ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर अपनी राय लॉ कमीशन को भेज दी है. इसमें AIMPLB ने UCC का विरोध किया है. बता दें कि लॉ कमीशन ने 14 जून को नोटिस जारी करके UCC पर सभी पक्षों के विचार और सुझाव मांगे थे. इसपर ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी राय भेज दी है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि इतने अहम मुद्दे पर नोटिस में कही गई बातें अस्पष्ट और बहुत सामान्य हैं. आगे कहा गया कि इतने बड़े मसले UCC पर सुझावों की शर्तें गायब हैं. ऐसा लगता है कि इतना बड़ा मुद्दा सिर्फ जनमत संग्रह कराने के लिए इसे सार्वजनिक डोमेन में जारी किया गया है. अपने जवाब में मुस्लिम लॉ बोर्ड ने संविधान में मिले अधिकारों का हवाला दिया है.
यूसीसी के मसौदे को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने लखनऊ में बुधवार को बैठक की थी. इसके बाद इसका ड्राफ्ट तैयार किया गया और लॉ कमीशन को सौंपा गया. ये बैठक करीब तीन घंटे चली. AIMPLB ने इसके बाद तय किया कि वह UCC का विरोध करेगा और लोगों से भी इसका विरोध करने की अपील करेगा.
बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि यूसीसी के मसले पर जो चर्चा हुई उसमें आपत्तियों के तमाम बिंदुओं पर बात हुई है. इसे लेकर एक लिंक भी जारी किया गया है और आम लोगों से इसका विरोध करने की बात कही गई है.
फिरंगी महली ने आगे कहा कि ये बात हम पहले भी कर चुके हैं कि यूसीसी के प्रावधान पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत के कानून के तहत नहीं हैं ऐसे में इसका विरोध जायज है. उन्होंने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत पर आधारित है इसलिए कोई भी मुसलमान उसमें किसी भी तरीके के बदलाव को मंजूर नहीं करेगा.
आ चुके हैं 19 लाख से ज्यादा सुझाव
UCC का मसौदा अभी तैयार नहीं हुआ है. इसको लेकर लॉ कमीशन ने सुझाव मांगे हुए हैं. इसपर अब तक 19 लाख से ज्यादा सुझाव आ चुके हैं. कई पार्टियां भी UCC का विरोध कर रही हैं. कांग्रेस ने इसपर आपत्ति जताई है. इसके अलावा आदिवासी समाज को UCC के दायरे से दूर रखने की मांग हुई है. वहीं अकाली दल ने सिखों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड की मांग उठा दी है.
वहीं उत्तराखंड UCC लागू करने वाला सबसे पहला राज्य बनने की कवायद में जुटा है. वहां बनाई गई समिति ने UCC पर अपना ड्राफ्ट तैयार कर लिया है.