प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन करने की तैयार कर रही है. अधिनियमों में संशोधन को लेकर बिल संसद में पेश किया जा सकता है. इस बीच ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (एआईएसएससी) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया के सज्जादानशीन सैयद फरीद अहमद निजामी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा, 'जब हमारे सामने मसौदा आएगा, तब हम संशोधन पर टिप्पणी करेंगे. हम लंबे समय से संशोधन की मांग कर रहे थे. हम मौजूदा सरकार से कह रहे हैं कि मौजूदा वक्फ अधिनियम दरगाहों और उनकी सूफी संस्कृति की रक्षा नहीं करता. हम चाहते हैं कि या तो दरगाह बोर्ड बनाया जाए या फिर दरगाहों को इस अधिनियम से अलग कर दिया जाए. वक्फ एक्ट समुदाय के फायदे के लिए है. सरकार हमारी बात सुनने के लिए है. इसे पढ़े बिना इसका विरोध करना ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा, 'कल हम एनएसए अजीत डोभाल से मिले, उन्होंने हमारी बात सुनी. कल हम अल्पसंख्यक मंत्री किरण रिजिजू से भी मिले. उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि हमारी बात सुनी जाएगी. जब विधेयक प्रवर समिति के पास जाएगा, तो वे हमसे सुझाव भी लेंगे. उनका मानना है कि भारत की सूफी संस्कृति की रक्षा करना जरूरी है. हमें उम्मीद है कि इस मामले में दरगाहों के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे.
सैयद फरीद अहमद निजामी ने कहा कि वक्फ एक्ट बिना पढ़े कोई कैसे बता सकता है कि ड्राफ्ट में क्या है? अगर उसमें कोई कमी है तो आप उसे सरकार के सामने रख सकते हैं.
'यह शरीयत में हस्तक्षेप नहीं, इससे वक्फ की शक्ति कम नहीं होती'
उधर, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा, 'वक्फ अधिनियम 1954 में बना था. तत्कालीन सरकार ने 1995 में इसे पूरी तरह बदल दिया. 2013 में अधिनियम में कई संशोधन किए गए. इसलिए अब अगर संशोधन हो रहा है तो इसे नकारात्मक रूप से लेने की जरूरत नहीं है. हमें सरकार पर भरोसा करना चाहिए, वह 'सबका साथ, सबका विकास' के लिए समर्पित है. रिपोर्ट के अनुसार ऐसा लगता है कि अधिनियम में करीब 32 संशोधन होने जा रहे हैं. अगर यह कलेक्टर के पास रजिस्ट्रेशन या न्यायिक जांच के बारे में है, तो इसमें किसी को क्या दिक्कत होनी चाहिए? 2013 में इसमें संशोधन किया गया था कि सरकार हर 10 साल में इसका नक्शा बनाए. यह शरीयत में हस्तक्षेप नहीं है और इससे वक्फ की शक्ति कम नहीं होती.'
सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दी है. इन संशोधनों के पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित हो जाएंगी. इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है.
मोदी सरकार का क्या है प्लान?
सरकार कैबिनेट में वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को "वक्फ संपत्ति" बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है. इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है. वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन किया जाएगा. संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट और ट्रांसफर में बड़ा बदलाव आएगा. सूत्रों का कहना है कि कानून में संशोधन की वजहों का भी जिक्र किया है. इसमें जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है.