scorecardresearch
 

जेवर एयरपोर्ट के पास बनेगा ट्रॉमा सेंटर, नोएडा-अलीगढ़-बुलंदशहर को फायदा

एनसीआर को आगरा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस वे को यूं ही नहीं मौत का एक्सप्रेस-वे कहा जाता है. सात साल पहले से शुरू हुआ मौतों का सिलसिला लगातार जारी है. आंकड़े के मुताबिक, अगस्त 2012 से मार्च 2019 तक 5639 खूनी सड़क हादसों में अबतक करीब 940 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 4550 लोग घायल हुए हैं.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जेवर एयरपोर्ट बनने के बाद बड़े पैमाने पर औद्योगिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी
  • शासन ने सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है, जल्द शुरू होगा काम
  • यमुना एक्सप्रेस-वे का औद्योगिक विकास प्राधिकरण इसके लिए जमीन देगा

उत्तर प्रदेश के जेवर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के नजदीक से गुजर रहे यमुना एक्सप्रेस-वे पर बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं की वजह से इसे 'डेथ वे' भी कह देते हैं. वहीं पेरिफेरल एक्सप्रेस वे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटना होने पर घायलों को काफी दूर दिल्ली के एम्स ट्रामा सेंटर लाना पड़ता है. क्योंकि, यमुना एक्सप्रेस-वे के इलाके में कोई बड़ा सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल या फिर ट्रामा सेंटर नहीं है और अब तो जेवर एयरपोर्ट बनने के साथ ही बड़े पैमाने पर औद्योगिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी. लिहाजा दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है. 

Advertisement

हरियाणा के लोगों को भी मिलेगी मदद

जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह ने बताया, 'जेवर एयरपोर्ट बनते ही दुनिया के बड़े कारोबारी और लोगों की बसाहट बढ़ेगी लेकिन दुर्घटना होने पर दिल्ली जाते-जाते कई घायलों की मौत हो जाती थी. ऐसे में एयरपोर्ट शुरू होने से पहले एक ट्रामा सेंटर बने इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य अपर मुख्य सचिव मोहन प्रसाद को प्रस्ताव दिया गया है.' 

अवमानना केस: क्या माफी मांगेंगे प्रशांत भूषण? SC की डेडलाइन का आज आखिरी दिन

धीरेंद्र के मुताबिक, शासन ने सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है और बहुत जल्द इस परियोजना पर काम भी शुरू हो जाएगा. गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़ और बुलंदशहर के लोगों को फायदा मिलेगा. यमुना पार हरियाणा के लोग भी यहां इलाज कराने आ सकेंगे. यमुना एक्सप्रेस-वे का औद्योगिक विकास प्राधिकरण इसके लिए जमीन देगा. बता दें कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अपने-अपने इलाकों में मल्टी स्पेशिलिटी अस्पतालों का निर्माण किया है. 

Advertisement

2012 से 2019 तक 940 लोगों की हुई मौत

ट्रामा सेंटर बनने से यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण भी दोनों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. एनसीआर को आगरा से जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस वे को यूं ही नहीं मौत का एक्सप्रेस-वे कहा जाता है. सात साल पहले से शुरू हुआ मौतों का सिलसिला लगातार जारी है. आंकड़े के मुताबिक, अगस्त 2012 से मार्च 2019 तक 5639 खूनी सड़क हादसों में अबतक करीब 940 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 4550 लोग घायल हुए हैं. 

एकजुट रखने में नाकाम-साधे सत्ता के समीकरण, बतौर अंतरिम अध्यक्ष ऐसा रहा सोनिया का कार्यकाल

आपको जानकर हैरानी होगी कि अगस्त 2012 में जब एक्सप्रेस वे शुरू हुआ तभी से हादसों को रोकने की गरज से कई सर्वे भी किए गए पर न जाने क्यों मौतों के रुकने का सिलसिला थम ही नहीं रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली आईआईटी ने स्टडी रिपोर्ट भी तैयार कर दी लेकिन न ही यमुना एक्सप्रेस-वे पर रफ्तार का सिलसिला थमा और न ही मौत के आंकड़े रुक पाए. 

तकरीबन सभी एजेंसियों के सर्वे में ये बात निकलकर सामने आई कि यमुना एक्सप्रेस वे पर ज्यादातर हादसे वाहनों की ज्यादा रफ्तार होने की वजह से हो रहे हैं. करीब 84 हजार वाहनों की क्षमता वाले एक्सप्रेस-वे पर हर रोज औसतन करीब 28 हजार वाहन गुजर रहे हैं.

Advertisement

Advertisement
Advertisement