उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल 12 रैट होल माइनर्स को सम्मानित किया है. इन रैट होल माइनर्स ने सुरंग में मैनुअली ड्रिलिंग की थी.
रैट होल माइनर्स ने सुरंग के ढहे हुए हिस्से में लगभग 15 मीटर के आखिरी स्ट्रैच की हाथ से खुदाई की थी. धामी ने सभी रैट होल माइनर्स को पचास-पचास हजार रुपये और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया.
मुख्यमंत्री धामी ने मुश्किल परिस्थितियों में रैट होल माइनर्स के काम करने की सराहना करते हुए सिल्कयारा सुरंग ऑपरेशन की जीत में उनके योगदान का उल्लेख किया.
रैट-होल माइनिंग क्या है?
रैट-होल माइनिंग से मतलब है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना. इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है. पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है. हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है.
12 नवंबर से फंसे थे मजदूर
सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर को सुरंग धंसने से ये मजदूर फंस गए थे. इन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तेजी से ऑपरेशन चलाया जा रहा था. लेकिन बार-बार ऑपरेशन में रुकावट आ रही थी. सोमवार को भी अमेरिका से आई ऑगर मशीन खराब हो गई थी. इसके बाद रैट माइनिंग में एक्सपर्ट लोगों की मदद ली गई थी. इन रैट माइनर्स ने 36 घंटे से भी कम समय में 12 मीटर तक खुदाई कर दी थी. इनकी मदद से ही मजदूरों तक पहुंचा जा सका और उनका रेस्क्यू किया जा सका.
रैट माइनर्स ने बदल दी पूरी स्थिति
सोमवार को 48 मीटर हॉरिजोंटल ड्रीलिंग के दौरान अमेरिका से आई ऑगर मशीन खराब हो गई थी. इसके बाद रैट माइनर्स को बुलाया गया था. रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी दो प्राइवेट कंपनियों ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेस और नवयुग इंजीनियर्स ने रैट माइनिंग करने वाले 12 एक्सपर्ट्स को बुलाया था.
सोमवार शाम से इन रैट माइनर्स एक्सपर्ट ने हॉरिजोंटल ड्रीलिंग साइड से ही हाथों से खुदाई शुरू की. और 24 घंटे में ही 12 मीटर तक खुदाई तक कर दी. इसी वजह से मजदूरों तक पहुंचना संभव हो सका. रैट माइनिंग का काम तीन चरणों में होता है. एक व्यक्ति खुदाई करता है, दूसरा मलबा जमा करता है और तीसरा उसे बाहर करता है.