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कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद दो लड़कियों की हुई थी मौत, अब 3 साल बाद सीरम इंस्टीट्यूट पर केस करेंगे माता-पिता

जुलाई 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद जिन दो लड़कियों की मौत हो गई थी, उनके माता-पिता ने अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मूड बना लिया है. ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवारों ने कहा कि वो अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ अदालत जाएंगे और केस दर्ज करवाएंगे.

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ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवार अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट केस करेंगे. (Photo: X)
ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवार अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट केस करेंगे. (Photo: X)

कोरोनाकाल में भारत में जिन दो लड़कियों की कथित तौर पर कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद मौत हो गई थी, उनके माता-पिता ने अब कानूनी कार्रवाई का मूड बनाया है. दोनों परिवार का कहना है कि वे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के खिलाफ केस दर्ज करवाने की तैयारी कर रहे हैं. माता-पिता का कहना है कि ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में यह स्वीकार कर लिया है कि उसके डोज से दुर्लभ मामलों में खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोविशील्ड का फॉर्मूला डेवलप किया था और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में बड़े स्तर पर इसका उत्पादन किया था.

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दरअसल, कोरोनाकाल में ऋतिका श्री ऑम्ट्री और करुण्या की मौत हो गई थी. दोनों लड़कियों ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई थी. करुण्या की जुलाई 2021 में मौत हुई थी. वेणुगोपालन गोविंदन का कहना था कि उनकी बेटी करुण्या की कोविड टीका लगवाने के महीनेभर बाद मौत हो गई थी. हालांकि, सरकार द्वारा गठित नेशनल कमेटी ने जांच की और रिपोर्ट में कहा था कि वैक्सीन लेने से मौत होने के आरोपों में दम नहीं है. इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं कि टीका लगने के कारण महिला की मृत्यु हुई थी. इसी तरह, वैक्सीन लगने के दो हफ्ते बाद ऋतिका श्री ऑम्ट्री की भी मौत हो गई थी.

'पहले सीरम इंस्टीट्यूट को नहीं बनाया गया था पक्षकार'

इससे पहले कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों की मौत के लिए टीके को दोषी ठहराया था और कोर्ट का रुख किया था. ये याचिकाएं सरकार और वैक्सीन को मंजूरी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ दायर की गई थीं. उन मामलों में सीरम इंस्टीट्यूट को पक्षकार नहीं बनाया गया था.

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दुर्लभ मामलों में शरीर में जम सकते हैं खून के थक्के

यह पूरा विवाद एस्ट्राजेनेका के ब्रिटिश कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किए जाने के बाद सामने आया है. फार्मा कंपनी ब्रिटेन में कोर्ट केस का सामना कर रही है. कंपनी ने अदालत में जो दस्तावेज जमा किए हैं, उनमें स्वीकार किया है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है. कंपनी ने जोर देकर कहा है कि बेहद दुर्लभ मामलों में ऐसा हो सकता है.

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन को दुनियाभर में 'कोविशील्ड' और 'वैक्सजेवरिया' ब्रांड नाम से बेचा गया था. यूके में जेमी स्कॉट ने कंपनी के खिलाफ मुकदमा शुरू किया था. उन्हें अप्रैल 2021 में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने के बाद ब्रेन इंजरी की शिकायत हुई थी. सुरक्षा को ध्यान में रखकर एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन अब यूके में नहीं दी जाती है. जबकि इंडिपेंडेंट स्टडी ने कोविड-19 से निपटने में इसकी प्रभावशीलता दिखाई है. इसमें दुर्लभ मामलों में रेगुलेटरी स्क्रूटनी और लीगल एक्शन की सलाह दी गई है.

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