जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अपराधियों की समय से पहले रिहाई के लिए बनाई गई पूर्व की नीति में उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार के किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान यूपी सरकार ने बताया कि इस मामले में 2021 में किया गया संशोधन उन्होंने वापस ले लिया है.
यूपी सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन में 16+4 यानी कुल 20 साल की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई के लिए 60 साल से ज्यादा उम्र की सीमा को मानक आधार मानकर रिहाई की बात कही गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा कैदियों की रिहाई के लिए किए गए जुलाई 2021 के संशोधन को वापस ले लेने के बाद, कैदियों की रिहाई के लिए 2018 में तय किए गए मानक के आधार पर ही उनकी रिहाई को मंजूरी दे दी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दखिल कर कहा गया था कि यूपी सरकार ने कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए जुलाई 2021 में 60 साल की उम्र की सीमा तय कर यह संशोधन किया था.
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि वैसे भी उनको रिहाई मिलनी चाहिए, क्योंकि सरकार की नीति में किया गया संशोधन पूर्व प्रभाव से लागू नहीं माना जाएगा.