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वक्फ बिल पर समर्थन जुटाने की मुहिम में जुटी VHP, अब तक 350 सांसदों से मुलाकात

विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि उसने अब तक पार्टी लाइन से ऊपर उठकर 350 से अधिक सांसदों से संपर्क किया है और उनसे वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने गुरुवार को कहा कि उसने अब तक पार्टी लाइन से ऊपर उठकर 350 से अधिक सांसदों से संपर्क किया है और उनसे वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया है. संगठन के महासचिव बजरंग लाल बागड़ा ने एक बयान में कहा कि VHP कार्यकर्ताओं ने सांसदों के साथ संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए ‘विशेषाधिकारों’ को हिंदू समाज तक बढ़ाने के मुद्दे पर भी चर्चा की.

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मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग
उन्होंने सांसदों से विहिप की इस मांग का भी समर्थन करने का आग्रह किया कि देश के सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए. बागड़ा ने कहा, 'विश्व हिंदू परिषद ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान चलाए गए अपने वार्षिक सांसद संपर्क अभियान में अब तक 350 से अधिक सांसदों से संपर्क किया है और हिंदू समाज से संबंधित तीन अलग-अलग विषयों पर चर्चा की है.'

उन्होंने कहा कि सांसदों के साथ जिन तीन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें विहिप की यह मांग भी शामिल है कि सरकार के नियंत्रण वाले सभी मंदिरों को हिंदू समाज को सौंप दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमने सांसदों से भारत सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन करने का आग्रह किया. संशोधनों के जरिए कानून को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए.'

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बागड़ा ने कहा कि सांसदों के साथ बैठक के दौरान विहिप कार्यकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 29 और अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यकों को दिए गए विशेषाधिकारों को हिंदू समाज तक बढ़ाने के मुद्दे पर भी चर्चा की.

उन्होंने कहा, 'संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक समुदाय को अपने धार्मिक शैक्षणिक संस्थान चलाने की अनुमति देते हैं. इसी तरह की सुविधाएं हिंदू समाज को भी दी जानी चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि हिंदुओं को ऐसे अधिकारों से वंचित रखा गया है.'

बागड़ा ने कहा कि विहिप ने तीनों मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पार्टी लाइन से हटकर सभी सांसदों से मिलने का समय मांगा था. उन्होंने कहा, 'हमें खुशी है कि उनमें से अधिकांश ने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उनके साथ बहुत ही सार्थक और उपयोगी चर्चा हुई.'

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