उत्तर प्रदेश में तबादलों का बड़ा खेल जारी है. PWD में हुए तबादलों का निष्कर्ष यह निकल कर आया है कि ट्रांसफर के लिए 30 अधिशासी अभियंताओं (executive engineers) की लिस्ट भेजी गई थी. लेकिन यह फाइनल होते-होते 42 की हो गई. मतलब साफ है कि इसमें कई नाम बीच में जुड़ गए. अब ये नाम कब और कैसे जुड़े इस पूरे मामले पर PWD विभाग ने चुप्पी साध रखी है.
हालांकि, जांच के बाद ही सामने आ सकता है कि आखिर इतने नाम कैसे जुड़ गए, जो नए नाम जोड़ने के लिए पूरी सूची ही बदल डाली. जानकारी के मुताबिक 12 लोगों के नाम जोड़ने और उनकी मनचाही तैनाती के लिए पूरी सूची में फेरबदल किया गया. यह पूरा मामला भ्रष्टाचार का केंद्र बना. इस मामले पर PWD मंत्री जितिन प्रसाद का कहना है कि वे फाइल देखकर ही पूरे बता पाएंगे कि नाम कैसे जुड़ गए.
यूपी में चिकित्सकों के तबादले में हुई गड़बड़ियों के बाद लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के तबादले में भी गड़बड़ी का मामला सामने आया था. लोक निर्माण विभाग में 350 से अधिक इंजीनियरों का तबादला हुआ था. करीब 200 अधिशासी इंजीनियरों और डेढ़ सौ से अधिक असिस्टेंट इंजीनियरों का भी तबादला किया गया. इसको लेकर भी शिकायतें आई थीं.
PWD में तबादलों में गड़बड़ियों पर पहली गाज PWD मंत्री जितिन प्रसाद के विशेष कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी (OSD) अरुण कुमार पांडे पर ही गिरी थी. सचिवालय प्रशासन विभाग ने उन्हें कार्यमुक्त कर मूल विभाग में वापस दिल्ली भेजने के आदेश जारी कर दिए थे. उनके खिलाफ सतर्कता जांच और अनुशासनिक कार्रवाई की सिफारिश भी की गई थी. उत्तर प्रदेश आने से पहले पांडेय केंद्र में उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में अवर सचिव के पद पर तैनात थे.
बता दें कि सीएम के आदेश पर PWD के पांच अफसरों-कर्मचारियों को निलंबित किया गया था. जानकारी के मुताबिक PWD के विभागाध्यक्ष और प्रमुख अभियंता (विकास) मनोज कुमार गुप्ता, प्रमुख अभियंता (परि./नियो.) राकेश कुमार सक्सेना व वरिष्ठ स्टॉफ ऑफिसर (ई-2) शैलेन्द्र कुमार यादव, प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्थापन 'घ' वर्ग पंकज दीक्षित व प्रधान सहायक व्यवस्थापन 'घ' वर्ग संजय कुमार चौरसिया को निलंबित किया गया था.
विभाग ने बढ़ा दी थी तबादले की तारीख
लोक निर्माण विभाग में 3 साल पहले अमृत इंजीनियर और कई इंजीनियरों का एक से अधिक जिले में तबादले का मामला सामने आया था. तबादलों की अंतिम तारीख जहां सभी विभागों के लिए 30 जून थी, वहीं लोक निर्माण विभाग में 10 जुलाई कर दी गई थी.इसके बाद कई मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायतें सीएम योगी तक पहुंची थीं. स्वास्थ्य विभाग तबादला विवाद में जांच की सिफारिश के साथ ही सीएम योगी ने PWD की जांच के आदेश दे दिए थे.
12 जुलाई को गठित की गई थी जांच समिति
लोकनिर्माण विभाग में हाल में हुए ट्रांसफर में बड़े पैमाने पर अनियमितता की शिकायतें मिलने के बाद सीएम योगी ने तत्काल प्रभावी कदम उठाते हुए 12 जुलाई को तीन सदस्यीय एक टीम गठित कर दी थी. इस जांच कमेटी में एपीसी मनोज सिंह, एसीएस, गन्ना एवं आबकारी, संजय भूसरेड्डी और एसीएस, नियुक्ति और कृषि, देवेश चुतर्वेदी को शामिल किया गया था. जांच कमेटी में 16 जुलाई को अपने रिपोर्ट पेश कर दी थी.