राजस्थान के उदयपुर में एक टेलर की मंगलवार को दो लोगों ने गला रेतकर हत्या कर दी. इसके बाद घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और कहा कि वे इस्लाम के अपमान का बदला ले रहे हैं. बताया जा रहा है कि टेलर के 8 साल के बेटे ने नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, जिसके बाद ये पूरा विवाद नृशंस हत्या तक पहुंच गया. इस घटना की मुस्लिम उलेमाओं ने एक सुर में निंदा की है और कहा है कि इस्लाम में इस तरह की हरकत करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है. इतना ही नहीं, उलेमाओं ने हत्या के दोनों आरोपी रियाज और गौस मोहम्मद को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है.
बरेली के मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि उदयपुर की वीभत्स घटना से मन बहुत व्यथित है. कुछ कहने के लिए शब्द ही नहीं हैं. ऐसी कोई भी घटना कानून ही नहीं इस्लाम की नजर में भी गलत है. कानून को अपने हाथ में लेने को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता. धार्मिक नफरत किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है. न तो धर्म और न ही हमारे देश का संविधान हमें कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति देता है. तौकीर रजा ने कहा कि पैंगबर के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के खिलाफ देश और विदेश में जो माहौल बना था, उस पर उदयपुर की घटना ने पानी फेर दिया और इस्लाम को भी बदनाम करके रख दिया है.
ओवैसी ने की निंदा
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'मैं उदयपुर राजस्थान में हुई भीषण हत्या की निंदा करता हूं. ऐसी हत्या को कोई डिफेंड नहीं कर सकता. इस तरह की हिंसा का विरोध करने के लिए हमारी पार्टी का स्टैंड साफ है कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता. हम मांग करते हैं कि राज्य सरकार सख्त से सख्त कार्रवाई करे. कानून के शासन को बनाए रखा जाना चाहिए.
जमीयत ने कहा- ये देश के कानून और धर्म के खिलाफ
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने पैगंबर के कथित अपमान के संदर्भ में उदयपुर में की गई हत्या की निंदा की है. उन्होंने कहा कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता, यह देश के कानून और हमारे धर्म के खिलाफ है. हमारे देश में कानून की व्यवस्था है, किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.
मुफ्ती अबुल इरफान मियां ने कहा कि पैगंबर ने कभी किसी को शारीरिक रूप से नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि हमेशा अमन का पैगाम दिया है. इसलिए किसी को भी किसी भी आपराधिक गतिविधि को करने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी की आलोचना
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुखी ने उदयपुर घटना की सख़्त अल्फाजों में मजम्मत करते हुए कहा कि इस्लाम इस तरह की हरकतों की इजाजत नहीं देता है. ऐसे में जिन लोगों ने भी उदयपुर की घटना को अंजाम दिया है, उन्होंने इस्लाम को बदनाम किया है. इस्लाम में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं. उदयपुर में हुई वीभत्स हिंसा शर्मसार करने वाली है. उन्होंने कहा कि अहिंसा ही इस्लाम और मानवता का वास्तविक मार्ग है. इस घटना को अंजाम दिया उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता, यह देश के कानून और हमारे धर्म के खिलाफ है.
शिया धर्मगुरु बोले- ये घटना इस्लाम विरोधी
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे रुशैद रिजवी ने उदयपुर की घटना को निंदनीय बताते हुए इसे इस्लाम विरोध बताया है. उन्होंने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है, क्योंकि यह घटना एक शैतानी, गैर इंसानी, गैर इस्लामी और गैरकानूनी है. उदयपुर की घटना अकल्पनीय, अमानवीय, असहनीय और जघन्य घटना है. हिंसा का रास्ता किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती. किसी को किसी के शब्दों से अगर को आपत्ति है तो उसके लिए कानून है और न्यायिक प्रक्रिया है उसका सहारा लेना चाहिए. नबी का पूरा जीवन लोगों को माफ करने पर गया है.
फतेहपुरी मस्जिद ने भी की निंदा
वहीं, दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि यह एक गैर-इस्लामी और अवैध कार्य है. इसकी निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. कानून के अनुसार दोनों को सख्त सजा मिलनी चाहिए. इस्लाम ऐसी किसी भी हरकत की इजाजत नहीं देता.
साथ ही लखनऊ ऐशबाग ईदगाह के ईमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि सभ्य समाज में कतई तौर पर इस तरह की हरकत की कोई गुंजाइश नहीं है. मौलाना ने मांग की है कि उदयपुर घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाए.
सख्त कार्रवाई करे पुलिस
इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेसिव एंड रिफॉर्म के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमजे खान ने कहा कि उदयपुर में धर्म के नाम पर दो धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा किए गए अपराध के जघन्य कृत्य को देखना बेहद दर्दनाक और घृणित है. हम धार्मिक कट्टरता के ऐसे कृत्यों की निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि पुलिस को ऐसे चरमपंथियों और कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. सभ्य समाज में ऐसे अपराधियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. पैगंबर साहब का जीवन ही करुणा और क्षमा के उदाहरणों से भरा है. इसके बावजूद धर्म के नाम पर इस तरह के अपराध करने वाले इस्लाम धर्म के सबसे बड़े दुश्मन हैं. ऐसे लोगों को खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति होनी चाहिए.
अजमेर दरगाह ने कहा- तालिबानी कल्चर नहीं आने देंगे
अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान ने इस घटना की निंदा की और कहा कि भारत के मुसलमान देश में कभी भी तालिबानी मानसिकता नहीं आने देंगे. उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म मानवता के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा नहीं देता है. विशेष रूप से इस्लाम धर्म में सभी शिक्षाएं शांति का संदेश देती हैं. उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर सामने आए वीडियो में कुछ गैर-नैतिक दिमाग के लोगों ने एक गरीब आदमी पर क्रूर हमला किया, जिसे इस्लामी दुनिया में दंडनीय पाप के रूप में माना जाता है.
'धर्म के नाम पर लोगों के दिमाग में जो जहर निकलना होगा'
वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर ने कहा कि नूपुर शर्मा ने जो कहा उसकी देशभर में निंदा हुई. खासतौर से हिंदू समाज की तरफ से, मगर नूपुर के बयान के बाद जब उसे पार्टी से निकाल दिया, एफआईआर हो गई तो इसके बाद कानपुर में जुमे की नमाज के बाद जुलूस निकालाना मुस्लिमों का बेवकूफी भरा कदम था. उसके अगले जुमे को फिर पूरे देश में जुलूस, पथराव और प्रदर्शन हुए और और उदयपुर में सारी हदें पार कर दी हैं. शकील अख्तर ने कहा कि मुस्लिम संगठनों, खासतौर पर धार्मिक संगठनों को आगे आना होगा और धर्म के नाम पर लोगों के दिमाग में जो जहर और बदले की भावना भरी जा रही है उसको दूर करने के लिए काम करने की जरूरत है. प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे फौरन आल पार्टी मीटिंग बुलाएं और पूरे देश से शांति एवं धार्मिक सद्भाव की अपील करना चाहिए.