उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थानों ( ICAR) के स्वयं ऑडिट का आह्वान किया और कहा कि कृषि और कृषि विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है. तेलंगाना के मेडक में आयोजित प्राकृतिक और जैविक किसान शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मेरा विश्वास है कि हम एग्रीकल्चर और एग्रीकल्चर डेवलपमेंट पर उतना ध्यान नहीं दे पाए हैं, जितना हमें देना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में कुछ बदलाव आए हैं, लेकिन उनका बजट देखिए, हजारों वैज्ञानिक हैं, करीब 5,000. जबकि करीब 25 हजार लोग कार्यरत हैं. इसका बजट 8 हजार करोड़ से ज्यादा है, लेकिन सवाल ये है कि हम किसके लिए शोध कर रहे हैं? हम किसके जीवन में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या उनके जीवन में कोई बदलाव आ रहा है? इन संस्थाओं का ऑडिट करने का समय आ गया है, और किसी संस्था का ऑडिट करने का सबसे अच्छा तरीका है सेल्फ ऑडिट.
'हर संस्था को एक संकल्प लेना होगा'
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हर संस्था को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे और बेहतर प्रदर्शन करेंगे. हम किसानों को राहत देने वाला काम करेंगे, हम किसानों को जागरूक करेंगे. अगर इन संस्थाओं में रोजाना 100 किसान भी आएंगे, तो बड़ा बदलाव आएगा. यह एक सकारात्मक आंदोलन का रूप लेगा. इसलिए मेरा सरकार से, इन संस्थाओं में काम करने वाले लोगों से, चुने हुए प्रतिनिधियों से और ऐसी संस्थाओं से, जिसमें एकलव्य ग्रामीण विकास जैसी संस्थाएं भी शामिल हैं, उनसे आग्रह है कि वे किसानों के कल्याण के लिए ऐसी व्यवस्थाएं बनाएं, जिससे भारत के किसान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ किसानों में से एक बन सकें.
'हमें किसान पर विशेष ध्यान देना होगा'
धनखड़ ने कहा कि ये एक लक्ष्य है, इस लक्ष्य में सबसे महत्वपूर्ण योगदान ग्रामीण व्यवस्था का है, किसान का है. हमारी चुनौती है कि प्रति व्यक्ति आय आठ गुना बढ़े, तभी विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त होगा. लक्ष्य अवश्य प्राप्त होगा, लेकिन हमें किसान पर विशेष ध्यान देना होगा. 23 दिसंबर को पूरा देश किसान दिवस मनाता है, ये भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जन्म जयंती है, यही विजन भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दिखाया था. उन्होंने 2001 में किसान दिवस के रूप में इसकी शुरुआत की थी. आने वाले दो वर्षों में हम किसान दिवस की रजत जयंती मनाएंगे, मेरा सभी से, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से, इसके सैकड़ों संस्थानों से, विश्वविद्यालयों से, 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्रों से यही अनुरोध है कि वो अभी से इस पर काम करना शुरू कर दें.