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UP: नहीं कम हो रही बाबा बिरयानी की मुश्किलें, कानपुर में कमर्शियल बिल्डिंग सहित दो संपत्तियां जब्त

कानपुर में अधिकारियों ने गुरुवार को एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट, 1968 के तहत पॉश बेकनगंज इलाके में एक तीन मंजिला कमर्शियल बिल्डिंग सहित दो संपत्तियों को जब्त कर लिया. ये इमारत बाबा बिरयानी फूड आउटलेट के मालिक से संबंधित थीं.

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बाबा बिरयानी (फाइल फोटो)
बाबा बिरयानी (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुई हिंसा के मामले में पिछले साल गिरफ्तार हुए बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं. दरअसल कानपुर में अधिकारियों ने गुरुवार को एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट, 1968 के तहत पॉश बेकनगंज इलाके में एक तीन मंजिला कमर्शियल बिल्डिंग सहित दो संपत्तियों को जब्त कर लिया. ये इमारत बाबा बिरयानी फूड आउटलेट के मालिक से संबंधित थीं.

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उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने सबसे पहले वाणिज्यिक परिसर की जब्ती की प्रक्रिया पूरी की और मुख्तार बाबा के आवासीय भवन 'दारुल-मौला' पर नोटिस लगाया, जो लगभग 400 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी कीमत 5 करोड़ रुपये से अधिक है. एक अधिकारी ने कहा कि आवासीय भवन के रहने वालों को अपना किराया सरकार को जमा करने के लिए कहा गया था.

जिलाधिकारी विशाल जी अय्यर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जब्ती की कार्यवाही के दौरान दोनों जगहों पर भारी संख्या में पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) की तैनाती की गई थी. उन्होंने फोन पर कहा, "हमने एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट, 1968 के तहत बाबा बिरयानी फूड आउटलेट के मालिक मुख्तार उर्फ ​​बाबा की कई करोड़ रुपये मूल्य की व्यावसायिक परिसर सहित दो संपत्तियां जब्त की हैं." अय्यर ने कहा, "दोनों इमारतों को शत्रु संपत्ति के रूप में पाया गया है, जिसे खरीदा या अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है. ऐसी संपत्तियां प्रशासन की हिरासत में रहती हैं."

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उन्होंने कहा कि व्यावसायिक इमारत में बाबा बिरयानी, बाबा स्वीट और बाबा लस्सी की दुकानें हैं.  डीएम ने कहा कि लखनऊ से एनिमी प्रॉपर्टी के संरक्षक व सहायक संरक्षक द्वारा वाणिज्यिक भवन को सीज करने और आवासीय भवन पर कब्जा करने के लिए पत्र जारी किया गया था.

उन्होंने कहा कि तहसीलदार सदर को आवासीय भवन का रिसीवर बनाया गया है, जबकि व्यावसायिक परिसर डीएम के सीधे नियंत्रण में होंगे. मुख्तार बाबा को पिछले साल कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा की फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 175 दिनों के बाद दिसंबर के मध्य में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया था.

क्या है कानपुर हिंसा?

3 जून को जुमे की नमाज के बाद कानपुर में बवाल हुआ था. दो समुदाय आमने-सामने आ गए थे और कुछ ही देर में हिंसा भड़क गई थी. दोनों पक्षों की तरफ से पथराव किया गया. यहां दुकानें बंद कराने को लेकर विवाद की शुरुआत हुई थी. घटना के बाद सरकार एक्शन मोड में आ गई. मामले में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. हिंसा में उपद्रवियों ने पेट्रोल बम का भी इस्तेमाल किया था. जांच के बाद पता चला कि हिंसा से ठीक पहले पेट्रोल पंपों से पेट्रोल खरीदा गया था. इस विवाद की शुरुआत बीजेपी से निलंबित की जा चुकीं प्रवक्ता नूपुर शर्मा के एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणी से हुई थी.

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