सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने गैंगस्टर अबू सलेम की याचिका पर जवाब दाखिल किया है. केंद्रीय गृह सचिव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार तत्कालीन उप प्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल सरकार को दिए गए आश्वासन से बाध्य है कि गैंगस्टर अबू सलेम को दी गई अधिकतम सजा 25 साल से अधिक नहीं होगी. शीर्ष अदालत के 12 अप्रैल के आदेश के बाद दायर एक हलफनामे में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने बताया कि 25 साल की अवधि 10 नवंबर, 2030 तक पूरी होगी.
हलफनामे में कहा गया है कि यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि भारत सरकार 17 दिसंबर, 2002 के आश्वासन से बाध्य है. आश्वासन के मुताबिक, 25 साल की अवधि का उचित समय आने पर भारत द्वारा उसका पालन किया जाएगा.
गृह सचिव ने कहा कि आश्वासन का पालन न करने के बारे में सलेम का तर्क समय से पहले और अनुमानों पर आधारित है और वर्तमान कार्यवाही में इसे कभी नहीं उठाया जा सकता है. इसके अलावा अजय भल्ला ने जवाब में कहा है कि भारत सरकार की तरफ से पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन से देश के अदालतें बंधीं नहीं हैं. वह कानून के हिसाब से अपना निर्णय देती हैं. भल्ला ने यह भी कहा है कि सलेम का प्रत्यर्पण 2005 में हुआ था. उसकी रिहाई पर विचार करने का समय 2030 में आएगा. तब सरकार तय करेगी कि क्या करना है.
21 अप्रैल को SC में सुनवाई
यह मामला न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ के समक्ष 21 अप्रैल को सुनवाई के लिए लिस्टेड है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले केंद्र से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर हलफनामे से संतुष्ट नहीं है, जिसमें कहा गया था कि 1993 के मुंबई सीरियल के एक दोषी सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान भारत द्वारा पुर्तगाल को अधिकतम सजा पर आश्वासन दिया गया था.
25 साल से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता कारावास
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी को सलेम द्वारा दायर एक याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था, जो 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. याचिका में कहा गया था कि भारत-पुर्तगाल प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के अनुसार, उसका कारावास 25 साल से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है.
2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया था अबू सलेम
सर्वोच्च न्यायालय ने अबू सलेम की याचिका पर केंद्र को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि टाडा अदालत का 2017 का फैसला, जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई थी, वह प्रत्यर्पण संधि की शर्तों के खिलाफ था. टाडा की विशेष अदालत ने 25 फरवरी, 2015 को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन और उनके ड्राइवर मेहंदी हसन के साथ हत्या के एक अन्य मामले में सलेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि जनवरी 2014 में अदालत ने अभियोजन पक्ष के अनुरोध पर सलेम के खिलाफ कुछ आरोप हटा दिए थे. 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों के एक दोषी सलेम को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था.