राजधानी दिल्ली में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव का आज दूसरा और अंतिम दिन है. सत्र की शुरूआत विदेश मंत्री एस. जयंशकर के संबोधन से हुई. इसके बाद 'सभी के लिए न्याय: प्रयास और अंतर' विषय पर आयोजित दूसरे सत्र में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने भाग लिया. रिजिजू ने कहा, 'एक लोकतंत्र में अलग-अलग विचार होते हैं, जरूरी नहीं है कि मेरे और मेरे सहयोगी के विचार एक जैसे हों. हमारे और सुप्रीम कोर्ट के बीच कोई मतभेद नहीं है. हमारी सरकार ने पहले दिन से सुनिश्चित किया है कि न्यायिक स्वतंत्रता बनी रहे. न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच कोई मतभेद नहीं है, इसे मैं स्पष्ट करता हूं.'
राहुल पर हमला
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए रिजिजू ने कहा, 'एंटी इंडिया गैंग और राहुल गांधी की भाषा एक जैसी है. भाषा ही नहीं बल्कि जब वो बोलते हैं, तो वो उसी इकोसिस्टम की तरह बोलते हैं जो भारत और भारत के बाहर इकोसिस्टम के लोग बोलते हैं. टुकड़े- टुकड़ै गैंग और उनकी भाषा एक जैसी है... जब एक सांसद कहता है कि हर राज्य को अपने अपने कार्य करने के लिए स्वतंत्रता मिलना चाहिए, तो यह बहुत खतरनाक है. भारत यूनियन ऑफ स्टेट है.'
रिजिजू ने राहुल पर हमला करते हुए कहा कि जो सबसे अधिक बोलता है, वहीं कह रहा है कि बोलने नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी ने बेबुनियाद आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार, न्यायपालिका को टेक ओवर करना चाहती हैं. ये कैसा आरोप हैं और कौन इस पर विश्वास करेगा? मेरे पास यूके से एक व्यक्ति का संदेश आया कि लोगों को संसद में बोलने नहीं दिया जाता है, ये तो हमारे लिए ठीक नहीं है. संसद में रूल से बोलेंगे तो तभी बोल पाएंगे. कोई राजा समझकर बोलेगा तो कैसे चलेगा.. देश में 543 सांसद हैं उन्हें भी तो मौका मिलेगा ना? किसी भी व्यक्ति को विशेषाधिकार नहीं मिले हैं बल्कि सबको बराबर अधिकार हैं.'
जजों को लेकर कही ये बात
जजों की नियुक्ति को लेकर उन्होंने कहा, 'जज की नियुक्ति करना ज्यूडिशल वर्क नहीं है, यह विशुद्ध प्रशासनिक फैसला है. संविधान में कहा गया है कि राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के जजों और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति चीफ जस्टिस की सलाह से कर सकते हैं. कॉलेजियम सिस्टम को हम फॉलो करेंगे, लेकिन जजों की नियुक्ति करना प्रशासनिक फैसला है.' उन्होंने कहा कि यदि जज प्रशासनिक मामलों में दखल करेंगे तो इससे प्रिंसपल ऑफ जस्टिस का उल्लंघन होगा. रिजिजू ने कहा कि मोदी सरकार ने कभी भी न्यायपालिका के कार्यों में दखल नहीं दिया, बल्कि सरकार न्यायिक स्वतंत्रता को बनाए रखने की वकालत करती है.
रिजिजू ने कहा, 'मैं किसी व्यक्ति का नाम नहीं लेना चाहूंगा क्योंकि यह बहुत गंभीर मामला है. मैं जानता हूं कि वो (सुप्रीम कोर्ट) जजों की नियुक्ति के लिए कुछ नामों की सिफारिश कर रहे हैं. मैं यहां उन नामों का खुलासा नहीं करना चाहता हूं. हमें यह समझना चाहिए कि किसी भी अदालत की अपनी बाध्यताएं हैं और जजमेंट देने की भी. कुछ जानकारियों के आधार पर, यदि कल आईबी और खुफिया जानकारी लोगों के बीच में आ जाती हैं तो क्या होगा.. हमारे पास जजों को लेकर कई शिकायतें आती हैं, चाहे वो निचली अदालत के हों या हाईकोर्ट या अन्य कोर्ट के. लेकिन हम उनके नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं.. क्योंकि उससे मुद्दे का हल नहीं होगा, जिसके लिए हम यहां (सरकार) में बैठे हैं.'
समलैंगिंक विवाह पर बोले रिजिजू
समलैंगिक विवाह को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, 'हमारे पास लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि हैं जो देश के हर भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं. समलैंगिक विवाह को लेकर संसद में बहस होनी चाहिए और यदि कुछ रिजल्ट निकलता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिए. किसी भी कानूनी मामले में सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च संस्था है. भारत एक लोकतांत्रिक देश है.. देश की सभी राजनीतिक दल और लोगों को तय करना चाहिए कि देश का भविष्य कैसा हो.'
कोर्ट की छुट्टियों का किया जिक्र
जजों की छुट्टियों और न्यायपालिका का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा, 'जवाबदेही एक मुद्दा है और लक्ष्मण रेखा दूसरा मुद्दा है. जज किसी के प्रति अकाउंटेबल नहीं है. नेशनल ज्यूडिशयल कमीशन के पास कई सजेशन आए हैं. लेकिन हम अकांटेबल हैं. सरकार, संसद हर कोई किसी ना किसी के प्रति अकाउंटेबल है. लेकिन कोर्ट में ऐसा नहीं है, उनके लिए संसद से तय किए रूल नहीं है, चाहे छुट्टियों को लेकर हो या अन्य हो.. हर हाईकोर्ट के एक दूसरे से अलग हॉलीडे हैं. पिछले साल संसद में मुद्दा उठा था. रिजिजू ने कहा, 'कोर्ट में छुट्टियां होनी चाहिए इससे किसी को ऐतराज नहीं हैं. मेरा मानना है कि जज लगातार कोर्ट केस की सुनवाई करते हैं. प्रशासनिक काम के साथ-साथ न्यायिक कार्य करने में जजों के पास कई तरह का दवाब होता है और उन्हें छुट्टी मनाने का पूरा अधिकार है. कई जज एक दिन में 100-100 मामलों की सुनवाई करते हैं..'
रिजिजू ने कहा, 'यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को लेकर कई राज्यों ने काम करना शुरू कर दिया है. केंद्र इसे लेकर क्या करहेगा, मैं इस पर अभी टाइमलाइन नहीं बताना चाहता हूं क्योंकि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे का जिक्र मैंने किया वो इस समय जरूरी हैं. कुछ चीजें अन्य चीजों से महत्वपूर्ण होती हैं. '