महाराष्ट्र में सियासी भूचाल के बीच पूर्व विधायक शिशिर शिंदे सोमवार को ठाणे में एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना में शामिल हो गए हैं. वह उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवेसना (यूबीटी) से अलग होने के बाद राज ठाकरे के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) में शामिल हो गए थे.
उन्होंने पिछले महीने शिवसेना (यूबीटी) से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने उद्धव ठाकरे को सौंपे अपने इस्तीफे में कहा था कि पार्टी का उपनेता बने हुए उन्हें एक साल हो गया है, लेकिन अब तक कोई भी बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई है. इसके साथ ही उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा था कि बीते छह महीने से उद्धव ठाकरे उनसे मिल ही नहीं रहे थे. उनका कहना है कि शिवसेना में उनके चार साल बर्बाद हो गए. बता दें कि शिशिर शिंदे 2019 में भांडूप वेस्ट निर्वाचन क्षेत्र से विधायक थे.
शिशिर शिंदे ने भारत-पाक मैच से पहले खोद दी थी पिच
साल 1991 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत-पाकिस्तान का मैच होने वाला था. उस समय कुछ अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर यह क्रिकेट मैच रोकने के लिए शिशिर शिंदे ने स्टेडियम की पिच खोद दी थी. शिंदे इसके बाद देशभर में चर्चा का विषय बन गए थे.
वहीं राज ठाकरे ने साल 2005 में शिवसेना छोड़ी थी तो शिशिर शिंदे ने उनका समर्थन करते हुए पार्टी छोड़ दी थी. करीब 13 साल बाद साल 2018 में उन्होंने शिवसेना में वापसी की थी, लेकिन 2022 तक उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं दी गई. जब एकनाथ शिंद ने शिवसेना में बगावत कर दी तब ठाकरे ने शिशिर शिंदे को शिवसेना के उपनेता की जिम्मेदारी सौंपी. हालांकि उनका कहना है कि पार्टी ने इस एक साल में कोई खास जिम्मेदारी नहीं दी, इसलिए वह पार्टी छोड़ रहे हैं.
दो फाड़ हो गई थी शिवसेना
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे और अन्य 39 विधायकों द्वारा महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह करने और शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार को गिराने के बाद पिछले साल जून में शिवसेना अलग हो गई थी. एकनाथ शिंदे बाद में बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने और भारत के चुनाव आयोग ने बाद में उनके गुट को मूल पार्टी का नाम और 'धनुष और तीर' का प्रतीक उन्हें दे दिया, जबकि ठाकरे समूह का नाम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) रखा.