प्रतिबंधित विद्रोही समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (ULFA-I) ने शनिवार सुबह तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) के एक कर्मचारी रितुल सैकिया को रिहा कर दिया है. सैकिया को पिछले महीने असम के शिवसागर जिले से अपहरण कर लिया गया था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उल्फा-आई ने शनिवार सुबह नागालैंड-म्यांमार सीमा से लगे मोन जिले के लोंगवा गांव में अपहृत ओएनजीसी कर्मचारी को रिहा कर दिया. सुरक्षा बलों ने सैकिया को अपनी हिरासत में ले लिया है.
दीमापुर स्थित भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि, भारतीय सेना की एक टीम ने सोम के रास्ते में ओएनजीसी कर्मचारी को एस्कॉर्ट किया. इसके बाद अब सुरक्षा बल संयुक्त रूप से सैकिया से पूछताछ करेंगे.
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सीएम ने की थी अपील
इससे पहले 20 मई को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने संगठन से अपहृत ओएनजीसी कर्मचारी को रिहा करने की अपील की थी. असम के मुख्यमंत्री की अपील के तुरंत बाद, उल्फा-आई के परेश बरुआ ने इस पर प्रतिक्रिया दी और एक स्थानीय टीवी चैनल को फोन पर बताया कि, उल्फा-आई ने रितुल सैकिया को रिहा करने का आश्वासन दिया है और इसमें 3-4 दिन लग सकते हैं. जिसके बाद आज उन्हें रिहा कर दिया गया है.
रितुल सैकिया और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) के दो अन्य कर्मचारियों को उल्फा-आई के उग्रवादियों ने 21 अप्रैल की सुबह असम के शिवसागर जिले के लकुवा क्षेत्र में एक रिग साइट से अगवा कर लिया था.
इससे पहले दो कर्मचारियों को किया था रिहा
24 अप्रैल को, भारतीय सेना और असम राइफल्स ने असम-नागालैंड सीमा के साथ नागालैंड में मोन जिले के सामान्य क्षेत्र में शुरू किए गए एक ऑपरेशन के दौरान तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) के दो अपहृत कर्मचारियों अलकेश सैकिया और मोहिनी मोहन गोगोई को सुरक्षित रूप से बचाया था.
दूसरी ओर, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, अगर उल्फा-आई और परेश बरुआ आगे आना चाहते हैं और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होना चाहते हैं तो सरकार स्वागत करेगी. बता दें कि 15 मई को, ULFA-I ने घोषणा की थी कि उन्होंने तत्काल प्रभाव से अगले तीन महीनों के लिए अपने सभी सैन्य अभियानों को स्थगित करने का निर्णय लिया है.