'लव जिहाद' के खिलाफ खुलकर बोलने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक बार फिर इसे लेकर बड़ा बयान दिया है. सीएम सरमा ने कहा कि लव- जिहाद को रोका जाना चाहिए क्योंकि यह समाज में तनाव पैदा करता है. मुख्यमंत्री राज्य के पुलिस अधीक्षकों के दो दिवसीय सम्मेलन के बाद बोंगाईगांव में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वह राज्य में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांतिपूर्ण माहौल चाहते हैं लेकिन जिहाद और जबरन धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दे तनाव पैदा करते हैं.
ब्लैकमेल कर होता है लव जिहाद
उन्होंने कहा, 'लव जिहाद' के ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि लड़कियों को जबरन ले जाया जाता है और फिर उनके कुछ वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जाता है. सीएम सरमा ने कहा, 'हमें यह देखना होगा कि क्या लड़कियों का जबरन दूसरे धर्म में धर्मांतरण किया जा रहा है और दबाव में शादी की जा रही है... हमें ऐसी शादियों को जांच के दायरे में लाना होगा. एक काजी (मुस्लिम मौलवी) हिंदू-मुस्लिम विवाह को पंजीकृत नहीं कर सकता. इसी तरह, एक हिंदू पुजारी भी कानूनी तौर पर ऐसा नहीं कर सकता... अगर अलग-अलग धर्मों के लड़के और लड़कियां शादी करना चाहते हैं तो उन्हें विशेष विवाह अधिनियम के तहत बिना धर्म परिवर्तन किए ऐसा करना चाहिए.'
अभिभावकों से की अपील
साथ ही, उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों का मार्गदर्शन करें ताकि 'लव जिहाद' जैसी स्थिति पैदा न हो, क्योंकि हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच सांस्कृतिक मतभेद हैं और दोनों धर्मों में से किसी भी एक अलग धर्म में शादी करने से लड़कियों को लोगों के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई होती है. सरमा ने कहा कि सम्मेलन के दौरान 'लव जिहाद' के मामलों की जांच को व्यापक बनाने के तरीकों पर चर्चा की गई.
बाल-विवाह पर लगानी है पूरी रोक
मुख्यमंत्री ने पुलिस से 'लव-जिहाद' के मामलों की जांच के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया विकसित करने को कहा है, जो राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन का मूल कारण है. सरमा ने दावा किया कि गोलाघाट में तिहरा हत्याकांड जहां 25 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति ने सोमवार को अपनी हिंदू पत्नी और उसके माता-पिता की हत्या कर दी, वह 'लव जिहाद' का मामला था.
सरमा ने कहा कि कि बाल विवाह पर कार्रवाई का दूसरा दौर सितंबर में शुरू किया जाएगा और सम्मेलन में इस मामले पर विस्तार से चर्चा की गई. सरमा ने कहा, बाल विवाह की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है और अधिकांश जिलों में यह नगण्य है, लेकिन 'हमारा लक्ष्य इसे शून्य बनाना है.'