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लेटरल 'No'Entry... केंद्र ने UPSC को सीधी भर्ती का विज्ञापन रोकने को कहा, बताई ये वजह

Lateral Entry UPSC Advertisement: केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई जाए. कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है. 

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यूपीएससी में लेटरल एंट्री पर रोक
यूपीएससी में लेटरल एंट्री पर रोक

UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर बहस छिड़ने के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दिया है. इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है.

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केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई जाए. कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है. 

क्यों लिया गया ये फैसला?

इस पत्र में कहा गया है कि अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था. प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए.

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इस पत्र में कहा गया कि सामाजिक न्याय की दिशा में संवैधानिक जनादेश बनाए रखना जरूरी है ताकि वंचित समुदायों के योग्य उम्मीदवारों का सरकारी नौकरियों में सम्मानपूर्ण प्रतिनिधित्व हो. चूंकि, ये पद विशेष हैं ऐसे में इन पदों पर नियुक्तियों को लेकर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसकी समीक्षा और जरूरत के अनुरूप इनमें सुधार की जरूरत है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस सामाजिक न्याय की ओर है.

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पत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता होनी चाहिए. लेटरल एंट्री वाले पदों की समीक्षा किए जाने की जरूरत है. ऐसे में 17 अगस्त को जारी लेटरल एंट्री वाले विज्ञापन को रद्द कर दें. यह करना सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण की दृष्टि से बेहतर होगा. 

पूर्ववर्ती UPA सरकार पर साधा निशाना

पत्र में कहा गया कि लेटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट 2005 में UPA सरकार लेकर आई थी. सभी जानते हैं कि 2005 में लेटरल एंट्री का प्रस्ताव आया था. तब वीरप्पा मोइली की अगुवाई में प्रशासनिक सुधार आयोग बना था, जिसमें ऐसी सिफारिशें की गई थीं. इसके बाद 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में की गई थीं. लेकिन उससे पहले और बाद में लेटरल एंट्री के कई मामले सामने आए थे.

केंद्र सरकार के इस कदम पर विपक्ष की प्रतिक्रिया

यूपीएससी में लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के आदेश पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे. भाजपा की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम करके दिखाएंगे. मैं एक बार फिर कह रहा हूं कि 50 फीसदी आरक्षण सीमा को तोड़कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे. 

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केंद्र सरकार के इस कदम पर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संविधान जयते ! हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमज़ोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने भाजपा के आरक्षण छीनने के मंसूबों पर पानी फेरा है. Lateral Entry पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताकत ही हरा सकती है.  राहुल गांधी, कांग्रेस और INDIA पार्टियों की मुहिम से सरकार एक कदम पीछे हटी है, पर जब तक BJP-RSS सत्ता में है, वो आरक्षण छीनने के नए-नए हथकंडे अपनाती रहेगी. हम सबको सावधान रहना होगा.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि एक नॉन-बायोलॉजिकल पीएम के तहत काम कर रहे केंद्रीय मंत्री का संवैधानिक अथॉरिटी को लिखा पत्र, जिसकी कोई तारीख नहीं है. यह क्या सरकार है?

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री के पिछले दरवाजे से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साजिश आखिरकार PDA की एकता के आगे झुक गयी है.  सरकार को अब अपना ये फैसला भी वापस लेना पड़ा है. भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये PDA में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है. 

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उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के खिलाफ दो अक्टूबर से शुरू होने वाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है, साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरजोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी. जिस तरह से जनता ने हमारे दो अक्टूबर के आंदोलन के लिए जुड़ना शुरू कर दिया था, ये उस एकजुटता की भी जीत है. लेटरल एंट्री ने भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है.

इस पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री के बाद अब संविधान और आरक्षण विरोधी मोदी सरकार ने कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग अंतर्गत विज्ञापित 368 पदों की नियुक्ति में भी एकल पद के तहत विज्ञापन प्रकाशित कर और यह लिखकर कि 𝐀𝐥𝐥 𝐭𝐡𝐞 𝐯𝐚𝐜𝐚𝐧𝐜𝐢𝐞𝐬 𝐚𝐫𝐞 𝐮𝐧-𝐫𝐞𝐬𝐞𝐫𝐯𝐞𝐝 (अर्थात सभी रिक्तियां अनारक्षित हैं) दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को समाप्त कर दिया है. 

क्या था 17 अगस्त का आदेश?

इससे पहले UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें लेटरल एंट्री के जरिए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली गई थी. लेटरल भर्ती में कैंडिडेट्स बिना UPSC की परीक्षा दिए रिक्रूट किए जाते हैं. इसमें आरक्षण के नियमों का भी फायदा नहीं मिलता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है. 

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इस पर विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोर्चा संभालते हुए कहा था कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री नई बात नहीं है. 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान लेटरल एंट्री होती रही है और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी ऐसी पहलों के प्रमुख उदाहरण हैं.

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