400 New Vande Bharat Trains: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने साल 2022-23 के लिए आम बजट (Union Budget 2022-23) संसद में बीते दिन पेश कर दिया. इस बजट में रेलवे, कृषि समेत तमाम क्षेत्रों के लिए बजट आवंटित किया गया है. सरकार ने अगले तीन सालों में 400 नई वंदे भारत ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया है. वित्त मंत्री ने संसद में बजट भाषण में कहा, ''अगले तीन सालों में बेहतर दक्षता वाली 400 न्यू जेनरेशन की वंदे भारत ट्रेनें (400 New generation Vande Bharat Trains) लाई जाएंगी.''
सरकार अगले तीन सालों में 400 वंदे भारत ट्रेनों को चलाने की बात कह रही है, लेकिन पिछले तीन सालों में अब तक सिर्फ दो वंदे भारत ट्रेन ही चल सकी है. दरअसल, साल 2019 में वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत की गई थी. यह भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन है, जिसमें लोकोमोटिव इंजन नहीं लगा हुआ है. निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है कि अगस्त, सितंबर से वंदे भारत ट्रेनों पर तेज गति से काम होगा और हर महीने सात से आठ ट्रेनें बनकर निकलेंगी. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब हर महीने महज आठ वंदे भारत ट्रेन ही बन सकेगी तो अगले तीन सालों में 400 नई वंदे भारत ट्रेन कैसे पटरी पर दौड़ाई जा सकेगी.
अभी कहां-कहां चल रहीं वंदे भारत ट्रेन?
वंदे भारत को सबसे पहले फरवरी, 2019 में लॉन्च किया गया, तब इसका नाम ट्रेन-18 रखा गया था. शुरुआत में यह ट्रेन दिल्ली से वाराणसी के लिए चलाई गई थी. इस दौरान इसके सिर्फ दो ही स्टॉपेज रखे गए. एक कानपुर और दूसरा प्रयागराज. वहीं, दूसरी वंदे भारत ट्रेन दिल्ली से कटरा के बीच में चलती है. इससे वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी लाभ होता है और चंद घंटों में ही वे गंतव्य तक पहुंच जाते हैं. इस तरह अभी पहले तीन सालों में सिर्फ दो ही वंदे भारत ट्रेनों का संचालन शुरू किया जा सका है.
कितनी मुश्किल है आगे की राह?
भले ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ी संख्या में वंदे भारत ट्रेन को चलाने की घोषणा की है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सरकार के लिए यह राह आसान नहीं होने वाली. दरअसल, अगर इस योजना को जमीन पर उतारना है तो सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम करना होगा. देशभर में बिछे रेलवे ट्रैक के जाल को भी हाईस्पीड ट्रेन के लायक और बनाना होगा. हालांकि, अभी वंदे भारत ट्रेन की हाई स्पीड 180 किलो मीटर प्रति घंटा है, लेकिन जब रेलवे ट्रैक पर बड़ी संख्या में यह ट्रेनें दौड़ेंगी तो पटरियों की मजबूती पर पहले की तुलना में और अधिक नजर रखनी होगी.
कहीं फंड की तो नहीं होगी कमी?
दरअसल, रेलवे लंबे समय से फंड की कमी से जूझता आया है. समय-समय पर रेलवे की कमाई को बढ़ाने की कोशिश होती रही है. कई बार मालगाड़ियों और पैसेंजर ट्रेनों के किराए में भी बढ़ोतरी की गई, लेकिन यह सभी कोशिशें रेलवे की जरूरत के हिसाब से फंड को पूरा करने में तकरीबन नाकाफी ही साबित हुई हैं. कई पुराने प्रोजेक्ट्स भी फंड की कमी की वजह से बीच में ही लटके हुए हैं. हालांकि, बजट के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ''रेलवे में सरकार के बजट की ओर से एक लाख 37 हजार करोड़ का कैपिटल इन्वेस्टमेंट सपोर्ट दिया गया है. इससे निवेश की कमी की वजह से लंबे समय से जो प्रोजेक्ट रुके हुए थे, उसे पूरा करने में मदद मिलेगी.'' अब जब वंदे भारत ट्रेनों के लिए भी भारी भरकम खर्च की जरूरत होगी तो ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि क्या आने वाले वर्षों में फंड की मुश्किलें तो नहीं खड़ी होंगी.
बड़ी संख्या में वंदे भारत ट्रेनों को क्यों शुरू करना चाहता है रेलवे?
केंद्र सरकार लोगों की रेल यात्रा को सुगम और आरामदायक बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. पिछले बजटों में भी रेलवे के लिए काफी बजट का आवंटन होता रहा है. शुरुआत से ही सरकार का फोकस आत्मनिर्भर भारत पर भी काफी रहा है. फिर चाहे रेलवे हो या फिर डिफेंस सेक्टर, सरकार की कोशिश रही है कि देश में ही इससे जुड़ी वस्तुओं का निर्माण हो, जिससे ज्यादा से ज्यादा नौकरियों का निर्माण हो सके और लाभ सीधे देशवासियों को मिले. वंदे भारत ट्रेन भी पूरी तरह से देश में बनी ट्रेन है. यह 'मेड इन इंडिया' ट्रेन देश की सबसे तेज गति की ट्रेन होने के साथ-साथ यात्रियों के सफर को भी आरामदायक बनाती है. ऐसे में सरकार की मंशा हो सकती है कि आने वाले वर्षों में ज्यादा से ज्यादा वंदे भारत ट्रेनों का संचालन किया जाए, जिससे लोगों को सुगम यात्राओं का लाभ मिल सके और सफर में लगने वाले घंटों में कटौती की जा सके.