केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मौजूदगी में जम्मू-कश्मीर में नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक की. अधिकारियों ने बताया कि नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित इस बैठक में सीएम, उपराज्यपाल के अलावा केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया.
बैठक के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'नए क्रिमिनल लॉ को लेकर गृहमंत्री ने रिव्यू बैठक की है. इससे पहले 11 राज्यों की बैठक हो चुकी है. काफी हद तक जम्मू कश्मीर का रोल इसमें ठीक रहा है, कुछ एक जगहों पर कमी है, उसे भी जल्द ठीक कर लिया जाएगा. लॉ एंड आर्डर हमारे पास नहीं है, UT में कानून लागू करना चुनी हुई सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन नए कानून को लेकर हम बतौर सरकार लोगों को जागरूक करने की कोशिश करेंगे.'
सीएम ने जम्मू सिक्योरिटी रिव्यू मीटिंग में शामिल ना होने पर बोलते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर सिक्योरिटी को लेकर संसद में मेरी गृहमंत्री से बातचीत हुई थी. सिक्योरिटी रिव्यू की मीटिंग में अगर उन्हें सीएम को बुलाना ठीक नहीं लगा तो ये उनकी मर्ज़ी है.
'ये केंद्र का मामला है'
इसके इतर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उन्हें (राहुल गांधी) असहमति जताने का हक है. ये कहां कहा गया है कि जो सरकार करती है, उससे विपक्ष सहमत हो... उनको असहमति जताने का हक है. जहां तक सुनवाई की बात है तो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और फैसला आ जाएगा. इसमें मैं क्या कह सकता हूं, मै तो एक राज्य का मुख्यमंत्री हूं. ये मरकज का मामला है. अब्दुल्ला ने बैठक में भाग लिया. हालांकि, कानून और व्यवस्था को सीधे केंद्र सरकार संभालती है.
बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने क्रमशः औपनिवेशिक युग के इंडियन पीनल कोड (Indian Penal Code), द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (the Code of Criminal Procedure ) एंड 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की जगह ली. नए कानून पिछले साल 1 जुलाई से लागू हुए हैं.
जम्मू-कश्मीर से पहले गृह मंत्री ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों में नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा को लेकर बैठक कर चुके हैं.