जैन समाज के पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले के विरोध में जैन समाज पूरे देश में प्रदर्शन कर रहा है. इस बीच विकास के नाम पर जैन तीर्थों की मर्यादा के साथ हो रही छेड़छाड़ मामले विश्व हिंदू परिषद भी सामने आया है. परिषद ने झारखंड सरकार से पार्श्वनाथ सम्मेद शिखर जी की मर्यादा, पवित्रता और अनुशासन के मुताबिक तीन सूत्रीय मांगों पर शीघ्र, सख्त और सीधा हस्तक्षेप करने और उसके लिए समुचित उपाय करने का आग्रह किया है.
उधर देश भर के अनगिनत शहरों में बसे जैन मतावलंबी इस धार्मिक, भावनात्मक, आस्था और संवेदनशील धार्मिक मुद्दे पर केंद्र और झारखंड सरकार के उदासीन रवैए के खिलाफ अपना शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं. दिल्ली में विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष संजय जैन की अगुआई में कई लोगों ने पिछले हफ्ते भर से अनिश्चितकालीन अनशन किया हुआ है तो डूंगरपुर में नीरज जैन की अगुआई में अनगिनत युवकों ने अन्न त्याग कर दिया है.
विश्व हिंदू परिषद ने इंदौर में चल रहे महत्वपूर्ण चिंतन के दौरान इस मामले पर कहा है कि तीर्थों का विकास श्रद्धा व आस्थानुरूप हो, ना कि पर्यटन केंद्रों के रूप में. परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा है कि शाश्वत सिद्ध क्षेत्र पार्श्वनाथ पर्वतराज और तीर्थराज सम्मेद शिखर की मर्यादा और पवित्रता की रक्षार्थ जैन समाज की चिंता से विश्व हिंदू परिषद सहमत है.
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने इस पर जोर देते हुए कहा कि विश्व हिंदू परिषद भारत के सभी तीर्थ स्थलों की पवित्रता की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध व प्रयासरत है. हमारा यह स्पष्ट मत है कि किसी भी तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हम इस बात के निरंतर प्रयास कर रहे हैं कि प्रत्येक राज्य सरकार और केंद्र सरकार स्वतंत्र तीर्थाटन मंत्रालय बनाएं, जो श्रद्धालुओं और अनुयायियों की श्रद्धा तथा आस्था के अनुरूप ही तीर्थ स्थलों का विकास करें.
विहिप केंद्र सरकार व झारखंड की राज्य सरकार से आग्रह करती है कि:
1. संपूर्ण सिद्ध क्षेत्र पार्श्वनाथ पर्वत को पवित्र क्षेत्र घोषित किया जाए. वहां ऐसी कोई गतिविधि न हो जिससे जैन आस्थाओं को आघात पहुंचे. इस तीर्थ क्षेत्र की सीमा में मांसाहार व नशाखोरी को किसी भी तरह अनुमति नहीं दी जा सकती.
2. झारखंड में अविलंब तीर्थाटन मंत्रालय की स्थापना की जाए जिससे सिद्ध क्षेत्र पार्श्वनाथ पर्वत के साथ-साथ वहां के सभी तीर्थ स्थलों का विकास अनुयायियों की श्रद्धा के अनुसार ही हो.
3. सिद्ध पार्श्वनाथ पर्वत व तीर्थराज सम्मेद शिखर को कभी भी पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित न किया जा सके, इसके लिए तत्सम्बन्धी अधिसूचनाओं में आवश्यक संशोधन किया जाए.
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष ने आश्वस्त किया कि विहिप जैन समाज के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस दिशा में आवश्यक कार्यवाही करने के लिए शीघ्र सार्थक प्रयास को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाएगी.