उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को मंगलवार रात को बाहर निकाल लिया गया. 12 नवंबर से मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू में जुटीं टीमों को 17 दिन बाद सफलता मिली. रैट होल माइनर्स सबसे पहले मैन्युअल ड्रिलिंग करते हुए सुरंग में फंसे मजदूरों के पास पहुंचे. इसके बाद एनडीआरएफ के 4 जवान पाइप के जरिए मजदूरों के पास पहुंचे. इस दौरान मजदूरों की खुशी देखने लायक थी. एनडीआरएफ की टीम ने तय किया कि सबसे पहले मजदूरों में सबसे ज्यादा उम्र के मजदूरों को निकाला जाएगा. इसके बाद सबसे कम उम्र के मजदूरों को बाहर निकाला गया. आखिर में उत्तराखंड के गब्बर सिंह नेगी को निकाला गया. गब्बर सुरंग में फंसने के बाद से अपने सभी साथियों को लगातार मनोबल बढ़ाते रहे. वे ही रेस्क्यू टीमों से लगातार संपर्क में थे.
मोनू और फिरोज ने सबसे पहले की मजदूरों से मुलाकात
फिरोज कुरैशी और मोनू कुमार वे पहले रैट माइनर्स थे, जो सबसे पहले मजदूरों के पास पहंचे. कुरैशी दिल्ली के रहने वाले हैं, जबकि मोनू यूपी से हैं. कुरैशी ने बताया, ''जब हम आखिरी के कुछ मीटर में मलबा हटा रहे थे, तब मजदूर हमें सुन पा रहे थे. जब हमने मलबा हटाया तो हम दूसरी तरफ पहुंचे. मजदूरों ने हमें गले लगाया और धन्यवाद कहा. इसके बाद मजदूरों ने मुझे कंधे पर उठा लिया. इसके बाद उन्होंने हमें खाने के लिए बादाम भी दिए. थोड़ी देर बाद हमारे और साथी वहां पहुंच गए.
कुरैशी दिल्ली की रॉकवेल इंटरप्राइजेस कंपनी में काम करते हैं. वे टनल के काम में एक्सपर्ट हैं. कुरैशी ने बताया, हमने मजदूरों से कहा कि हमारे जाने के बाद एनडीआरएफ के जवान यहां आएंगे और आप लोगों को बाहर ले जाएंगे. कुरैशी ने बताया कि उन्हें 24 से 36 घंटे में सुरंग खोदने के लिए कहा गया था लेकिन हमने 15 घंटे में ही इसे पूरा कर दिया.
सबसे पहले सबसे ज्यादा उम्र के मजदूर को निकाला
इसके बाद NDRF टीम के चार जवान सुरंग में अंदर पहुंचे. NDRF टीम कमांडर मनमोहन ने बताया कि जैसे ही हमने उनकी ओर हाथ हिलाया और बताया की कि एनडीआरएफ की एक टीम उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए यहां है और उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. मजदूर खुशी से झूम उठे. मनमोहन इस टीम के पहले सदस्य थे, जो मजदूरों के पास पहुंचे. मनमोहन ने बताया कि हम पाइप में रेंगकर सुरंग में मजदूरों के पास पहुंचे. ये कठिन काम था. लेकिन हमने इसके लिए पहले से ट्रेनिंग ली थी. एनडीआरएफ टीम के बाद एसडीआरएफ टीम भी पहुंची.
90 मिनट में बाहर निकाले गए सभी मजदूर
एनडीआरएफ ने सबसे पहले तय किया कि सबसे ज्यादा उम्र के मजदूरों को सबसे पहले बाहर निकाला जाएगा. 10-12 ऐसे मजदूरों को सबसे पहले बाहर निकाला गया. इन मजदूरों को स्ट्रेचर के सहारे बाहर लाया गया. इसके बाद सबसे कम उम्र के मजदूरों को बाहर निकाला गया. हालांकि, ये मजदूर बिना स्ट्रेचर बाहर आए. सबसे आखिर में गब्बर सिंह बाहर निकले.
मनमोहन सिंह ने बताया कि मजदूर बाहर निकलने के दौरान 'एनडीआरएफ की जय हो' के नारे लगा रहे थे. सभी काफी खुश थे. करीब 90 मिनट में सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया.
हमने कभी उम्मीद नहीं खोई- मजदूर
सुरंग में फंसे एक मजदूर विशाल ने बताया, हमने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी. मंडी के रहने वाले विशाल को बाकी मजदूरों की तरह टनल से बाहर लाने के बाद अस्पताल ले जाया गया. जहां उन्होंने अपने परिजनों से मुलाकात की. पीटीआई से बातचीत में विशाल ने बताया कि मै बिल्कुल ठीक हूं. हमने सुरंग में फंसे होने के दौरान कभी उम्मीद नहीं खोई. हम सभी ठीक हैं. हम सबको शुक्रिया कहते हैं, जिन्होंने हमें रेस्क्यू करने में मदद की. उन्होंने बताया कि शुरुआत में वे सब घबरा गए थे. लेकिन जब बाहर के लोगों से संपर्क हो गया, इसके बाद हमें उम्मीद थी कि हमें बाहर निकाल लिया जाएगा.