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इधर ममता-उधर मोदी...चुनौतियों पर फिर भारी पड़ेगी अलपन की दिलेरी से भरी चुप्पी?

बंगाल के टॉप ब्यूरोक्रेट अलपन जब रिटायरमेंट के करीब आ गए तो पहली बार अपनी पत्नी को लेक नबन्ना पहुंचे. नबन्ना कोलकाता में स्थित पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय है. नबन्ना के 12वें फ्लोर के एक कमरे की खिड़की से उन्होंने गंगा की धारा को देखा. शांत...एकचित...

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 पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पहली बार पत्नी को लेकर नबन्ना पहुंचे
  • निजी जीवन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं अलपन
  • मोदी-ममता की खींचतान में फंसे अलपन

पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय की नौकरी इन दिनों बंगाल और केंद्र के बीच फिर से रस्साकशी की वजह बन गई है. केंद्र ने उन्हें दिल्ली तलब किया है, लेकिन सीएम ममता बनर्जी ने उन्हें रिलीव नहीं किया है. केंद्र और राज्य की खींचतान से अंतर्मुखी स्वभाव के इस नौकरशाह इन दिनों उदास और हताश हैं. उनके परिवार में कुछ लोग कोविड से पीड़ित हैं तो कुछ की इसी बीमारी से मौत हो चुकी है. अलपन बंदोपाध्याय एक चुप्पी साधे शांति से निजी जीवन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. 

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वे इन चुनौतियों से जूझ ही रहे थे कि इस बीच केंद्र बनाम राज्य की खींचतान से उनकी प्रोफेशनल जिंदगी भी तनावपू्र्ण हो गई है. माना जा रहा है केंद्र का आदेश नहीं मानने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है. ये उनके शानदार रहे करियर के लिए गंभीर सवाल है.

अलपन की जिंदगी के पन्नों को उलटने से पहले कोलकाता और दिल्ली के इस टकराव को समझ लें. दरअसल पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद 31 मई को रिटायर होने वाले थे. लेकिन ममता की अपील पर केंद्र की मंजूरी के बाद उन्हें तीन महीने का एक्सटेंशन मिल गया. इस बीच कोलकाता में यास तूफान का जायजा लेने पहुंचे पीएम मोदी द्वारा सीएम ममता के इंतजार की खबरें आईं. 

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इसके बाद इसका फॉलआउट अलपन बंदोपाध्याय पर पड़ा. उन्हें 2 महीने का सेवा विस्तार दिए जाने के सिर्फ चार दिन बाद ही केंद्र सरकार ने उनकी सेवाएं मांगते हुए उन्हें दिल्ली बुला लिया. 31 मई की सुबह 10 बजे दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में रिपोर्ट करने को कहा गया था. लेकिन ममता ने उन्हें रिलीव नहीं किया. 

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इंडिया टुडे के सीन‍ियर जर्नल‍िस्ट जयंत घोषाल अलपन के सहपाठी और करीबी रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस संकट की घड़ी में उनकी पत्नी उनके लिए ताकत बनकर उभरी हैं. 
 
जयंत घोषाल ने अलपन की जिंदगी को कुछ यूं याद किया है.

 रविवार को बंगाल का ये टॉप ब्यूरोक्रेट जब रिटायरमेंट के करीब आ गए तो पहली बार अपनी पत्नी को लेक नबन्ना पहुंचे. नबन्ना कोलकाता में स्थित पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय है. नबन्ना के 12वें फ्लोर के एक कमरे की खिड़की से उन्होंने गंगा की धारा को देखा. शांत...एकचित...

अलपन और उनकी पत्नी सोनाली चक्रवर्ती कोलकाता विश्वविद्यालय के छात्र/छात्रा थे. एक ही क्लास था, एक ही विषय भी. राजनीतिक विज्ञान. इन दोनों की मुलाकात राखल दा की कैंटीन में हुई थी, आज तक उनकी पत्नी उनके लिए भावनात्मक सहारे का केंद्र बिन्दु बनी हैं.  अलपन के पिता नहीं रहे, मां हैं, परिवार में बड़ी बहन का बेटा कोविड से लड़ रहा है. हाल ही में उनके भाई कोविड की चपेट में आकर जान गंवा बैठे. 

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जयंत घोषाल कहते हैं कि वे चुप्पी के साथ दिलेरी से इसका मुकाबला कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैंने पूछा इन घटनाओं पर आपका क्या एहसास है? वो कहते हैं ...हम अपने एहसास बता या लिख नहीं सकते हैं...हम कहते हैं...'इट इज फेल्ट.' 

बता दें कि इस विवाद पर अलपन ने अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन आज वो उदास हैं. उनके पूरे करियर में कोई दाग नहीं है. जयंत ने कहा कि अब अगर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है-जैसे नो पेंशन, रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधाओं पर रोक- तो ये उनके सर्विस रिकॉर्ड के लिए दुखद होगा. 

 

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