वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि ASI के सर्वे से क्या दिक्कत है? उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में आज से आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) सर्वे शुरू हो गया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए जिला कोर्ट के ज्ञानवापी मस्जिद में वैज्ञानिक सर्वेक्षण के फैसले को बरकरार रखा था. इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट आज ज्ञानवापी मामले के सुनवाई योग्य होने को लेकर दाखिल याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रहा है.
ज्ञानवापी मामले की सुनवाई के दौरान SC ने दोनों पक्षों की ओर से दी गई दलीलों को सुना. सीजेआई ने कहा कि अहमदी ने तर्क दिया है कि 1991 के मुकदमे में इसी तरह के मुद्दे पर रोक लगा दी गई है. उस केस में कार्बन डेटिंग का मुद्दा लंबित है. अहमदी ने तर्क दिया है कि कार्बन डेटिंग के आदेश पर रोक लगा दी गई थी क्योंकि कार्बन डेटिंग से ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है. संपत्ति को खतरा होने के कारण यथास्थिति का आदेश पारित किया गया था. जबकि वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश किसी भी स्तर पर पारित किया जा सकता है, आमतौर पर वैज्ञानिक सर्वे का आदेश नहीं किया जाना चाहिए. अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि आदेश में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है.
सीजेआई ने कहा कि दूसरी ओर माधवी दीवान ने तर्क दिया है कि सर्वे से अदालत को मुकदमे के विषय पर निर्णय लेने का आधार मिल जाएगा. ये आदेश पूर्वाग्रहपूर्ण नहीं है. अगर सर्वे को साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जाता है तो सभी पक्ष अपनी आपत्तियां दाखिल करने और जिरह करने के हकदार होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे की अनुमति देते हुए कहा कि मस्जिद की दीवारों या ढांचे को कोई खुदाई या क्षति नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद प्रबंधन समिति की उस मांग को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि ASI की फाइनल रिपोर्ट को सीलबंद कवर में रखा जाए.
जिला न्यायाधीश वाराणसी द्वारा एक आदेश पारित किया गया था. जिला न्यायाधीश ने एएसआई को सील किए गए कुछ क्षेत्रों को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद पर वैज्ञानिक जांच/सर्वेक्षण/खुदाई करने का निर्देश दिया था. जिला न्यायाधीश ने इसकी अनुमति देते हुए निर्देश जारी किए. वहीं, हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान एएसआई को बुलाया गया था और एएसआई ने प्रस्तावित सर्वेक्षण की प्रकृति निर्धारित करते हुए एक हलफनामा दायर किया था. ASI ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में उनके हलफनामे से पहले संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि मस्जिद को छुआ न जाए और कोई खुदाई न हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा सभी पक्षों के हमने सुना हैं. हाईकोर्ट ने ASI के एडिशन डायरेक्टर जनरल के बयान के दर्ज किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा ASI ने अदालत को भरोसा दिया कि किसी भी तरह से इमारत को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. (इनपुट- कनु सारदा, अनीषा)
CJI ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महानिदेशक ASI को सहायता के लिए बुलाया गया था. एडीजी एएसआई ने प्रस्तावित सर्वेक्षण की प्रकृति बताते हुए एक हलफनामा दायर किया है. एएसआई द्वारा दायर हलफनामे के पैरा 13- 20 को सुविधा के लिए निकाला गया है. हलफनामे के अलावा गवाह आलोक त्रिपाठी (एडीजी एएसआई) व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए. एडीजी द्वारा दी गई दलीलें हाईकोर्ट के फैसले में दर्ज की गई हैं. वहीं, जिला न्यायाधीश का आदेश सीपीसी के आदेश 26 के दायरे में आता है. लिहाजा अदालत वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्देश दे सकती है.
अहमदी ने कहा कि हमने निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर रोक की भी मांग की है. श्रृंगार गौरी की पूजा की मांग वाली याचिका सुनवाई योग्य माने जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगा. वहीं, सीजेआई ने कहा कि प्लेसेज ऑफ़ वर्शिप एक्ट पर अभी सुनवाई नही करेंगे.
हिन्दू पक्ष की वकील माधवी दीवान ने कहा कि सर्वे किसी के अधिकार का हनन नहीं करेगा. सुनवाई के समय इस बात का प्रस्ताव दिया गया कि अगर कोर्ट चाहे तो पूरी प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग कोर्ट के लिए की जा सकती है. वैज्ञानिक परीक्षण के ज़रिए एक तार्किक नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. वहीं, इस मामले में हिंदू याचिकाकर्ताओं की वकील की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में ये दावा किया गया कि सिविल जज सीनियर डिविजन, वाराणसी ने मुकदमे में मेटेनेबिलिटी स्वीकार कर ली थी. CJI ने कहा कि सूट की वैधानिकता को लेकर दाखिल मस्जिद कमेटी की याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की कॉपी दूसरे पक्ष को देने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी के ASI सर्वे की परमिशन दे दी है. वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी का कहना है कि सर्वेक्षण की पूरी कार्यवाही सीलबंद रखी जानी चाहिए. यदि कुछ भी जारी किया जाता है तो उसमें समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
ज्ञानवापी पर सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आखिर हम इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश मैं दखल क्यों दे? ASI के भरोसे के बाद अदालत ने यह आदेश दिया था. इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा, हमने लिखित दलील में अतिरिक्त जानकारी दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने हमे सुना नहीं. सीजेआई ने कहा कि हम प्रक्रिया के इस चरण में क्यों दखल दें? आप सारी दलीलें तो सुनवाई के दौरान दे चुके हैं. अयोध्या मामले में भी तो एएसआई ने सर्वेक्षण किया था. क्या दिक्कत है! सर्वे का तथ्यात्मक सबूत तो अदालत तय करेगी कि फाइनल सुनवाई के दौरान कौन सा तथ्य, सबूत और रिपोर्ट का कौन सा हिस्सा सुनवाई का हिस्सा बनाया जाए और कौन सा नहीं.
कोर्ट ने कहा कि आप एक ही ग्राउंड पर हर बार हरेक कार्रवाई पर रोक का आग्रह नहीं कर सकते. CJI ने कहा कि वो मुख्य सूट, जिसमें सूट की वैधानिकता पर सवाल उठाए गए है उस याचिका पर नोटिस जारी करते हैं. सीजेआई ने कहा , हम सभी पहलुओं पर सुनवाई करेंगे. लेकिन हम सर्वे के आदेश पर दखल क्यों दे? (इनपुट- संजय शर्मा, अनीषा माथुर)
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है.
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे सर्वे को रोक दिया गया. अभी परिसर में जुमे की नमाज होनी है. ऐसे में अब शाम को ASI की टीम सर्वे कर सकती है.
ASI का सर्वे शुरू हो गया है. ASI की टीम 12 बजे तक सर्वे करेगी. इसके बाद नमाज के लिए परिसर खाली कर दिया जाएगा. वाराणसी प्रशासन का कहना है कि इसके बाद ASI की टीम चाहेगी तो शाम 3 बजे से 5 बजे तक फिर से सर्वे कर सकती है. मुस्लिम पक्ष ने ASI सर्वे से खुद को अलग रखा है, ना तो उनके वकील और ना ही कोई पक्षकार सर्वे के वक्त मौजूद है. मुस्लिम पक्ष ने बकायदा शासन को चिट्ठी लिखकर यह बता दिया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले में रोक लगाने की मांग की है और सुप्रीम कोर्ट का फैसले आने तक इस सर्वे से अलग रहेंगे. ASI की टीम में IIT कानपुर के तीन एक्सपर्ट भी हैं. (इनपुट- कुमार अभिषेक)
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के अंदर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के 16 लोग जाएंगे. (इनपुट- अभिषेक मिश्रा)
हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि सभी लोग वहां पहुंच गए हैं. सर्वेक्षण शुरू हो गया है.
#WATCH | Varanasi, UP: On ASI survey of the Gyanvapi mosque complex, Subhash Nandan Chaturvedi, Advocate representing the Hindu side on the Gyanvapi case says, "All people (including ASI officials) have reached there. The survey has started. We are also going inside." pic.twitter.com/vZgDXfldMW
— ANI (@ANI) August 4, 2023
इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की बेंच ने कहा कि विवादित परिसर पर सर्वेक्षण के लिए वाराणसी जिला कोर्ट का आदेश उचित है, और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. बेंच ने कहा, ASI के इस आश्वासन पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है कि सर्वेक्षण से संरचना को कोई नुकसान नहीं होगा. इसके साथ कोर्ट ने मस्जिद के परिसर में कोई खुदाई नहीं की जानी चाहिए.
- दरअसल, अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी.
- महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है.
- इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
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- SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है. हालांकि, कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना था.
- इसके बाद पांच वादी महिलाओं में से चार ने इसी साल मई में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था. इसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए. इसी पर जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था.
- ज्ञानवापी मस्जिस परिसर के एडवोकेट कमीशन के सर्वे के दौरान वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था.
- दरअसल, सर्वे के दौरान वजूखाने से शिवलिंग जैसी आकृति दिखी थी. हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग तो मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था.
- अभी जो ASI की टीम सर्वे करेगी, वो इस वजूखाने और उसमें मिले कथित शिवलिंग का सर्वे नहीं करेगी. क्योंकि ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पूरे एरिया को सील कर दिया गया है.
- अदालत के आदेश पर अब ASI की टीम मस्जिद परिसर का सर्वे करेगी. हालांकि, ASI उस वजूखाने का सर्वे नहीं करेगी, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था.
- हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि इस सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा.
- हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर के अंदर जो बीच का गुम्बद है, उसके नीचे की जमीन से धपधप की आवाज आती है. ऐसा दावा है कि उसके नीचे मूर्ति हो सकती है, जिसे कृत्रिम दीवार बनाकर ढंक दिया गया है.
- हिंदू पक्ष के वकील का कहना है कि ASI की टीम पूरे मस्जिद परिसर का सर्वे करेगी. हालांकि, सील्ड एरिया का सर्वे नहीं किया जाएगा.
दरअसल, पिछले दिनों जिला जज एके विश्वेश ने मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी थी. इसी आदेश के बाद ASI की टीम सोमवार को ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा था. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट का रुख किया था. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी.