पश्चिम बंगाल के बीजेपी अध्यक्ष सुकांता मजूमदार को साउथ 24 परगना जिले में शनिवार शाम को लोगों ने काले झंडे दिखाए और उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया गया. इसको लेकर बीजेपी की ओर से दावा किया गया है कि वे टीएमसी के समर्थक थे. वहीं टीएमसी की ओर से इन दावों को खारिज कर दिया गया.
टीएमसी ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बंगाल बीजेपी अध्यक्ष को उन लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, जो उनकी बांटने वाली राजनीति से खुश नहीं हैं. बालुरघाट से बीजेपी सांसद मजूमदार जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद कोलकाता लौट रहे थे, जब आंदोलनकारियों ने काले झंडे लेकर जॉयनगर इलाके में उनका रास्ता रोक दिया और भाजपा के खिलाफ नारे लगाए.
बंगाल बीजेपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया की टीएमसी कार्यकर्ताओं ने मुझ पर हमला करने और मेरी कार तोड़ने की कोशिश की. शुक्र है कि सुरक्षाकर्मी मेरे साथ थे. हमलावर टीएमसी के झंडे लेकर आए थे. क्या टीएमसी दूसरों को झंडे दे रही है? मजूमदार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र नहीं है. हम सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.
मजूमदार ने कहा कि वे यह सोचकर मुझे मारने आए थे कि अगर मैं मारा गया तो पश्चिम बंगाल में बीजेपी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा, लेकिन बीजेपी में हजारों सुकांत मजूमदार हैं और मुझे खत्म करके बीजेपी को खत्म करना संभव नहीं है. एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि मजूमदार की कार वहां ज्यादा देर तक नहीं फंसी थी क्योंकि पुलिसकर्मी स्थानीय लोगों के साथ उनकी कार को सुरक्षित रास्ता दिलाने के लिए आगे आए थे. अधिकारी ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में थी. बीजेपी सांसद के काफिले के आगे पुलिस वाहन और कुछ स्थानीय लोगों ने सुनिश्चित किया कि उन्हें सुरक्षित रास्ता दिया जाए.
मजूमदार ने ममता से पूछा- कब होगी कार्रवाई?
घटना का एक कथित वीडियो ट्वीट करते हुए मजूमदार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पूछा कि क्या वह "गुंडों" को गिरफ्तार करने के लिए कोई कदम उठाएंगी. उन्होंने लिखा, "क्या आप अपनी पार्टी के उन गुंडों को गिरफ्तार करने की हिम्मत करेंगीं जिन्होंने मेरे काफिले पर हमला किया या फिर पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए इस्तीफा दे दीजिए."
टीएमसी ने आरोपों को किया खारिज
बीजेपी की ओर से लगाए गए आरोपों पर टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल नहीं थे. ये बीजेपी की विभाजनकारी और बंगाल विरोधी राजनीति के खिलाफ एक सार्वजनिक विरोध था. टीएमसी प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी नेता केंद्र सरकार से ग्रामीण परियोजनाओं के लिए धन जारी नहीं करने के लिए सार्वजनिक बयान दे रहे हैं. वे गांवों का दौरा कर रहे हैं और विभाजन के बीज बोने की कोशिश कर रहे हैं. आम लोग उनकी राजनीति के ब्रांड से नाराज हैं. घोष ने कहा कि हम इस तरह के विरोध का समर्थन करें.