भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने जंतर मंतर पर पिछले चार दिन से मोर्चा खोल रखा है. विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक समेत करीब एक दर्जन पहलवान न सिर्फ जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं, बल्कि रात में भी वहीं सो रहे हैं. बुधवार सुबह ये पहलवान सड़क पर ही वार्मअप करते भी नजर आए.
ये पहलवान बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने और उत्पीड़न की जांच के लिए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं. विनेश फोगाट साफ कर चुकी हैं कि जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाता, तब तक पहलवान जंतर मंतर पर ही डटे रहेंगे. वहीं खाएंगे, वहीं सोएंगे और वहीं एक्सरसाइज भी करेंगे. इससे पहले मंगलवार को पहलवानों की मैट भी जंतर मंतर पर लाई गई थी. धरना दे रहे एक पहलवान ने कहा था कि वे यहीं अपनी प्रैक्टिस भी शुरू करेंगे.
पहलवानों की ओर से बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में FIR दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया है. इस याचिका पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है. इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी. उधर, पहलवानों के आरोपों से जुड़े सवाल पर बृजभूषण शरण सिंह चुप्पी साध गए. हालांकि, उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में गया है, तो कोर्ट ही तय करेगा. उधर, खाप पंचायतें भी जंतर मंतर पर पहलवानों का साथ देने पहुंचने लगी हैं.
शिकायत करने वाली महिलाओं को जान का खतरा- बजरंग पूनिया
पहलवानों द्वारा दायर याचिका में 7 महिला रेसलर्स ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. पहलवान बजरंग पूनिया ने शिकायत करने वाली महिला रेसलर्स को जान का खतरा बताया है. उन्होंने मंगलवार को कहा था, शिकायत करने वाली 7 महिला रेसलर्स की एकता को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. इतना ही नहीं शिकायत करने वाली महिला पहलवानों की जान को भी खतरा है.
उन्होंने कहा, कुश्ती संघ के लोग शिकायतकर्ताओं के घर पहुंच रहे हैं, उन्हें पैसे का लालच दे रहे हैं. अगर शिकायतकर्ताओं को कुछ होता है, तो दिल्ली पुलिस और सरकार इसके लिए जिम्मेदार होंगे. उन्होंने कहा, हमने सरकार से छुट्टी ली है. विरोध करना हमारा अधिकार है. सभी का धरना स्तर पर स्वागत है. यहां तक की बीजेपी का भी. यहां कोई वोट मांगने के लिए नहीं आ रहा है. इस धरने का चुनाव से कोई संबंध नहीं है. हम यहां राजनीति करने नहीं आए हैं. न ही हमें एमपी, विधायक बनना है. सभी रेसलर हमारे साथ हैं. जब तक बृजभूषण सिंह को उनके कामों के लिए सजा नहीं मिल जाती, हम धरने से नहीं उठेंगे.
दूसरी बार धरने पर पहलवान
8 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर से ऐसी तस्वीर सामने आई थी, जिसने सभी को चौंका दिया था. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम कर चुके करीब 20 रेसलर्स ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. रेसलर्स के पास महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न, अभद्रता, क्षेत्रवाद जैसे गंभीर आरोपों की लंबी लिस्ट थी. प्रदर्शन करने वाले पहलवानों में ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, सरिता मोर और सुमित मलिक जैसे बड़े नाम शामिल थे.
इसके बाद खेल मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया था. मंत्रालय की सिफारिश पर पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था. इस दौरान मंत्रालय की ओर से यौन उत्पीड़न समेत लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया था. अब तीन महीने बाद रविवार यानी 23 अप्रैल को पहलवानों ने फिर से मोर्चा खोल दिया.
कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
पहलवानों ने अब खेल मंत्रालय द्वारा बनाई गई कमेटी पर भी सवाल उठाए हैं. विनेश फोगाट ने बताया था, मंत्रालय और कमेटी से तीन महीने से जवाब मांगने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन न वक्त मिल रहा है और न ही जवाब. अध्यक्ष ब्रजभूषण के लिए कहा कि नहीं पता उनको बचाने के लिए कौन लोग उनका साथ दे रहे हैं. बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और मौजूद सभी पहलवानों ने कहा कि, कमेटी की रिपोर्ट सबमिट हो गई, लेकिन रिपोर्ट में क्या है कमेटी को बताना चाहिए. कमेटी क्या कर रही है, क्या नहीं हमें नहीं पता.
प्रियंका गांधी ने साधा मोदी सरकार पर निशाना
प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी का साथ मिला है. प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, खिलाड़ी देश का मान होते हैं. देश उन पर गर्व क्यों करता है? क्योंकि तमाम मुश्किलों के बावजूद अथक मेहनत और बहुत कुछ सहकर जब वे पदक जीतते हैं, तो उनकी जीत में हमारी जीत होती है, देश मुस्कुरा उठता है.
उन्होंने कहा, महिला खिलाड़ियों की जीत बाकियों से बड़ी होती है. वे देश की संसद के बगल की सड़क पर आंखों में आंसू लिए बैठी हैं. लंबे समय से चल रहे शोषण के खिलाफ उनकी शिकायत कोई सुन नहीं रहा. मजबूत बाजुओं मगर भोले दिल की इन लड़कियों ने यकीन किया जब इनसे सरकार ने कहा कि जांच होगी. मगर जांच नहीं हुई. सजा का प्रश्न ही नहीं उठा. क्या सरकार दोषियों को बचाना चाहती है?
प्रियंका ने कहा, किसका दबाव है दिल्ली पुलिस पर? क्यों इसी पुलिस द्वारा विपक्ष के नेताओं पर भारत जोड़ो यात्रा में किसी लड़की का दर्द सुनने पर पूछताछ की जाती है, मगर देश का मान बढ़ाने वाली खिलाड़ियों की गुहार अनसुनी कर दी जाती है? एक पार्टी और उसके नेताओं का घमंड जब आसमान चढ़ जाता है तब ऐसे ही आवाजों को कुचला जाता है। आइये अपनी इन बहनों का साथ दें। यह देश के मान की बात है.