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लद्दाख में बात, सिक्किम में खुराफात...चीनी सैनिकों ने बॉर्डर पर फिर किया विश्वासघात

चीनी विश्वासघात की कहानी नई नहीं है. इसका सिलसिला 1962 से ही शुरू होता है, जब चीन ने पहले तो हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ पंचशील का समझौता किया, लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद भारत पर हमला कर दिया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • विश्वासघात चीन की पुरानी आदत
  • गलवान और डोकलाम में भी यही तरीका अपनाया
  • लद्दाख में बात और सिक्किम में विश्वासघात

लद्दाख में जहां भारत चीन के साथ संवाद के जरिए तनाव कम करना चाहता है वहीं चीन अपने विश्वासघाती रवैये से बाज नहीं आ रहा है. भारत जब लद्दाख में चीन के साथ बातचीत की तैयारी कर रहा था उसी दौरान सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन बॉर्डर की यथास्थिति बदलने को कोशिश कर रहा था.

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सिक्किम के नाकू ला में चीन की सेना भारत की ओर आने का मंसूबा पाल रखी थी, लेकिन अलर्ट भारतीय सेना ने चीनी सेनाओं को पीछे खदेड़ दिया. इस दौरान भारत और चीन की सेना आमने-सामने आ गई. दोनों सेनाओं के बीच झड़प भी हुई है. भारतीय सेना ने तेज कार्रवाई करते हुए चीनी सेना को पीछे धकेल दिया. इस एक्शन में चीन के 20 सैनिक घायल हुए हैं, भारत के भी 4 जवान घायल हुए हैं. 

मौके पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन स्थिर है. भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय क्षेत्र के साथ सभी प्वॉइंट पर मौसम की स्थिति खराब है लेकिन सेना कड़ी चौकसी बरत रही है. 

बता दें कि ये झड़प तीन दिन पहले हुई है. जबकि रविवार को ही भारत और चीन की सेना ने 15 घंटे तक मीटिंग की है और लद्दाख में तनाव दूर करने पर चर्चा किया है. हालांकि चीन के ऐसे कदम उसकी मंशा पर सवाल खड़ा करते हैं.

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नया नहीं है चीन का विश्वासघात, 1962 से ही होती है शुरुआत

बता दें कि चीनी विश्वासघात की कहानी नई नहीं है. इसका सिलसिला 1962 से ही शुरू होता है, जब चीन ने पहले तो हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ पंचशील का समझौता किया, लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद भारत पर हमला कर दिया. 

गलवान में भी चीन ने रची थी साजिश

चीन की विस्तारवादी सरकार का दुनिया के कई देशों से बॉर्डर और भूभाग पर कब्जे का झगड़ा चल रहा है. इसी सिलसिले में चीन ने पिछले साल लद्दाख में गलवान घाटी पर भारत के सैनिकों पर घात लगाकर हमला किया था. 15 जून 2020 को लद्दाख में जब भारत के सैनिकों की एक टुकड़ी भारतीय सैन्य अधिकारी कर्नल संतोष बाबू की अगुआई में उन स्थानों का मुआयना करने गई थी, जहां कुछ दिनों पहले चीन ने धोखे से कब्जा कर लिया था. बाद में भारतीय सैनिकों ने चीनियों को यहां से हटा दिया और वापस लौट गए थे. 

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घटना के दिन कर्नल संतोष बाबू अपने सैनिकों के साथ उस जगह का मुआयना करने गए थे. तभी घात लगाकर बैठे चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर हमला कर दिया था. अचानक हुए इस हमले में 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत के जवानों ने भी चीनियों का डटकर मुकाबला किया और उसके कई सैनिक मार गिराए. हालांकि डरपोक चीन ने अपने हताहत सैनिकों की संख्या कभी नहीं बताई. 

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डोकलाम पर भी की थी कब्जे की कोशिश

बता दें कि भारत और चीन के बीच सीमा 3500 किलोमीटर लंबी है. डोकलाम भारत के सिक्किम, भूटान और चीन के बीच का एक भूभाग है. यहां चीन हमेशा से वर्चस्व कायम करना चाहता है. जून 2017 में चीन इस भूभाग पर सड़क बना रहा था. भारतीय सैनिकों चीन का ये निर्माण रोक दिया और कहा कि इस विवादित जगह पर निर्माण नहीं हो सकता है. इसके बाद दोनों देश की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं. कई महीनों के बाद चीन की सेना को इस जगह को पीछे छोड़कर पीछे हटना पड़ा था.  

 

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