तमिलनाडु के 18 गांवों की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोक दिया है. जिसमें कहा गया है कि इन गांवों में मौजूद 389 एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड की है, जिसे 1954 में सर्वे के आधार पर सरकार द्वारा दिया गया था. बताया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड की तरफ से 220 पन्नों का एक दस्तावेज तैयार करके सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दिया गया है. जिसके आधार पर किसानों के जमीन बेचने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. वहीं इन गांवों के लोग अब इसको लेकर परेशान हैं और रजिस्ट्रार कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. ऐसा ही एक मामला तिरुचिरापल्ली गांव का भी है, जहां के ग्रामिणों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये एक हिंदू बहुल इलाका है और यहां पर एक 1500 साल पुराना मंदिर भी है. ऐसे में यहां की जमीन पर वक्फ बोर्ड का कब्जा कैसे हो सकता है.
अब इस पर आजतक से बातचीत करते हुए वक्फ बोर्ड के चेयरपर्सन एम अब्दुल रहमान ने कहा कि उनके अनुरोध पर सब-रजिस्ट्रार ऑफिस ने जमीन से जुड़े कार्यों पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड के मुताबिक 1954 में सरकारी सर्वे के मुताबिक ही जमीन की सही रजिस्ट्री हुई है. जैसा कि हमने सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को सभी गांवों की जमीन की सर्वे रिपोर्ट भेजी है, उसमें गांवों के बड़े इलाके शामिल है.
1954 के सर्वे का दिया हवाला
उन्होंने कहा कि 1954 में हमारे वक्फ बोर्ड रिकॉर्ड में सरकार द्वारा सर्वेक्षण की गई भूमि की जानकारी ठीक से दर्ज की गई है. जानकारी के अनुसार हमने सर्वेक्षण संख्या या गांव के नाम के साथ सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को जानकारी भेजी है. जिसमें गांवों के विशाल क्षेत्र की जानकारी है. एक सीमित संपत्ति के लिए जानकारी आसानी से प्रदान की जा सकती है, लेकिन यह एक विशाल संपत्ति है और इसमें कई जानकारी शामिल हैं, जिन्हें भेजा जाना बाकि है. इस भ्रम को दूर करने के लिए हम अपने संग्रह से सभी रिकॉर्ड निकाल कर प्रदान करेंगे. हालांकि इसमें कितना समय लगेगा, ये फिलहाल नहीं बता सकते.
सर्वे के बाद 389 एकड़ जमीन मिलने का दावा
वक्फ रिकॉर्ड के अनुसार उनके पास 389 एकड़ जमीन है, जिसकी पैमाइश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सर्वे में की गई है. और 1954 में इसे वक्फ संपत्ति के रूप में अंकित किया गया है. अब्दुल रहमान ने कहा, "हम संग्रह से जानकारी प्रस्तुत करेंगे और सब-रजिस्ट्रार कार्यालय को देंगे. लोग इस जमीन पर अपनी खेती आदि करते रह सकते हैं, लेकिन वह इस पर अपना दावा नहीं कर सकते."
'धार्मिक रूप देना ठीक नहीं'
धर्म पर आधारित राजनीति को दरकिनार करते हुए अब्दुल रहमान ने कहा, "कुछ वक्फ क्षेत्रों में हमारे टाइटल डीड में कुछ सराहनीय जानकारी है. जिसमें कहा गया है कि इस जमीन के कुछ विशाल क्षेत्र खंडों में मंदिर और मंदिर के तालाबों के लिए दो या तीन स्थान दिए गए हैं. इस तरह की जानकारी दस्तावेजों में है. हमें गर्व है कि वक्फ संपत्ति मंदिर और मंदिर के तालाबों के लिए दी गई है. कोई भी चैरिटेबल संपत्ति या भूमि लोक कल्याण के लिए होनी चाहिए. इसे धार्मिक रूप देना ठीक नहीं है."