हैं. 

कैफे मुंबई के अंधेरी इलाके में शुरू किया गया है. यह बंबई नजरिया के नाम से लोगों के बीच तेजी से फेमस हो रहा है. यहां काम करने वाले ट्रांसजेंडर कर्मचारी कैफे में आने वाले मेहमानों को सम्मान के साथ सर्विस मुहैया कराते हैं. कैफे के कर्मचारी चेहरे पर मुस्कान लिए ग्राहकों से उनका ऑर्डर लेते हैं और फिर उन्हें खाना सर्व करते हैं.

नाएडा: 3 किन्नरों ने मिलकर शुरू की जूस की दुकान

इसी तरह का एक मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा में भी सामने आया था. नोएडा के शिल्प हाट (Shilp Haat Noida) में सरस मेले के दौरान एक ट्रांसजेंडर (Transgender) ने जूस कॉर्नर (juice corner) की दुकान खोली थी. इस दुकान को तीन ट्रांसजेंडर्स संचालित कर रहे थे. सभी केरल के रहने वाले थे. उनका मानना था कि वे आत्मनिर्भर होकर अपने लिए लोगों की सोच बदलना चाहते हैं. तीनों का नाम अमृता, मिथुन और अनामिका है. अमृता के मुताबिक 5 साल पहले वह किसी और जूस की दुकान (Juice corners) पर काम करती थीं, जब दुकान मालिक को पता चला कि वे ट्रांसजेंडर हैं तो दुकान मालिक ने उन्हें निकाल दिया. इसके बाद उन्होंने जूस की दुकान खोलने का निश्चय किया.

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