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कोलकाता में दुर्गा पंडाल में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुई हिंसा की झलक नजर आई. कोलकाता के दमदम में बने दुर्गा पंडाल ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. इस पंडाल में लगी एक फोटो चर्चा का विषय बनी हुई है, इसमें एक कार किसान को कुचलते नजर आ रही है. हालांकि, पंडाल आयोजनकर्ता का कहना है कि इसे पहले ही प्लान किया गया था, लेकिन यह समय सिर्फ संयोग रहा.
दमदम सेवा संघ पूजा पंडाल के अध्यक्ष गौतम विश्वास ने कहा, कार के नीचे आ रहे किसान की तस्वीर का विचार तीन महीने पहले आया था. हम इसे पूंजीवादी युग में मरते हुए किसान के तौर पर दिखाना चाहते थे. लेकिन आज के समय में ये व्यावहारिक हो गया.
पैरों में दर्शाए गए किसानों के चेहरे
उन्होंने बताया कि चप्पल, लंच बॉक्स, जूट बैग और तख्तियां दशकों से देश भर के किसानों की दुर्दशा को दर्शाती हैं. इस पंडाल में दो बड़े पैर भी बनाए गए हैं. इसमें विभिन्न राज्यों के किसानों के चेहरों को दर्शाया गया है.
किसानों के दर्द को भुलाया नहीं जा सकता
उन्होंने कहा, हम भूतकाल से मौजूदा समय तक के लिए किसानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं. जूट के ये बैग और जूते आंदोलन की कहानी बताते हैं. पंडाल से जुड़े मानब चक्रवर्ती ने कहा, समय भले ही इत्तेफाक हो, लेकिन पंडाल में त्योहारों के उत्साह के बीच किसानों की उदासीनता को दर्शाया गया है. इसमें वर्तमान स्थिति को अच्छी तरह से चित्रित किया गया है. इस पंडाल की थीम किसानों की दुर्दशा को सामने ला रही है और लोगों को यह संदेश देती है कि किसानों के दर्द को भुलाया नहीं जा सकता.