Nirmala Sitharaman Full Budget Speech: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (गुरुवार), 01 फरवरी को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश का अंतरिम बजट पेश किया. इस दौरान वित्त मंत्री ने कहा हमारी सरकार सर्वांगीण, सर्वसमावेशी और सर्वव्यापी विकास की दिशा में काम कर रही है. हमारे युवा समाज की आकांक्षाएं ऊंची हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले दस वर्षों में अत्यंत सकारात्मक परिवर्तन दिखाई पड़ी है. भारत के लोग आशा और विश्वास के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं. जनता के आशीर्वाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी और प्रगतिशील नेतृत्व में वर्ष 2014 में जब हमारी सरकार सत्ता में आई, तब देश बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा था.
उन्होंने कहा कि सरकार ने 'सबका साथ, सबका विकास' के अपने मंत्र से इन चुनौतियों पर विजय पाई. लोगों की भलाई के लिए कार्यक्रम तैयार किए गए और उन्हें तत्परता से कार्यान्वित किया गया. रोजगार और उद्यमिता के अधिक अवसर सृजित किए गए. जिससे अर्थव्यवस्था में नई मजबूती आई.
निर्मला सीतारमण ने बजट में युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया. हालांकि, अंतरिम बजट में इनकम टैक्स के स्लैब में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है. स्टार्टअप के लिए टैक्स छूट एक साल के लिए बढ़ा दी गई है. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने कि लिए लखपति दीदी योजना को विस्तारित करने का ऐलान किया गया.
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अंतरिम बजट 2024-2025,
निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री का भाषण
(फरवरी 1, 2024)
माननीय अध्यक्ष महोदय,
मैं वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट प्रस्तुत करती हूं.
प्रस्तावना
भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले दस वर्षों में अत्यंत सकारात्मक परिवर्तन दिखाई पड़ा है. भारत के लोग आशा और विश्वास के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं.
जनता के आशीर्वाद से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी और प्रगतिशील नेतृत्व में वर्ष 2014 में जब हमारी सरकार सत्ता में आई, तब देश बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा था. सरकार ने 'सबका साथ, सबका विकास' के अपने मंत्र से इन चुनौतियों पर विजय पायी. संरचनात्मक परिवर्तन आरंभ किए गए. लोगों की भलाई के लिए कार्यक्रम तैयार किए गए और उन्हें तत्परता से कार्यान्वित किया गया. रोजगार और उद्यमिता के अधिक अवसर सृजित किए गए. अर्थव्यवस्था में नई मजबूती आई. लोगों को बड़े पैमाने पर विकास के लाभ मिलने लगे. देश में आशा की एक नई चेतना जगी. स्वभाविक रूप से लोगों ने बड़े जनादेश के साथ सरकार को आशीर्वाद दिया.
अपने दूसरे कार्यकाल में माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारी सरकार ने सभी लोगों और सभी क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास करके देश को एक संपन्न राष्ट्र बनाने के अपने दायित्वों को पुरजोर तरीके से पूरा किया. हमारी सरकार ने अपने मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' पर काम करके इसे और सशक्त बनाया. हमारे विकास के दर्शन में समावेशिता के सभी तत्व शामिल हैं, जैसे कि समाज के सभी वर्गों को शामिल करके सामाजिक समावेशिता और देश के सभी क्षेत्रों के विकास के माध्यम से भौगोलिक समावेशिता.
‘सबका प्रयास' के ‘समग्र राष्ट्रीय' दृष्टिकोण के साथ देश ने सदी की सबसे बड़ी महामारी की चुनौती का सामना किया. 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया.'पांच प्रण' के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई और 'अमृत काल' की ठोस नींव रखी. इसी के परिणामस्वरूप हमारे युवा देश में उच्चाकांक्षाएं हैं, अपने वर्तमान पर गर्व है और उज्ज्वल भविष्य के लिए आशा एवं आत्मविश्वास है. हम आशा करते हैं कि असाधारण उपलब्धियों के लिए हमारी सरकार को फिर से भारी जनादेश के माध्यम से लोगों का आशीर्वाद मिलेगा.
समावेशी विकास और संवृद्धि
हमने सोच-विचार कर विकास के प्रति मानवोचित और समावेशी दृष्टिकोण अपनाया जो गांव स्तर तक प्रावधान करने के पूर्ववर्ती दृष्टिकोण से काफी अलग है. पिछले दस वर्षों में इन विकास कार्यक्रमों ने रिकार्ड समय में सभी के लिए आवास, 'हर घर जल', सभी के लिए बिजली, सभी के लिए रसोई गैस, सभी के लिए बैंक खाते और वित्तीय सेवाओं के माध्यम से प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के लिए सेवाएं सुलभ कराई हैं.
80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराकर खाद्यान्न की चिंता समाप्त कर दी गई है. 'अन्नदाता' की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को समय-समय पर उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाता रहा है. इन प्रयासों से तथा मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किए गए प्रावधानों से ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक आय में वृद्धि हुई है. उनकी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति होने से संवृद्धि को बल मिला है और रोजगार का सृजन हुआ है.
सामाजिक न्याय.
हमारी सरकार सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण से कार्य कर रही है. इसमें सभी जातियों और सभी स्तरों के लोग शामिल हैं. हम 2047 तक भारत को 'विकसित भारत' बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें लोगों की क्षमता में वृद्धि करनी होगी और उन्हें सशक्त बनाना होगा.
पहले, सामाजिक न्याय मुख्यतया एक राजनैतिक नारा था. हमारी सरकार के लिए सामाजिक न्याय एक प्रभावी और आवश्यक शासन पद्धति है. सभी पात्र लोगों को लाभान्वित करने का सैचुरेशन दृष्टिकोण ही सच्चे और स्पष्ट अर्थों में सामाजिक न्याय की प्राप्ति है. कार्य रूप में यही धर्मनिरपेक्षता है जिससे भ्रष्टाचार कम होता है और भाई-भतीजावाद पर लगाम लगती है. इसमें यह पारदर्शिता और आश्वासन है कि लाभ सभी पात्र लोगों तक पहुंच रहे हैं. संसाधनों का वितरण निष्पक्ष रूप से किया जा रहा है. किसी भी व्यक्ति की सामाजिक हैसियत कुछ भी हो, उसकी अवसरों तक पहुंच हो रही है. हम उन प्रणालीगत असमानताओं का निराकरण कर रहे हैं जिसने हमारे समाज को जकड़ रखा था. हम परिव्यय पर ध्यान केन्द्रित न करके परिणामों पर जोर देते हैं, ताकि सामाजिक और आर्थिक बदलाव हासिल किए जा सकें.
9. जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है हमें चार प्रमुख जातियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. ये जातियां हैं 'गरीब', 'महिलाएं', 'युवा' और 'अन्नदाता'. उनकी आवश्यकताएं, उनकी आकांक्षाएं और उनका कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. देश की प्रगति होती है जब वे प्रगति करते हैं. इन चारों जातियों को अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में सरकारी सहायता की आवश्यकता है और उन्हें सरकारी सहायता मिल भी रही हैं. उनके सशक्तीकरण से और उनके कल्याण से देश आगे बढ़ेगा.
गरीब-कल्याण, देश का कल्याण
हम निर्धन लोगों के सशक्तीकरण में विश्वास रखते हैं. हकदारियां देकर गरीबी से निपटने के पहले के तरीके से मामूली नतीजे मिले थे. जब गरीब विकास प्रक्रिया में सशक्त भागीदार बन जाते हैं, तो उन्हें सहायता देने की सरकार की सामर्थ्य भी कई गुणा बढ़ जाती है. 'सबका साथ' मंत्र से, सरकार ने इन दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से छुटकारा दिलाया है. इस तरीके से समर्थ बनाए गए लोगों की ऊर्जा और उत्साह की सहक्रियाशीलता से अब हमारी सरकार के प्रयासों को भी बल मिल रहा है. इससे वास्तव में वे गरीबी से ऊपर उठ रहे हैं.
सरकार द्वारा पीएम- जनधन खातों के माध्यम से 34 लाख करोड़ रू. का ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण' करने से सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है. यह पूर्व में व्याप्त धन रिसाव को रोककर हासिल किया गया है. इस बचत से 'गरीब कल्याण के लिए और अधिक निधियां प्रदान करने में मदद मिली है.
पीएम-स्वनिधि से 78 लाख स्ट्रीट वेंडरों को ऋण सहायता प्रदान की गई है. इनमें से 2.3 लाख स्ट्रीट वेंडरों ने तीसरी बार ऋण प्राप्त किया है.
पीएम-जनमन योजना विशेष तौर पर उन कमजोर जनजातीय वर्गों तक पहुंची है, जो अब तक विकास के दायरे से बाहर रहे हैं. पीएम- विश्वकर्मा योजना से 18 कारोबारों में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को हर तरह की सहायता मिलती है. दिव्यांगजनों और ट्रांसजेंडरों के सशक्तीकरण की योजनाओं में हमारी सरकार का यह दृढ़ संकल्प झलकता है कि कोई पीछे न रह जाए.
अन्नदाता का कल्याण
किसान हमारे ‘अन्नदाता' हैं. पीएम- किसान सम्मान योजना के अंतर्गत हर वर्ष सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा प्रदान किया गया है. अनेक दूसरे कार्यक्रमों के अलावा इन उपायों से 'अन्नदाता' को देश और पूरी दुनिया के लिए अन्न पैदा करने में सहायता दी जा रही है.
इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट ने 1361 मंडियों को एकीकृत कर दिया है और इसमें 3 लाख करोड़ रुपये मूल्य का कारोबार हो रहा है और 1.8 करोड़ किसानों को सेवाएं मिल रही हैं.
कृषि क्षेत्र समावेशी, संतुलित, उच्चतर संवृद्धि और उत्पादकता की ओर अग्रसर है. इन्हें कृषक- केंद्रित नीतियां लाकर किसानों को उनके आय अर्जन में सहायता देकर, कीमत और बीमा के माध्यम से जोखिम कवरेज देकर, स्टार्ट-अप के माध्यम से प्रौद्योगिकी और नवाचारों को बढ़ावा देकर सुगम किया गया है.
अमृतपीढ़ी, युवाओं का सशक्तीकरण
हमारी समृद्धि युवाओं को पर्याप्त रूप से साधन संपन्न करने और सशक्त बनाने पर निर्भर करती है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से परिवर्तनकारी सुधार लाए जा रहे हैं. उदीयमान भारत के लिए पीएम स्कूल ( पीएम श्री ) में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई हो रही है और बच्चों का समग्र और चहुंमुखी विकास किया जा रहा है.
स्किल इंडिया मिशन के अंतर्गत 1.4 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है, 54 लाख युवाओं का कौशल उन्नयन किया गया है तथा उन्हें दूसरे हुनर में कुशल बनाया गया है और 3000 नई आईटीआई स्थापित की गई हैं. उच्चतर शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में नए संस्थानों के अंतर्गत 7 आईआईटी, 16 आईआईआईटी, 7 आईआईएम, 15 एम्स और 390 विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं.
पीएम मुद्रा योजना के अंतर्गत, हमारे युवाओं की उद्यमिता से जुड़ी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए 22.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के कुल 43 करोड़ ऋण मंजूर किए गए हैं. इसके अलावा, निधियों की निधि, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टार्ट-अप क्रेडिट गारंटी जैसी योजनाओं से भी हमारे युवा वर्ग को सहायता प्रदान की जा रही है. वे भी 'रोजगारदाता' बन रहे हैं.
हमारा देश खेलों में हमारे युवाओं द्वारा हासिल उपलब्धियों से गौरवान्वित हो रहा है. वर्ष 2023 में हमारे खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों और एशियाई पैरा खेलों में अब तक की सबसे अधिक संख्या में पदक जीते हैं जो बढ़े हुए आत्मविश्वास को दर्शाता है. शतरंज विभूति और हमारे नंबर वन रैंक के खिलाड़ी, प्रज्ञानंदा ने 2023 में वर्तमान शतरंज वर्ल्ड चैम्पियन, मैगनस कार्लसन को कड़ी टक्कर दी. आज भारत में 80 से अधिक शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं जबकि वर्ष 2010 में 20 से थोड़े अधिक ग्रैंडमास्टर हुआ करते थे.
नारी शक्ति को प्रोत्साहन
उद्यमिता, सुगम्य जीवन, और महिलाओं के लिए सम्मान के माध्यम से उनके सशक्तिकरण को इन दस वर्षों में गति मिली है.
महिला उद्यमियों को तीस करोड़ मुद्रा योजना ऋण दिए गए हैं. दस वर्षों में उच्चतर शिक्षा में महिलाओं का नामांकन अट्ठाइस प्रतिशत बढ़ गया है. स्टेम पाठ्यक्रमों में तैंतालीस प्रतिशत नामांकन बालिकाओं और महिलाओं का है जो दुनिया में सबसे अधिक है. ये सभी उपाय कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के रूप में प्रतिबिंबित हो रहे हैं. "
‘ट्रिपल तलाक' को गैर-कानूनी बनाने, लोक सभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने और पीएम आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को एकल या संयुक्त मालिकों के रूप में सत्तर प्रतिशत से अधिक घर देने के फलस्वरूप उनका सम्मान बढ़ा है.
शासन, विकास और कार्य निष्पादन (जीडीपी) का अनुकरणीय ट्रैक रिकॉर्ड
सकल घरेलू उत्पाद अर्थात जीडीपी की दृष्टि से उच्च विकास करने के अतिरिक्त सरकार और अधिक व्यापक जीडीपी यानि 'गवर्नेस डेवलपमेंट और परफार्मेंस' पर भी समान रूप से ध्यान केंद्रित किए हुए है.
हमारी सरकार ने 'नागरिक-प्रथम' और 'मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्मेंस' के दृष्टिकोण के साथ पारदर्शी, जवाबदेह, लोक-केंद्रित और तत्पर विश्वास-आधारित प्रशासन दिया है.
चहुंमुखी विकास का प्रभाव सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है. यहां वृहद आर्थिक सुस्थिरता है जो बाह्य क्षेत्र में भी विद्यमान है. निवेश की स्थिति शानदार है. अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है.
लोग बेहतर जीवन जी रहे हैं और बेहतर कमा रहे हैं और भविष्य के लिए और भी अधिक आकांक्षा रखे हुए हैं. लोगों की औसत वास्तविक आमदनी पचास प्रतिशत बढ़ गई है. मुद्रास्फीति सामान्य बनी हुई है. लोग अपनी आकांक्षाओं को साकार करने के लिए सशक्त, साधनों से युक्त और समर्थ हो रहे हैं. कार्यक्रम और बड़ी परियोजनाएं प्रभावी रूप से और यथासमय पूरी हो रही हैं.
आर्थिक प्रबंधन
पिछले दस वर्षों में इस बहुद्देशीय आर्थिक प्रबंधन से लोक-केंद्रित समावेशी विकास को बढ़ावा मिला है. इसकी कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं
भौतिक, डिजिटल या सोशल सभी प्रकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर रिकार्ड समय में बनाए जा रहे हैं.
देश के सभी भाग आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदार बन रहे हैं.
डिजीटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो 21वीं सदी में उत्पादन का एक नया कारक है, अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने में सहायक है.
वस्तु एवं सेवा कर से 'वन नेशन, वन मार्केट, वन टैक्स' संभव हो पाया है. कर सुधारों के परिणामस्वरूप कर आधार गहन और विस्तृत हुआ है.
वित्तीय क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने से बचत, ऋण और निवेशों को अधिक प्रभावशाली बनाने में मदद मिली है.
जीआईएफटी, आईएफएससी और एकीकृत विनियामक प्राधिकरण, आईएफएससीए वैश्विक पूंजी के लिए सशक्त गेटवे तथा अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय सेवाएं तैयार कर रहे हैं.
सक्रिय मुद्रास्फीति प्रबंधन से मुद्रास्फीति को पॉलिसी बैंड के अनुरूप बनाए रखने में मदद मिली है.
वैश्विक संदर्भ
भू-राजनैतिक दृष्टि से, वैश्विक मामले युद्धों और विवादों के कारण और अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं. वैश्वीकरण, उद्योग अपने यहां लगाने (Reshoring), मित्र देशों के यहां लगाने (Friend-shoring), आपूर्ति श्रृंखलाओं के अस्त-व्यस्त होने और बिखरने और महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकियों के लिए प्रतिस्पर्धा होने से पुनर्नियत हो रहा है. कोविड महामारी के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभर कर सामने आ रही है.
भारत ने दुनिया के लिए अत्यन्त मुश्किल समय के दौरान जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की. वैश्विक अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें, निम्न विकास, अत्यधिक लोक ऋण, निम्न व्यापारिक विकास, और जलवायु संबंधी चुनौतियों से जूझ रही थी. महामारी ने दुनिया के लिए खाने-पीने, उर्वरक, ईंधन और वित्तीय साधनों का संकट उत्पन्न कर दिया था, जबकि भारत अपनी राह बनाने में सफल रहा. देश ने आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया और उन वैश्विक समस्याओं के समाधानों के लिए सहमति बनाई.
हाल ही में घोषित भारत मध्यपूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर भारत और अन्य देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी पहल है. माननीय प्रधानमंत्री के शब्दों में, “इंडिया - मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कॉरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ था.'
विकसित भारत की परिकल्पना
'विकसित भारत' की हमारी परिकल्पना उस "समृद्ध भारत की है जो आधुनिक अवसंरचना के साथ, प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए सभी नागरिकों और सभी क्षेत्रों को अपना सामर्थ्य हासिल करने के अवसर दे रहा है."
कार्य-निष्पादन और प्रगति के सशक्त और अनुकरणीय ट्रैक रिकार्ड से उत्पन्न विश्वास से अर्जित 'सबका विश्वास' के साथ अगले पांच वर्ष अभूतपूर्व विकास के और @2047 विकसित भारत के सपनों को साकार करने के स्वर्णिम क्षण होंगे. 'सबका प्रयास' की शक्ति के साथ जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता की त्रयी में प्रत्येक भारतीय की आकांक्षाओं को पूरा करने की संभावना विद्यमान है.
जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा है, "मैं मेरे देश के नौजवानों को कहना चाहता हूं कि अवसरों की कमी नहीं है, आप जितने अवसर चाहेंगे, यह देश आसमान से भी ज्यादा अवसर आपको देने का सामर्थ्य रखता है.”
‘अमृत काल' के लिए रणनीति
सरकार ऐसी आर्थिक नीतियां अपनाएगी जो विकास की रफ्तार को बढ़ाएंगी और इसे बनाए रखेंगी, समावेशी और सम्पोषणीय विकास के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी, उत्पादकता में सुधार लाएंगी, सभी के लिए अवसर उत्पन्न करेंगी, और उन्हें अपनी क्षमताएं बढ़ाने में मदद करेंगी, और निवेश बढ़ाने तथा अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संसाधनों को उत्पन्न करने में योगदान करेंगी.
‘रिफॉर्म (Reform), परफॉर्म (Perform) और ट्रांसफॉर्म (Transform) ' के सिद्धांत के अनुसरण में सरकार अब अगली पीढ़ी के सुधार हाथ में लेगी, और कारगर क्रियान्वयन के लिए राज्यों और हितधारकों के साथ सहमति बनाएगी.
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए समय पर और पर्याप्त वित्तीय साधनों, सुसंगत प्रौद्योगिकियों और उपयुक्त प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करना हमारी सरकार की एक महत्वपूर्ण नीतिगत प्राथमिकता है ताकि उनका विकास हो सके और वे वैश्विक स्तर पर भी प्रतिस्पर्धा कर सकें. विनियामकीय परिवेश को उनके विकास के अनुरूप बनाना इस नीति का एक महत्वपूर्ण घटक होगा.
हमारी सरकार ‘पंचामृत' लक्ष्यों के अनुरूप सतत रूप से उच्च और अधिक संसाधन-कुशल आर्थिक विकास बनाए रखने के लिए काम करेगी. इससे उपलब्धता, सुगमता और वहनीयता के संदर्भ में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम होगा.
हमारी सरकार निवेश जरूरतों को पूरा करने के लिए आकार, क्षमता, कौशल और विनियामकीय संरचना की दृष्टि से वित्तीय क्षेत्र को तैयार करेगी.
आकांक्षी जिला कार्यक्रम
सरकार, प्रचुर आर्थिक अवसर उपलब्ध कराने सहित आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों के त्वरित विकास में राज्यों को सहायता देने के लिए तत्पर है.
पूर्वी क्षेत्र का विकास
हमारी सरकार इस बात पर पूरा ध्यान देगी कि पूर्वी क्षेत्र और वहां रहने वाले लोग भारत के विकास के सशक्त संवाहक बनें.
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
कोविड के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का कार्यान्वयन जारी रहा और हम तीन करोड़ मकानों का लक्ष्य प्राप्त करने के नजदीक हैं. परिवारों की संख्या में वृद्धि होने से उत्पन्न हुई आवश्यकता को पूरा करने के लिए अगले पांच वर्षों में दो करोड़ अतिरिक्त मकानों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.
छत पर सौर प्रणाली लगाना ( रूफटॉप सोलराइजेशन) और मुफ्त बिजली
छत पर सौर प्रणाली लगाने से एक करोड़ परिवार प्रत्येक महीने 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली प्राप्त कर सकेंगे. यह योजना अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक दिन माननीय प्रधान मंत्री के संकल्प के अनुसरण में लायी गई है. इससे अपेक्षित लाभ इस प्रकार हैं:
-निःशुल्क सौर बिजली और अधिशेष बिजली वितरण कंपनियों को बेचने से परिवारों को हर वर्ष पंद्रह हजार से अठारह हजार रुपये की बचत;
-इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग;
-आपूर्ति और इन्स्टालेशन के लिए बड़ी संख्या में वेंडरों को उद्यमशीलता का अवसर;
-विनिर्माण, इन्स्टालेशन और रखरखाव में तकनीकी कौशल रखने वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर;
मध्यम वर्ग के लिए आवास
हमारी सरकार “किराए के मकानों या झुग्गी-झोपड़ी या चाल और अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले" मध्यम वर्ग के पात्र लोगों को अपने स्वयं के मकान खरीदने या बनाने में सहायता करने के लिए योजना शुरू करेगी.
चिकित्सा महाविद्यालय
योग्य डॉक्टर बनना कई युवाओं की महत्वाकांक्षा होती है. उनका उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य देखरेख सेवाओं के माध्यम से हमारे लोगों की सेवा करना है. हमारी सरकार की यह योजना है कि विभिन्न विभागों के तहत मौजूदा अस्पताल अवसंरचना का उपयोग करके और अधिक चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकल कॉलेज) स्थापित किए जाएं. इस उद्देश्य से मामलों की जांच करने और संगत सिफारिशें करने के लिए समिति गठित की जाएगी.
सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण
हमारी सरकार सर्वाइकल कैंसर के निवारण के लिए 9 से 14 वर्ष की आयु की बालिकाओं के टीकाकरण को प्रोत्साहित करेगी.
माताओं एवं बच्चों की स्वास्थ्य देखरेख
मातृ एवं शिशु देखरेख की विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में तालमेल के लिए इन्हें एक व्यापक कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा. बेहतर पोषण उपलब्ध कराकर, प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख और विकास के लिए “सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0” के अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों के उन्नयन में तेजी लाई जाएगी.
टीकाकरण के प्रबंधन के लिए तैयार किया गया नया यू-विन प्लेटफॉर्म और मिशन इंद्रधनुष के गहन प्रयास को पूरे देश में तेजी से आरंभ किया जाएगा.
आयुष्मान भारत
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य देखरेख सुरक्षा में सभी आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भी शामिल किया जाएगा.
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण
कृषि क्षेत्र में मूल्यवर्धन और किसानों की आमदनी बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा. प्रधान मंत्री किसान संपदा योजना से 38 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं और रोजगार के 10 लाख अवसरों का सृजन हुआ है. प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम के औपचारिकीकरण योजना से 2.4 लाख स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) और साठ हजार व्यक्तियों को ऋण सुविधा प्राप्त करने में सहायता मिली है. फसल कटाई के बाद होने वाली हानि को कम करने और उत्पादकता एवं आमदनी बढ़ाने के प्रयासों में अन्य योजनाओं से मदद मिल रही है.
इस क्षेत्र का तीव्र विकास सुनिश्चित करने के लिए हमारी सरकार उपज एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, दक्षतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं, प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण तथा विपणन एवं ब्रांड तैयार करने सहित फसल कटाई के उपरांत चलाए जाने वाले कार्यकलापों में निजी और सार्वजनिक निवेश को और बढ़ावा देगी.
नैनो डीएपी
नैनो यूरिया को सफलतापूर्वक अपनाए जाने के बाद सभी कृषि- जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी का प्रयोग किया जाएगा.
आत्मनिर्भर तिलहन अभियान
वर्ष 2022 में घोषित पहल से आगे बढ़ते हुए सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के संबंध में 'आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए कार्यनीति तैयार की जाएगी. इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक पैमाने पर अपनाने, बाजार संपर्कों, खरीद, मूल्य-वर्धन और फसल बीमा को शामिल किया जाएगा.
डेयरी विकास
डेयरी किसानों की सहायता के लिए व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा. खुरपका रोग को नियंत्रित करने के प्रयास पहले से चल रहे हैं. भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है लेकिन देश में दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादकता कम है. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी प्रसंस्करण एवं पशुपालन के लिए अवसंरचना विकास निधि जैसी मौजूदा योजनाओं की सफलताओं पर आधारित होगा
मत्स्य संपदा
यह हमारी सरकार ही थी जिसने मछुआरों की सहायता करने के महत्व को समझते हुए अलग मत्स्यपालन विभाग की स्थापना की. इसके परिणामस्वरूप इनलैंड और जलकृषि उत्पादन दोगुना हो गया है. वर्ष 2013-14 से सीफूड का निर्यात भी दोगुना हो गया है. प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके उद्देश्य इस प्रकार होंगेः
(1) जलकृषि उत्पादकता को प्रति हैक्टेयर मौजूदा 3 टन से बढ़ाकर 5 टन करना,
(2) निर्यात को दोगुना बढ़ाकर ₹1 लाख करोड़ तक पहुंचाना और
(3) निकट भविष्य में रोजगार के 55 लाख अवसरों का सृजन करना.
पांच एकीकृत एक्वापार्कों की स्थापना की जाएगी.
लखपति दीदी
नौ करोड़ महिलाओं के तिरासी लाख स्व-सहायता समूह सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता से ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में बदलाव ला रहे हैं. इनकी सफलता से अब तक लगभग एक करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं. वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. उन्हें सम्मानित करके उनकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान की जाएगी. इस सफलता से उत्साहित होकर लखपति दीदी का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने का निर्णय लिया गया है.
प्रौद्योगिकी में बदलाव
नए युग की प्रौद्योगिकियां और डाटा लोगों के जीवन और व्यापार में बदलाव ला रहे हैं. इन प्रौद्योगिकियों से नए आर्थिक अवसर भी संभव हो रहे हैं और सामाजिक संरचना के आखिरी पायदान पर मौजूद लोगों सहित सभी लोगों को किफायती दरों पर उच्च गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिल रही हैं. वैश्विक स्तर पर भारत के लिए अवसरों का विस्तार हो रहा है. भारत अपने लोगों की नई पहलों और उद्यमशीलता के माध्यम से समाधान दर्शा रहा है.
आर्थिक उन्नति, रोजगार और विकास को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और नई पहल
प्रधानमंत्री शास्त्री जी ने "जय जवान जय किसान' का नारा दिया था. प्रधानमंत्री वाजपेयी जी ने उसे " जय जवान जय किसान जय विज्ञान' बना दिया. प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस नारे का और विस्तार करते हुए इसे "जय जवान जय किसान जय विज्ञान और जय अनुसंधान' बना दिया है क्योंकि नई पहल ही विकास का आधार है.
प्रौद्योगिकियों को अपनाने वाले हमारे युवाओं के लिए यह एक स्वर्णिम काल होगा. पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के माध्यम से एक लाख करोड़ रुपये का कार्पस स्थापित किया जाएगा. इस कार्पस से दीर्घकालिक वित्तपोषण या पुनर्वित्तपोषण कम या शून्य ब्याज दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे. इस कार्पस से निजी क्षेत्र अधिकांशतः नए उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान और नई पहल को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित होगा. हमें ऐसे कार्यक्रम बनाने होंगे जो युवा शक्ति और प्रौद्योगिकी को जोड़ें.
रक्षा प्रयोजनों के लिए गहन प्रौद्योगिकियों को मजबूत बनाने और 'आत्मनिर्भरता' में तेजी लाने के लिए नई योजना शुरू की जाएगी.
अवसंरचना विकास
पिछले 4 वर्षों में पूंजीगत व्यय के परिव्यय में तीन गुणा बढ़ोत्तरी किए जाने के परिणामस्वरूप आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में हुई कई गुणा वृद्धि को आगे बढ़ाते हुए अगले वर्ष के लिए परिव्यय को 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर ग्यारह लाख, ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह करोड़ रुपये (₹ 11,11,111 करोड़ ) किया जा रहा है. यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा.
रेल
तीन प्रमुख आर्थिक रेल गलियारा कार्यक्रम क्रियान्वित किए जाएंगे जो इस प्रकार हैं:
(1) ऊर्जा, खनिज एवं सीमेंट गलियारा,
(2) पत्तन संपर्कता गलियारा, और
(3) अधिक यातायात वाले गलियारा
बहुविध मॉडलों वाली संपर्कता ( कनेक्टिविटी) को संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री गति शक्ति के अंतर्गत इन परियोजनाओं की पहचान की गई है. इनसे रसद व्यवस्था संबंधी कार्यकुशलता बढ़ेगी और लागत में कमी आएगी.
इसके परिणामस्वरूप, अधिक यातायात वाले गलियारों में भीड़ कम होने से यात्री ट्रेनों के परिचालन में सुधार लाने में भी मदद मिलेगी और यात्री सुरक्षा एवं यात्रा की रफ्तार बढ़ेगी. समर्पित मालभाड़ा गलियारों के साथ-साथ इन तीन आर्थिक गलियारा कार्यक्रमों से हमारी जीडीपी की विकास दर बढ़ेगी तथा रसद व्यवस्था संबंधी लागत में भी कमी आएगी.
यात्रियों की सुविधा, आराम और सुरक्षा बढ़ाने के लिए चालीस हजार सामान्य रेल डिब्बों को "वंदे भारत" मानकों के अनुरूप बदला जाएगा.
विमानन क्षेत्र
पिछले दस वर्षों में विमानन क्षेत्र का कायापलट कर दिया गया है. हवाई अड्डों की संख्या दुगुनी बढ़कर 149 हो गयी है. उड़ान योजना के अंतर्गत टियर-टु और टियर - थ्री शहरों को बड़े पैमाने पर हवाई मार्गों से जोड़ा गया है. पांच सौ सत्रह नये हवाई मार्ग 1.3 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा रहे हैं. देश की विमानन कंपनियां 1000 से अधिक नये वायुयानों के लिए आर्डर देकर पुरजोर तरीके से आगे बढ़ रही हैं. मौजूदा हवाई अड्डों का विस्तार और नये हवाई अड्डों के व्यापक विकास का कार्य आगे भी तेजी से चलता रहेगा.
मेट्रो और नमो भारत
हमारे मध्यम वर्ग का दायरा अत्यन्त तेजी से बढ़ रहा है और तीव्र शहरीकरण हो रहा है. मेट्रो रेल और नमो भारत आवश्यक शहरी रूपांतरण के लिए उत्प्रेरक बन सकते हैं. ट्रांजिट आधारित विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए बड़े शहरों में इन प्रणालियों के विस्तार को सहायता प्रदान की जाएगी.
हरित ऊर्जा
वर्ष 2070 तक ‘नेट-जीरो' के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में किए जाने वाले उपाय इस प्रकार हैं:-
क. एक गीगा-वाट की शुरुआती क्षमता के लिए अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावना को संभव बनाने के लिए व्यवहार्यता अंतरनिधियन की व्यवस्था की जाएगी.
ख. वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन की कोयला गैसीकरण और तरलीकरण क्षमता स्थापित की जाएगी. इससे प्राकृतिक गैस, मेथेनाल, और अमोनिया के आयात को भी कम करने में मदद मिलेगी.
ग. परिवहन के लिए कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) और घरेलू प्रयोजनों के लिए पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) में कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) के चरणबद्ध अधिदेशात्मक मिश्रण को अनिवार्य किया जाएगा.
घ. बायोमास के संग्रहण में सहायता के लिए बायोमास संग्रहण मशीनरी की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.
विद्युत वाहन इकोसिस्टम
हमारी सरकार ई-वाहनों के विनिर्माण और चार्जिंग अवसंरचना को सहायता प्रदान कर ई-वाहन इकोसिस्टम का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करेगी. सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क के लिए अधिक से अधिक संख्या में ई-बस के इस्तेमाल को, पेमेंट सिक्युरिटी मेकेनिज्म के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा.
जैव-विनिर्माण और बायो-फाउंड्री
हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए, जैव-विनिर्माण और बायो-फाउंड्री की एक नई योजना शुरू की जाएगी. यह योजना जैव अपघट्य बहुलक, जैव- प्लास्टिक, जैव-भेषज और जैव- कृषि - इनपुट जैसे पर्यावरण हितैषी विकल्प उपलब्ध कराएगी. यह योजना आज के उपभोगकारी विनिर्माण प्रतिमान को पुनःसर्जनात्मक सिद्धांतों पर आधारित विनिर्माण प्रतिमान में रूपांतरित करने में भी मदद करेगी.
ब्लू इकोनोमी 2.0
ब्लू इकोनोमी 2.0 के लिए जलवायु के अनुकूल कार्यकलापों को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत और बहुविषयक दृष्टिकोण के साथ, पुनःस्थापन एवं अनुकूलन उपायों, और तटीय एक्वाकल्चर और मारिकल्चर की एक योजना शुरू की जाएगी.
पर्यटन केन्द्रों का व्यापक विकास
साठ स्थानों में जी-20 बैठकों के सफल आयोजन ने दुनियाभर के लोगों के समक्ष भारत की विविधता प्रस्तुत की है. हमारी आर्थिक ताकत ने हमारे देश को बिजनेस और कान्फ्रेंस टूरिज्म के लिए एक आकर्षक गंतव्य स्थान बना दिया है. हमारा मध्यम वर्ग भी अब पर्यटन करने और नए-नए स्थानों के बारे में जानने की इच्छा रखता है. पर्यटन में, जिसमें अध्यात्म पर्यटन भी शामिल है, स्थानीय उद्यमिता के लिए अपार अवसर हैं.
राज्यों को प्रतिष्ठित पर्यटक केन्द्रों का सम्पूर्ण विकास शुरू करने, उनकी वैश्विक पैमाने पर ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. पर्यटन केन्द्रों को वहां उपलब्ध सुविधाओं और सेवाओं की गुणवत्ता के आधार पर रेटिंग देने हेतु एक फ्रेमवर्क बनाया जाएगा. ऐसे कार्यकलापों का वित्तपोषण करने के लिए राज्यों को मैचिंग आधार पर ब्याज मुक्त दीर्घावधि ऋण दिया जाएगा.
घरेलू पर्यटन के प्रति लोगों के बढ़ते उत्साह पर खरा उतरने के लिए लक्षद्वीप सहित हमारे द्वीपसमूहों में पत्तन संपर्क, पर्यटन अवसंरचना, और सुख-सुविधाओं हेतु परियोजनाएं शुरू की जाएंगी. इससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी.
निवेश का संवर्धन
2014-23 के दौरान एफडीआई अंतर्प्रवाह 596 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा था, जो इसे एफडीआई का स्वर्णिम युग बनाता है जो कि 2005-14 के दौरान हुए एफडीआई अंतर्प्रवाह से दोगुना है. संधारणीय विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए हम अपने विदेशी साझेदारों के साथ ‘प्रथम विकसित भारत' की भावना से द्विपक्षीय निवेश संधियों पर वार्ता कर रहे हैं.
'विकसित भारत' के लिए राज्यों में सुधार
'विकसित भारत' के सपने को साकार करने के लिए राज्यों में संवृद्धि और विकास के अनेक समर्थकारी सुधार किए जाने की जरूरत है. इस वर्ष पचास वर्ष के ब्याज-मुक्त ऋण के रूप में पचहत्तर हजार करोड़ रुपए का प्रावधान करने का प्रस्ताव किया गया है ताकि राज्य सरकारों के उन सोपानित सुधारों को मदद पहुंचाई जा सके.
समाज से जुड़े बदलाव
सरकार तीव्र जनसंख्या वृद्धि और जनांकिकी परिवर्तनों से उत्पन्न चुनौतियों पर व्यापक रूप से विचार करने हेतु एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) का गठन करेगी. इस समिति को 'विकसित भारत' के लक्ष्य के सापेक्ष इन चुनौतियों का संपूर्ण रूप से निराकरण करने के लिए सिफारिशें करने का अधिदेश दिया जाएगा.
कर्तव्य काल के रूप में अमृत काल
हमारी सरकार उच्च संवृद्धि के साथ अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और इसका विस्तार करने और लोगों की आकांक्षाएं पूरी करने के लिए उपयुक्त परिस्थितियां तैयार करने हेतु प्रतिबद्ध है. माननीय प्रधान मंत्री ने हमारे गणतंत्र के 75वें वर्ष में, राष्ट्र के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था, "हम नई आकांक्षाओं, नई चेतनाओं और नए दृढ़ संकल्प के साथ राष्ट्र के विकास के प्रति स्वयं को समर्पित करें क्योंकि हमारा देश अनन्त संभावनाएं और अवसर प्रदान कर रहा है”. यह हमारा 'कर्तव्य काल' है.
78. हमारे आर्थिक प्रबंधन और शासन के बल पर हम वर्ष 2014 से पहले के दौर की प्रत्येक चुनौती से उबर गए हैं. इन प्रयासों ने हमारे देश को सतत् उच्च संवृद्धि के संकल्प पथ पर आगे बढ़ा दिया है. यह सब हमारी सही नीतियों, सच्चे इरादों और उपयुक्त निर्णयों के कारण ही संभव हो सका है. जुलाई में, पूर्ण बजट में हमारी सरकार 'विकसित भारत' के लक्ष्य का विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत करेगी.
संशोधित अनुमान 2023-24
उधार को छोड़कर कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान ₹27.56 लाख करोड़ है, जिसमें से कर प्राप्ति ₹23.24 लाख करोड़ है. कुल व्यय का संशोधित अनुमान ₹44.90 लाख करोड़ है.
₹ 30.03 लाख करोड़ की राजस्व प्राप्ति बजट अनुमान से अधिक रहने की आशा है, जो अर्थव्यवस्था में मजबूत विकास दर और इसके औपचारीकरण को दर्शाता है.
राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान जीडीपी का 5.8 प्रतिशत है, जो अंकित विकास अनुमानों में कमी के बावजूद बजट अनुमान की तुलना में बेहतर है.
बजट अनुमान 2024-25
वर्ष 2024-25 में, उधार से इतर कुल प्राप्तियां और कुल व्यय क्रमश: ₹ 30.80 लाख करोड़ और ₹47.66 लाख करोड़ रहने का अनुमान है. कर प्राप्तियों के ₹ 26.02 लाख करोड़ रहने का अनुमान है.
राज्यों के पूंजीगत व्यय के लिए पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण योजना कुल ₹ 1.3 लाख करोड़ के परिव्यय के साथ इस वर्ष भी जारी रखी जाएगी.
जैसा कि मेरे 2021-22 के बजट भाषण में घोषणा की गयी थी, हम वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने के लिए राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. इस मार्ग पर चलते हुए वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों में सकल और निवल बाजार उधारियां क्रमशः ₹14.13 लाख करोड़ और ₹11.75 लाख करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया है. ये दोनों उधारियां वर्ष 2023-24 के उधारों से कम रहेंगी. अब जबकि बड़े पैमाने पर निजी निवेश हो रहा है, केन्द्र सरकार द्वारा कम उधार लेने से निजी क्षेत्र के लिए और अधिक मात्रा में ऋण उपलब्ध होगा.
लेखानुदान
मैं वित्त वर्ष 2024-25 के एक भाग के लिए विनियोग विधेयक के माध्यम से 'लेखानुदान' हेतु संसद से अनुमोदन प्राप्त करना चाहूंगी. अब, मैं भाग ख की ओर बढ़ती हूं.
भाग ख
माननीय अध्यक्ष महोदय,
प्रत्यक्ष कर
पिछले दस वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रहण तीन गुणा से अधिक हो गया है और विवरणी दाखिल करने वालों की संख्या 2.4 गुणा हो गई है. मैं करदाताओं को आश्वस्त करना चाहूंगी कि उनके योगदान का देश के विकास और जनता के कल्याण के लिए विवेकपूर्ण उपयोग किया गया है. मैं करदाताओं के सहयोग के लिए उनकी सराहना करती हूं.
सरकार ने कर दरों में कटौती की है और इन्हें विवेकपूर्ण बनाया है. नई कर योजना के तहत अब ₹ 7 लाख तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं है. वित्तीय वर्ष 2013-14 में ₹2.2 लाख तक की ले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं थी. खुदरा व्यापार के लिए प्रीजम्प्टिव कराधान की सीमा ₹2 करोड़ से बढ़ाकर ₹ 3 करोड़ की गई. इसी प्रकार प्रीजम्प्टिव कराधान के पात्र व्यवसायियों के लिए यह सीमा ₹ 50 लाख से बढ़ाकर ₹ 75 लाख की गई. साथ ही कारपोरेट कर की दर मौजूदा स्वदेशी कंपनियों के लिए 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत की गई और कुछ नई विनिर्माण कंपनियों के लिए यह दर 15 प्रतिशत की गई.
पिछले पांच वर्षों में करदाता सेवाओं में सुधार करने पर हमारा विशेष जोर रहा है. पहचान रहित निर्धारण और अपील की शुरुआत कर, क्षेत्राधिकार आधारित निर्धारण प्रणाली को बदल दिया गया जिससे कार्यकुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है. अद्यतन की हुई आयकर विवरणियां, नया फार्म 26एएस और पहले से भरी हुई कर विवरणियां शुरू किए जाने से कर विवरणियां दाखिल करने की प्रक्रिया अधिक सरल और आसान हो गई है. विवरणियों पर कार्रवाई में वर्ष 2013-14 में औसतन 93 दिन लगते थे जो कम होकर इस वर्ष केवल दस दिन रह गए हैं. इससे प्रतिदाय (रिफंड) जारी करने में तेजी आई है.
अप्रत्यक्ष कर
भारत में अत्यंत बटी हुई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एकीकृत करके जीएसटी ने व्यापार और उद्योग पर अनुपालन के बोझ को कम कर दिया है. उद्योग जगत ने जीएसटी के लाभ को स्वीकारा है. एक अग्रणी परामर्शदाता फर्म द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 94 प्रतिशत उद्योग प्रमुख जीएसटी में हुए बदलाव को व्यापक रूप से सकारात्मक मानते हैं. सर्वेक्षण में प्रश्नों के उत्तर देने वाले 80 प्रतिशत प्रतिभागियों के अनुसार इससे आपूर्ति श्रंखला ओप्टिमाइज हुई है क्योंकि टैक्स आर्बिटराज और ऑक्ट्रोइ के हटने के परिणामस्वरूप राज्यों और शहरों की सीमाओं से चैक पोस्ट हट गए हैं. साथ ही, जीएसटी का कर आधार बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है. इस वर्ष औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रहण बढ़कर लगभग दोगुना, यथा 1.66 लाख करोड़ रूपये हो गया है. इससे राज्य भी लाभान्वित हुए हैं. राज्यों को जारी किए गए कंपेन्सेशन सहित राज्यों के एसजीएसटी राजस्व की बोयन्सी 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी के बाद वाली अवधि में 1.22 है. इसके विपरीत वर्ष 2012-13 से 2015-16 की जीएसटी से पूर्व की चार वर्षों की अवधि में विलय होने वाले राज्य राजस्व की टैक्स बोयन्सी केवल 0.72 थी. इसके सबसे बड़े लाभार्थी उपभोक्ता हैं क्योंकि संभार तंत्र संबंधी लागतों और करों में कमी के परिणामस्वरूप अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कम हुई हैं.
हमने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए सीमा शुल्क में अनेक उपाय किए हैं, जिनके परिणामस्वरूप वर्ष 2019 में जब पहली बार नेशनल टाइम रिलीज अध्ययन शुरू हुए तब से चार वर्षों की अवधि में इनलैंड कंटेनर डिपो में आयात निर्गम समयावधि 47 प्रतिशत कम होकर 71 घंटे रह गई है, एयर कार्गो परिसरों में 28 प्रतिशत कम होकर 44 घंटे तथा बंदरगाहों में 27 प्रतिशत कम होकर 85 घंटे रह गई है.
कर प्रस्ताव
कर प्रस्तावों के संबंध में, परंपरा के अनुरूप, मैं कराधान के संबंध में किसी भी बदलाव का प्रस्ताव नहीं कर रही हूं और प्रत्यक्ष कर तथा आयात शुल्कों सहित अप्रत्यक्ष करों के संबंध में कर दरें यथावत बनाए रखने का प्रस्ताव कर रही हूं. तथापि स्टार्ट-अप और सावरेन संपदा या पेंशन फंड द्वारा किए गए निवेशों के लिए कुछ कर लाभ तथा कुछ आईएफएससी यूनिटों की कतिपय आय पर कर छूट की समय सीमा 31.03.2024 को समाप्त हो रही है. कराधान में निरंतरता बनाए रखने के लिए मैं समय सीमा की इस तारीख को 31.03.2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव करती हूं.
इसके अतिरिक्त, जीवन की सुगमता और व्यापारिक सुगमता में सुधार करने की सरकार की परिकल्पना के अनुरूप, मैं करदाता सेवाओं में सुधार हेतु एक घोषणा करना चाहती हूं . बड़ी संख्या में कई छोटी-छोटी, गैर- सत्यापित, गैर-समायोजित या विवादित प्रत्यक्ष कर मांग बही खातों में लंबित हैं. इनमें से कई मांग तो वर्ष 1962 तक के भी पुराने समय से मौजूद हैं. इनके कारण ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है तथा बाद के वर्षों में रिफंड जारी करने की प्रक्रिया में भी बाधा आती है. मैं वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित पच्चीस हजार रुपए ( ₹ 25,000) तक तथा वित्तीय वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 से संबंधित दस हजार रुपए (₹10,000) तक की ऐसी बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने का प्रस्ताव करती इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं के लाभान्वित होने की अपेक्षा है.
अर्थव्यवस्था तब और अब
वर्ष 2014 में जब हमारी सरकार ने बागडोर संभाली थी, चरण-दर- चरण अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने और शासन प्रणाली को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी. समय की मांग थी कि लोगों को आशा की किरणें दिखे, निवेश आकर्षित किया जा सके और सुधार के लिए अत्यावश्यक समर्थन जुटाया जा सके. सरकार ने 'राष्ट्र प्रथम' के मजबूत विश्वास के साथ इसे सफलतापूर्वक हासिल किया.
उन वर्षों के संकटों से पार पा लिया गया है, और अर्थव्यवस्था सर्वांगीण विकास के साथ उच्च संधारणीय संवृद्धि पथ पर बढ़ चली है. अब यह देखना उपयुक्त होगा कि तब वर्ष 2014 तक हम कहां थे और अब कहां हैं, केवल इसलिए कि उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक सीखा जा सके. इस संदर्भ में, सरकार सदन के पटल पर एक श्वेत पत्र प्रस्तुत करेगी.
शासन, विकास और निष्पादन, प्रभावी प्रदायगी और 'जन कल्याण' के अनुकरणीय ट्रैक रिकॉर्ड ने सरकार को लोगों का भरोसा, विश्वास और आशीर्वाद दिलाया है, ताकि आने वाले वर्षों और दशकों में नेक इरादे, सच्ची लगन और भरपूर प्रयासों से 'विकसित भारत' के लक्ष्य को हासिल किया जा सके, चाहे इसके लिए जितना भी जतन करना पड़े.
इन शब्दों के साथ मैं इस गरिमामय सदन में अंतरिम बजट पेश करती हूं.
जय हिंद.