उत्तराखंड के गढ़वाल के डीआईजी केएस नागन्याल ने कहा कि हरिद्वार में हाल ही में हुई धर्म संसद की जांच के लिए रविवार को एक एसआईटी का गठन किया गया था. इस धर्म संसद में कुछ प्रतिभागियों द्वारा कथित तौर पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था. मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया गया है. यह पूछे जाने पर कि क्या मामले के संबंध में कुछ गिरफ्तारियों की भी संभावना है, डीआईजी ने कहा कि निश्चित रूप से जांच से ठोस सबूत मिलते हैं.
अधिकारी ने कहा, हमने एक एसआईटी का गठन किया है जो जांच करेगी. अगर इसमें शामिल लोगों के खिलाफ ठोस सबूत पाए जाते हैं तो उचित कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी समेत पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. बता दें कि रिजवी ने पिछले महीने हिंदू धर्म में परिवर्तित होने के बाद अपना नाम बदलकर जितेंद्र नारायण त्यागी रख लिया था.
गौरतलब है कि हरिद्वार के खड़खडी स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक धर्मसंसद आयोजित हुई थी. इसमें संतों की ओर से हेट स्पीच दी गई। धर्मसंसद की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी.
उत्तराखंड की भाजपा सरकार पर 16 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ अभद्र स्पीच देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विभिन्न तबकों से जबरदस्त दबाव है.
हरियाणा के पूर्व डीजीपी विकास नारायण राय, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विभूति नारायण राय, यूपी के पूर्व महानिरीक्षक एसआर दारापुरी और सेवानिवृत्त आईपीएस विजय शंकर सिंह द्वारा लिखित पत्र में डर और आतंक फैलाने वाले आयोजन के आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. संसद में भड़काऊ भाषण देने वालों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग को लेकर मुसलमानों ने शुक्रवार और शनिवार को देहरादून और हरिद्वार में भी मार्च निकाला था.