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उम्र कैद की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का यू टर्न!

साल 2021 की संशोधित नीति के तहत उम्रकैद की सजा पाए अपराधियों के लिए समय से पहले रिहाई का आवेदन करने के लिए कम से कम उम्र 60 साल निर्धारित की गई थी.

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अब 2018 की नीति के अनुसार ही होगी रिहाई. (फाइल)
अब 2018 की नीति के अनुसार ही होगी रिहाई. (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट में पलटी यूपी सरकार
  • अब 2018 की नीति ही रहेगी प्रभावी

जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अपराधियों की समय से पहले रिहाई के लिए बनाई गई पूर्व की नीति में उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार के किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान यूपी सरकार ने बताया कि इस मामले में 2021 में किया गया संशोधन उन्होंने वापस ले लिया है.

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यूपी सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन में 16+4 यानी कुल 20 साल की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई के लिए 60 साल से ज्यादा उम्र की सीमा को मानक आधार मानकर रिहाई की बात कही गई थी. 

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा कैदियों की रिहाई के लिए किए गए जुलाई 2021 के संशोधन को वापस ले लेने के बाद, कैदियों की रिहाई के लिए 2018 में तय किए गए मानक के आधार पर ही उनकी रिहाई को मंजूरी दे दी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दखिल कर कहा गया था कि यूपी सरकार ने कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी  करने के लिए जुलाई 2021 में 60 साल की उम्र की सीमा तय कर यह संशोधन किया था.

याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि वैसे भी उनको रिहाई मिलनी चाहिए, क्योंकि सरकार की नीति में किया गया संशोधन पूर्व प्रभाव से लागू नहीं माना जाएगा.

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