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रैट माइनर्स की जगह किन लोगों से मिले केजरीवाल? मजदूर बोले- CM ने हमसे नहीं की मुलाकात

रैट होल माइनर्स का कहना है कि इन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से कोई मुलाकात नहीं की. और ना ही दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से किसी ने उनसे संपर्क साधा था. दरअसल कहा जा रहा था कि दिल्ली जल बोर्ड ने मजदूरों की केजरीवाल से मुलाकात कराई थी.

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केजरीवाल की रैट माइनर्स से मुलाकात पर विवाद
केजरीवाल की रैट माइनर्स से मुलाकात पर विवाद

उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने में 12 रैट होल माइनर्स ने अहम भूमिका निभाई थी. इसके बाद दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो दिसंबर को इन रैट होल माइनर्स से मुलाकात की थी. लेकिन अब इन माइनर्स ने दावा किया है कि उन्होंने केजरीवाल ने कोई मुलाकात नहीं की.

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खबर थी कि सीएम केजरीवाल, दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इन रैट होल माइनर्स से मुलाकात की थी. इंडिया टुडे ने इस मामले में दिल्ली के खजूरी खास में रहने वाले उन छह रैट होल माइनर्स से संपर्क किया, जिन्होंने सिल्कयारा रेस्क्यू ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी.

दिल्ली जल बोर्ड से किसी ने संपर्क नहीं किया

इन रैट होल माइनर्स का कहना है कि इन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से कोई मुलाकात नहीं की. और ना ही दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से किसी ने उनसे संपर्क साधा था. दरअसल कहा जा रहा था कि दिल्ली जल बोर्ड ने मजदूरों की केजरीवाल से मुलाकात कराई थी.

इन रैट होल माइनर्स में से एक वकील हसन ने बताया कि जब हमने पहली बार ये खबर सुनी की सीएम केजरीवाल से रैट होल माइनर्स ने मुलाकात की है. तो हमें लगा कि ये फर्जी अकाउंट से फैलाई गई खबर है. लेकिन बाद में हर जगह ये खबर वायरल हुई. लेकिन वास्तविकता ये है कि हममें से कोई भी माइनर सीएम केजरीवाल से नहीं मिला. ये बातें हवा-हवाई हैं.

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हसन ने कहा कि ये कहा जा रहा है कि दिल्ली जल बोर्ड ने केजरीवाल से हमारी मुलाकात कराई थी. लेकिन जल बोर्ड से कोई भी अधिकारी हमसे नहीं मिला. मैं इससे आहत हूं. केजरीवाल जी ने हमारा हाल-चाल तक नहीं जाना. हमारे क्षेत्र के सांसद मनोज तिवारी ने जरूर हमारी हौसलाअफजाई की थी.

उत्तराखंड सरकार से पचास हजार रुपये के चेक पर विवाद?

इन रैट होल माइनर्स का कहना है कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने हम माइनर्स को पचास-पचास हजार रुपये के चेक दिए थे. लेकिन अंदर फंसे मजदूरों को एक-एक लाख रुपये के चेक दिए गए. हमें ये बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं लगा. जिन लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाकर उन मजदूरों को बाहर निकाला, उन्हें सिर्फ पचास-पचास हजार रुपये का चेक दिया गया.हालांकि, धामी जी ने हमे आश्वासन दिया है कि इस संबंध में कुछ किया जाएगा.

बता दें कि 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में 12 रैट होल माइनर्स ने बड़ी जिम्मेदारी निभाई थी. इनमें से छह माइनर उत्तराखंड जबकि छह दिल्ली से थे.

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