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हैदराबादः 2 साल में ट्रिपल तलाक के 50 मामले, पति जेल में महिलाएं खाने को मोहताज

एक अन्य महिला ने बताया कि इस्लाम में तीन तलाक का उल्लेख नहीं है और यह अवैध है. लेकिन इसे रोकने के लिए बनाए गए कानून से पीड़ितों के लिए चीजें और कठिन हो गई हैं. शहनाज इलियास ने कहा, आरोपी तीन तलाक के बाद जेल चला जाता है. कम से कम उसे खाना और पनाह तो मिल जाती है. लेकिन पीड़िता को इन सबके लिए भी काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं.

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प्रतीकात्मक
प्रतीकात्मक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तीन तलाक केस में तीन साल की सजा का प्रावधान
  • पति के जेल जाने के बाद महिलाएं हो जाती हैं परेशान

तीन तलाक को रोकने के लिए केंद्र सरकार 2019 में कानून लाई थी. इसके तहत हैदराबाद में अब तक 50 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं. तीन तलाक को सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के लिए अहम कदम बताया था. हालांकि, विपक्ष ने इस कानून का विरोध जताया था. संसद में चर्चा के दौरान हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसका विरोध करते हुए इसे मुस्लिम महिलाओं के प्रति असंवैधानिक और अन्याय बताया था. 

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तीन तलाक के 50 से अधिक केस मिले
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के तहत तीन कमिश्नर आते हैं. संसद में बिल के पास होने के बाद से अब तक पुलिस के सामने तीन तलाक के 50 से ज्यादा केस सामने आए हैं. हैदराबाद की महिला कार्यकर्ता खालिदा परवीन ने बताया कि उनके पास घरेलू मामलों से जुड़े हर दिन कम से कम 2 मामले काउंसलिंग के लिए आते हैं. महीने में 50-60 शिकायतें मिलती हैं. यह स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है. लेकिन वे दोनों पक्षों को सहमति से मामला सुलझाने की सलाह देती हैं और तीन तलाक देने से भी रोकती हैं. 

महिलाओं के लिए कठिन होती जा रही स्थिति
वहीं, तीन बच्चों की मां एक पीड़िता जो घरेलू हिंसा, भरण-पोषण, दहेज प्रथा और उत्पीड़न समेत चार केस लड़ रही है, उसका कहना है कि कई केस लंबित हैं. ऐसे में हमें सिर्फ कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. तीन तलाक से पति जेल में हैं. लेकिन इससे हमारे लिए स्थिति और कठिन हो गई है. 

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आरोपी जेल में, महिलाएं खाने तक को मोहताज
एक अन्य महिला ने बताया कि इस्लाम में तीन तलाक का उल्लेख नहीं है और यह अवैध है. लेकिन इसे रोकने के लिए बनाए गए कानून से पीड़ितों के लिए चीजें और कठिन हो गई हैं. शहनाज इलियास ने कहा, आरोपी तीन तलाक के बाद जेल चला जाता है. कम से कम उसे खाना और पनाह तो मिल जाती है. लेकिन पीड़िता को इन सबके लिए भी काफी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं. उन्होंने कहा, महिला केस करने के बाद ससुराल वालों के साथ नहीं रह सकती. उसे अपने और बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है. उन्हें आजीविका के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. 

महिलाओं के लिए काम करने वाले एनजीओ का मानना है कि नए  कानून ने तीन तलाक को एक अपराध बना दिया है. पति को तीन साल की सजा इसकी सबसे बड़ी खामी है. हैदराबाद में एनजीओ के सदस्य आशिफ हुसैन सोहेल का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अगर पति को जेल हो गई तो भरण-पोषण कौन करेगा, पत्नी और बच्चों की देखभाल कौन करेगा. 

 

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