आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार के बीजेपी और इंडिया ब्लॉक पर तंज कसे जाने के बाद सियासत गरमा गई है. बिहार सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता नितिन नबीन का बयान आया है. नितिन नबीन ने कहा, बीजेपी ने कभी भी राम के नाम को राजनीति से नहीं जोड़ा है. देश की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए राम जी को स्थापित किए जाने का काम किया है. उनका (इंद्रेश कुमार) संदर्भ क्या है, हम उस पर ज्यादा तो टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन हम लोगों ने सांस्कृतिक विरासत को स्थापित किया है.
इससे पहले बिहार में एनडीए की सहयोगी JDU ने भी प्रतिक्रिया दी है. जेडीयू नेता खालिद अनवर ने कहा, RSS को ये सब बयान नहीं देना चाहिए. इंद्रेश कुमार आरएसएस के बड़े नेता हैं. इनके ऊपर आतंकवाद और ट्रेन ब्लास्ट के आरोप थे. जब बीजेपी की सरकार आई तो इनको मुक्ति मिली. इन लोगों को ये सब बयान नहीं देना चाहिए. बीजेपी का अगर बुरा हाल हुआ है तो इस पर बीजेपी मंथन करेगी. आरएसएस को नहीं पड़ना चाहिए.
चुनाव से पहले क्यों नहीं बोले बीजेपी वाले अहंकारी हैं...
इधर, कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने बीजेपी पर तंज कसा है. तिवारी ने कहा, इंद्रेश कुमार इतने बड़े आरएसएस के नेता हैं. मोहन भागवत ने भी अहंकार और मणिपुर की बात की थी. बीजेपी के दो बड़े नेता अहंकारी हो गए हैं. आरएसएस अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है. 10 साल से इन लोगों को नियंत्रित क्यों नहीं किया. चुनाव से पहले क्यों नहीं बोले कि बीजेपी वाले अहंकारी हैं.
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RSS नेता इंद्रेश ने क्या कहा है..
इंद्रेश कुमार ने सत्तारूढ़ बीजेपी को 'अहंकारी' और विपक्षी इंडिया ब्लॉक को 'राम विरोधी' करार दिया है. इंद्रेश ने कहा, राम सबके साथ न्याय करते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव को ही देख लीजिए. जिन्होंने राम की भक्ति की, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अंहकार आ गया. उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित कर दिया. लेकिन जो उसको पूर्ण हक मिलना चाहिए, जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने अंहकार के कारण रोक दी. जिन्होंने राम का विरोध किया, उन्हें बिल्कुल भी शक्ति नहीं दी. उनमें से किसी को भी शक्ति नहीं दी. सब मिलकर भी नंबर-1 नहीं बने. नंबर-2 पर खड़े रह गए. इसलिए प्रभु का न्याय विचित्र नहीं है. सत्य है. बड़ा आनंददायक है.
इंद्रेश ने आगे कहा, जिस पार्टी ने (भगवान राम की) भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक दिया गया, लेकिन उसे सबसे बड़ी पार्टी बना दिया गया. उन्होंने स्पष्ट रूप से इंडिया ब्लॉक का जिक्र करते हुए कहा, जिनकी राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया. उन्होंने आगे कहा, लोकतंत्र में रामराज्य का विधान देखिए, जिन्होंने राम की भक्ति की लेकिन धीरे-धीरे अहंकारी हो गए, वो पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन जो वोट और ताकत मिलनी चाहिए थी, वो भगवान ने उनके अहंकार के कारण रोक दी.
सच्चे 'सेवक' में अहंकार नहीं होता...
इंद्रेश कुमार से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान भी चर्चा में आया था. मोहन भागवत ने कहा था, जो सच्चे सेवक हैं, जिसे वास्तविक सेवक कहा जा सकता है, वो मर्यादा से चलता है. उस मर्यादा का पालन करके जो चलता है, वो कर्म करता है लेकिन कर्मों में लिपटा नहीं होता. उसमें अहंकार नहीं आता कि मैंने किया. वही सेवक कहने का अधिकारी रहता है. एक सच्चा 'सेवक' गरिमा बनाए रखता है. वो काम करते समय मर्यादा का पालन करता है. उसे यह कहने का अहंकार नहीं है कि 'मैंने यह काम किया'. सिर्फ उस व्यक्ति को सच्चा 'सेवक' कहा जा सकता है.