केंद्र सरकार ने केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के इस दावे का खंडन किया कि वायनाड में बड़े पैमाने पर भूस्खलन से पहले कोई ऑरेंज अलर्ट जारी नहीं किया गया था, केंद्र सरकार ने कहा कि 29 जुलाई की दोपहर को भारी बारिश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था और यह 30 जुलाई तक के लिए था. इसके साथ ही भूस्खलन और स्थानीय स्तर पर जलभराव की संभावना जताई गई थी.
केंद्र ने कहा कि भूस्खलन 30 जुलाई को सुबह करीब 2:17 बजे हुआ. साथ ही दावा किया कि केरल सरकार के पास चेतावनी पर कार्रवाई करने के लिए "पर्याप्त समय" था.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे को खारिज करने के बाद केंद्र सरकार ने ये फैक्ट पेश किए कि राज्य सरकार ने भारी बारिश के कारण वायनाड में संभावित प्राकृतिक आपदा के बारे में केंद्र की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया.
सरकार ने एक बयान में कहा कि इस दुखद घटना से 5 दिन पहले IMD द्वारा जारी किए गए भारी बारिश के अलर्ट में 25, 26, 27, 28 और 29 जुलाई के आधार पर 29 जुलाई को 8.30 बजे से 30 जुलाई 8.30 बजे के दौरान केरल में बहुत भारी बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया गया था.
बयान में कहा गया कि आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति के अनुसार आपदा प्रबंधन को लेकर पर्याप्त तैयारी और उपायों की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है. केंद्र ने आगे कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने भी 29 जुलाई को दोपहर 2 बजे वायनाड के लिए राज्य अधिकारियों को भूस्खलन की चेतावनी दी थी, जबकि आपदा 30 जुलाई की सुबह हुई थी.
केंद्र के डॉक्यूमेंट्स में कहा गया है कि जैसा कि केरल के मुख्यमंत्री ने खुद बताया है कि GSI ने 29 जुलाई को दोपहर 2 बजे वायनाड में भूस्खलन की चेतावनी दी थी, जबकि केरल के SDMA द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार भूस्खलन 30 जुलाई की रात 2.17 बजे हुआ था.
बता दें कि 30 जुलाई को केरल के वायनाड में हुए भीषण भूस्खलन में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जिला प्रशासन के अनुसार, कम से कम 218 लोग अभी भी लापता हैं. जिला प्रशासन ने कहा कि भूस्खलन से विस्थापित हुए लगभग 9910 लोगों को वायनाड में 94 राहत शिविरों में ले जाया गया है.