भाजपा का साथ छोड़कर टीएमसी में शामिल हुए बाबुल सुप्रियो ने पहले ही अटैक में 'कमल' को नुकसान पहुंचा दिया है. पश्चिम बंगाल की बालीगंज विधानसभा सीट पर 12 अप्रैल को हुए उप चुनाव का रिजल्ट 16 अप्रैल को आया जिसमें बाबुल सुप्रियो ने जीत दर्ज की. उन्हें 51, 199 वोट मिले. वहीं पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में नंबर दो पर रहने वाली भाजपा यहां उप चुनाव में तीसरे नंबर पर पहुंच गई. दूसरे नंबर पर सीपीआई-एम रही. वहीं भाजपा की केया घोष यहां तीसरे स्थान पर रहीं, जिन्हें 13,220 वोट मिले.
बालीगंज से उप चुनाव जीतने के बाद बाबुल सुप्रियो ने ट्वीट कर कहा था कि मैं बीजेपी के उन नेताओं का चेहरा देखना चाहता हूं, जिन्होंने कभी भी आसनसोल के लिए मेरी मेहनत को स्वीकार नहीं किया. उन्होंने यह कहकर मेरा मज़ाक उड़ाया कि यहां से एक माचिस की तीली भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत सकती है. शुक्रिया आसनसोल आपने उन्हें एक करारा जवाब दिया है.
विधानसभा चुनाव में हार के बाद बाबुल ने छोड़ी थी भाजपा
पश्चिम बंगाल में 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद बाबुल सुप्रियो ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़ दी थी. इसके कुछ दिनों के बाद वे ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए. बंगाल विधानसभा चुनाव में हार मिलने के बाद उन्हें आसनसोल लोकसभा सीट से इस्तीफा भी देना पड़ा था. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे.
294 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी सीटों में 25 गुना बढ़ोतरी दर्ज की थी. राज्य में करीब 200 सीटें ऐसी रही थी जहां भाजपा के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रही थी. चुनाव में 76 सीटों पर जीत दर्ज कर राज्य में प्रमुख विपक्षी दल बन गई थी. भाजपा को 38.09 फीसदी मत मिले थे. 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 40.7 फीसदी मत हासिल कर 18 सीट जीती थीं. वहीं, 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 10 फीसदी से कुछ ज्यादा मतों के साथ केवल तीन सीटें हासिल हुई थीं.
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद की थी संन्यास की घोषणा
पश्चिम बंगाल की टॉलीगंज विधानसभा सीट से मिली हार के बाद जुलाई में बाबुल सुप्रियो ने राजनीति से सन्यास की घोषणा की थी. इसके बाद उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया था. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिख कहा है कि वे राजनीति में सिर्फ समाज सेवा के लिए आए थे. अब उन्होंने अपनी राह बदलने का फैसला लिया है. हालांकि कुछ दिनों बाद उन्होंने टीएमसी जॉइन कर ली थी.
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