आर्म्स डीलर संजय भंडारी को ब्रिटेन से भारत लाने का रास्ता साफ होता दिख रहा है. ब्रिटेन की कोर्ट के बाद अब ब्रिटिश सरकार ने भी भंडारी के भारत प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी है. यह आदेश ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने दिया है. अब भंडारी के पास 12 जनवरी से सिर्फ 14 दिन का समय है. इतने समय में वह कोर्ट या गृह मंत्री के आदेश के खिलाफ आवेदन कर सकता है. इसके बाद उसे भारत प्रत्यर्पित करने की तैयारी शुरू हो जाएगी.
इससे पहले ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने भंडारी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी. उसे साल 2020 में गिरफ्तार किया गया था. सीबीआई और ईडी दोनों ने ही उस पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत आरोप तय किए थे. बता दें कि भारत सरकार ने पहले ही संजय भंडारी को भगोड़ा घोषित किया हुआ है. जब से वो ब्रिटेन भागा है, उसे भारत लाने की कोशिश जारी है. भारत सरकार ब्रिटेन सरकार से कई बार अपील भी कर चुकी है.
भंडारी पर क्या है आरोप?
असल में भंडारी पर आरोप है कि उसने बड़ी संख्या में काला धन विदेश भेजा था. टैक्स देने से बचा जा सके, इसलिए अपने साथियों की मदद से भंडारी ने काफी पैसा बाहर भेजा. इस वजह से नेशनल एक्सचेंजर को बड़ा नुकसान हुआ. बाद में संजय भंडारी के प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा से भी कनेक्शन सामने आए थे. साल 2016 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भंडारी से वाड्रा की 2012 की फ्रांस ट्रिप को लेकर भी कई सवाल पूछे थे.
रक्षा सौदों में रिश्वत लेने का भी आरोप
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक भंडारी के कई विदेशी कंपनियों में एसेट मौजूद हैं. लेकिन उनको लेकर कोई भी पारदर्शिता नहीं है और आज तक भंडारी ने उसको लेकर आयकर विभाग को कोई जानकारी नहीं दी. इस सब के अलावा संजय भंडारी पर एक और बड़ा आरोप चल रहा है. उस पर रक्षा सौदों में रिश्वत लेने का आरोप है. यूपीए के जामने में हुई कुछ डीलों को लेकर वो विवाद है जिसमें संजय भंडारी का नाम भी सामने आया है.
रेड में मिले थे रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज
साल 2016 में जब आयकर विभाग ने संजय भंडारी के आवास पर रेड मारी थी, वहां से रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज प्राप्त हुए थे. तब इसे आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का संभावित उल्लंघन माना गया था. उसके बाद ही भंडारी के खिलाफ लुक ऑउट नोटिस जारी हुआ था और वो भारत छोड़ विदेश भाग गया था.