मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के थूथुकुडी शहर में साल 2018 में भीड़ पर पुलिस की ओर से की गई फायरिंग मामले की सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है.कोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि पुलिस उन लोगों पर फायरिंग कैसे कर सकती है जो अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे. अदालत ने सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को पुलिस गोलीबारी की घटना के दौरान ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों और राजस्व विभाग के अधिकारियों की संपत्ति के विवरण के साथ एक रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन महीने का समय दिया है. बता दें कि पुलिस फायरिंग में 14 लोगों की जान गई थी जबकि कई सारे लोग पुलिस की ओर से की गई फायरिंग में घायल हुए थे.
कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एसएस सुंदर और सेंथिल कुमार ने पहले भी इस मामले पर सीबीआई की रिपोर्ट पर नाराजगी जताई थी. कोर्ट ने कहा कि सरकार के सचिव और डीजीपी को रिपोर्ट तैयार करने में DVAC का सहयोग करना चाहिए.
कहा- पच नहीं रही ये बात
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे लोगों पर गोली चलाने की बात पचने वाली नहीं. कोर्ट ने कहा कि ये ऐसा मामला है जिसके बारे में हमने कभी नहीं सुना है.यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भविष्य में ऐसी घटना न हो. कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि परिवारों को मुआवजा देकर मामले को बंद कर देना कितना उचित है.
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कोर्ट ने सरकार को भी घेरा
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहाकि फैक्ट्री 2009 से 2014 तक बिना परमिट के चल रही थी. सरकारी मशीनरी का एक निजी व्यक्ति के नियंत्रण में जाना समाज के लिए बुरा है और यह न्यायालय के लिए चिंता का विषय है. अब भी उन निजी व्यक्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है. यह जानने के बाद भी कि फैक्ट्री बिना अनुमति के चल रही थी, सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? हम सब कहां हैं? इस मामले की सुनवाई अब तीन महीने बाद होगी.
जानें क्या था पूरा मामला
साल 2018 में तटीय शहर थूथुकुडी में जल और वायु प्रदूषण का आरोप लगाते हुए कुछ लोग स्टरलाइट के कॉपर स्मेल्टर प्लांट को बंद करने की मांग कर रहे थे. पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें 100 से अधिक लोग घायल हुए थे और 14 लोगों की मौत हुई थी.आरोप लगा था कि एक बिजनेसमैन के कहने पर पुलिस ने ये कदम उठाया था. तब से ये मामला कोर्ट में चल रहा है.