अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) इस समय भारत में हैं. वह रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेने के लिए भारत पहुंची हैं. लेकिन इससे पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने भारत और अमेरिका के संबंधों से लेकर टैरिफ पर खुलकर चर्चा की.
तुलसी गबार्ड ने कहा कि मैंने पिछले कुछ दिनों में भारत सरकार के अधिकारियों की ओर से जो सुना है, उससे पता चला है कि भारत में अवसर है. हमारे आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की अधिक संभावना है और मुझे यह देखकर खुशी हुई कि जहां तक टैरिफ का सवाल है, वे इसे नकारात्मक तरीके से देखने के बजाय अधिक सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी भारत की अर्थव्यवस्था और भारत के लोगों के लिए उपलब्ध अवसरों के सर्वोत्तम हित देख रहे हैं. ठीक इसी तरह राष्ट्रपति ट्रंप भी अमेरिका, हमारे आर्थिक हितों और देश के लोगों के हितों को आगे रख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बेहतर समाधान की ओर बढ़ रहे हैं. दोनों देशों के नेताओं के पास कॉमन सेंस हैं और वे बेहतर समाधान खोज रहे हैं. दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत शीर्ष स्तर पर चल रही है. मैं निजी तौर पर भारत आकर उत्साहित हूं.
क्या है रायसीना डायलॉग?
रायसीना डायलॉग का शुरुआत 2016 में हुई थी. इसे शांगरी-ला डायलॉग की तर्ज पर शुरू किया गया था. शांगरी-ला रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन है जबकि रायसीना में विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होती है.
इसका आयोजन विदेश मंत्रालय और थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) मिलकर करते हैं. विदेश मंत्रालय का ऑफिस रायसीना हिल्स पर होने की वजह से इसे रायसीना डायलॉग कहा जाता है. इसका आयोजन हर साल होता है. 'रायसीना डायलॉग' के जरिए भारत दुनियाभर के नेताओं और नीति-निर्माताओं को एक ऐसा प्लेटफऑर्म मिलता है, जहां वो अतंरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा कर सकें.
इस बार रायसीना डायलॉग का थीम- कालचक्र- पीपुल, पीस एंड प्लैनेट है. 'रायसीना डायलॉग' में शामिल होने वाले 20 विदेश मंत्रियों में से 11 यूरोप से हैं. इनमें यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रई सिबिहा का भी नाम है.