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Explainer: हरियाणा का विशाल जूद कैसे बना ऑस्ट्रेलिया में 'हीरो', कैसे हुई कहानी की शुरुआत?

ऑस्ट्रेलिया की जेल में बंद विशाल जूद के मामले को लेकर आज सिडनी की कोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन परिवार वालों ने आरोप लगाया है कि विशाल को कानूनी मदद नहीं दी जा रही है. इससे उसकी रिहाई में देरी हो सकती है.

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विशाल सूद (फोटो-सोशल मीडिया)
विशाल सूद (फोटो-सोशल मीडिया)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अप्रैल में विशाल को किया था गिरफ्तार
  • विशाल पर हिंसा भड़काने का आरोप है
  • हरियाणा का विशाल सिडनी में काम करता है

हरियाणा के रहने वाले विशाल जूद ऑस्ट्रेलिया की जेल में बंद हैं. उनकी रिहाई को लेकर न सिर्फ हरियाणा, बल्कि ऑस्ट्रेलिया में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. जो लोग विशाल का समर्थन कर रहे हैं, उनका कहना है कि विशाल ने सिडनी में भारतीय तिरंगे को अपमानित होने से बचाया था, लेकिन बाद में उसे झूठे मामले में फंसाकर जेल भेज दिया गया. विशाल जूद को आज भारतीयों के 'हीरो' के तौर पर पेश किया जा रहा है, लेकिन इस पूरे मामले की कहानी शुरू कैसे हुई? आइए समझते हैं...

विशाल पर क्या हैं आरोप?

24 साल के विशाल जूद हरियाणा के रहने वाले हैं और करीब 4 साल पहले वो ऑस्ट्रेलिया चले गए थे. अभी विशाल सिडनी में एक कंपनी में काम कर रहे थे. 16 अप्रैल 2021 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें गिरफ्तार इसलिए किया गया क्योंकि पुलिस का कहना है कि बीते कुछ समय में भारतीय और खलिस्तानी समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़प में विशाल और उसके साथियों का हाथ था.

न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने एक बयान में कहा कि विशाल पर भड़काने के तीन मामले, अपराध करने के इरादे से हथियार रखने के तीन मामले, संपत्ति को नष्ट करने या क्षति पहुंचाने के दो मामले और अपने साथियों के साथ मिलकर किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज है.

कैसे शुरू हुई कहानी?

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पिछले साल टिकटॉक पर एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में पगड़ी पहने कुछ लोग तिरंगे का अपमान करते दिख रहे थे. ये वीडियो बहुत विवादित था क्योंकि इसमें तिरंगे का अपमान किया गया था. इसके बाद खलिस्तानी समर्थक और भारतीयों के बीच झड़प हुई थी. 

सोशल मीडिया पर हुआ ये सिलसिला 29 अगस्त 2020 को उस वक्त हिंसा में बदल गया, जब हैरिस पार्क इलाके में दो गुटों के बीच झड़प हो गई. पहला गुट भारतीयों का था और दूसरा गुट खलिस्तानी समर्थकों का. विशाल जूद भारतीयों के गुट को लीड कर रहे थे. इसके बाद सितंबर और दिसंबर में भी इसी तरह की दो बार झड़पें हुईं.

लाल किला कांड का खालिस्तान कनेक्शन? 26 जनवरी को हिंसा से पहले हुई थी रेकी

फिर हीरो बन गए विशाल...

इसके बाद सोशल मीडिया पर एक और वीडियो वायरल हुआ, जिसमें विशाल तिरंगे को बचाते दिख रहे थे. बाद में खलिस्तानी समर्थकों ने कथित तौर पर उनको पीटा भी था. ये सब होने के बाद हरियाणा के विशाल सूद ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के हीरो बन गए. इस मामले में विशाल को जब गिरफ्तार कर लिया गया, तो सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, उनकी रिहाई की मांग होने लगी. विशाल की तारीफ में सोशल मीडिया पर एक हरियाणवी गाना 'तेरा हिंदू खून मार गया उबाले, तिरंगे का न होने दिया अपमान रे' चलाया गया. 

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लाल किले पर हुई हिंसा से क्या है कनेक्शन?

विशाल की गिरफ्तारी को किसान आंदोलन और 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा से भी जोड़ा जा रहा है. विशाल के परिवार से जुड़े सूत्रों ने आजतक को बताया कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद विशाल जूद ने सिडनी में 14 फरवरी को तिरंगा रैली का आयोजन किया था. लेकिन कुछ खलिस्तानी समर्थकों ने रैली रोकने की कोशिश की और विशाल और उसके साथियों से भिड़ गए. 

सीएम खट्टर ने भी किया रिहाई का वादा!

विशाल जूद उस रोड समुदाय से आते हैं, जो हरियाणा में अच्छी खासी पकड़ रखता है. रोड समुदाय ने विशाल की रिहाई के लिए बीते दिनों करनाल में एक प्रदर्शन भी किया था. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करनाल से ही आते हैं. इस बीच रविवार को सीएम खट्टर ने एक बार फिर कहा है कि वो विशाल की रिहाई का मुद्दा विदेश मंत्रालय के सामने उठाएंगे. 

उन्होंने कहा कि वो एक बार फिर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मिलेंगे और ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिशन से इस मामले में दखल देने और विशाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील करेंगे. 23 जून को विदेश मंत्री जयशंकर ने सीएम खट्टर को विशाल की जल्द रिहाई का आश्वासन दिया था.

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आज सिडनी में सुनवाई, लेकिन परिवार ने लगाया आरोप

विशाल जूद के मामले में गुरुवार को सिडनी की एक कोर्ट में सुनवाई होनी है, लेकिन परिवार वालों ने कानूनी मदद नहीं मिलने का आरोप लगाया है. विशाल के पिता नाथी राम ने आजतक को बताया कि भारतीय एंबेसी के किसी भी अधिकारी ने दोबारा विशाल से मुलाकात नहीं की. परिवार को डर है कि कानूनी मदद नहीं मिलने पर विशाल की रिहाई में देरी हो सकती है.

नाथी राम ने कहा, "अभी तक कुछ नहीं हुआ है. एंबेसी का कोई भी अधिकारी विशाल से दोबारा मिलने नहीं गया है. उसे कानूनी मदद की सख्त जरूरत है. अगर उसे समय पर कानूनी मदद नहीं दी गई तो रिहाई में देरी हो सकती है." नाथी राम ने विशाल के साथ जेल में गलत बर्ताव होने और मारपीट होने का आरोप भी लगाया है.

विशाल के पिता ने बताया, "उसने मुझे फोन किया था और बताया था कि जेल में उसे खतरा है. उसे दिया जा रहा खाना भी अच्छा नहीं है. उसे सिर्फ रोटी दी जा रही है."

 

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