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बंगाल: चुनाव के बाद कोरोना केस तेजी से बढ़े, जगह-जगह बदइंतजामी की खुल रही पोल

आसनसोल के सबसे बड़े प्राइवेट अस्पताल एच एल जी में हालात काफी खराब हैं और वहां पर तमाम व्यवस्था चरमरा गई हैं. पिछले कुछ दिनों में संक्रमण बढ़ा है इसलिए अस्पताल में बेड कम पड़ने लगे हैं.

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अस्पतालों में बेड पड़ रहे कम, लगाए जा रहे नोटिस
अस्पतालों में बेड पड़ रहे कम, लगाए जा रहे नोटिस
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बंगाल में कोरोना से खस्ता हालत
  • सीएम ममता बनर्जी ने जताई चिंता
  • राज्य में वैक्सीन की भारी कमी

देश के सभी विशेषज्ञ ये लगातार चेतावनी दे रहे थे कि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद कोविड-19 की स्थिति विस्फोटक हो जाएगी. पश्चिम बंगाल में हालात को लेकर सब ने चिंता और चेतावनी जाहिर की थी. आठ चरणों वाला पश्चिम बंगाल का लंबा विधानसभा चुनाव खत्म हो चुका है और ममता बनर्जी तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुकी हैं. चुनाव खत्म होते ही कोरोना वायरस संक्रमण के रुझान आने लगे हैं. हर रोज संक्रमित मरीजों के आंकड़े बढ़ रहे हैं तो मरने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. 

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बंगाल में कोरोना से खस्ता हालत

आसनसोल के सबसे बड़े प्राइवेट अस्पताल एच एल जी में हालात काफी खराब हैं और वहां पर तमाम व्यवस्था चरमरा गई हैं. पिछले कुछ दिनों में संक्रमण बढ़ा है इसलिए अस्पताल में बेड कम पड़ने लगे हैं. अस्पताल ने सफेद कागज पर नोटिस चिपका दिया है कि आइसोलेशन बेड उपलब्ध नहीं हैं. इतना ही नहीं इस महामारी से लड़ने के लिए सबसे कारगर हथियार टीकाकरण भी रोक दिया गया है.

आजतक के कैमरे के सामने ऐसा ही एक परिवार दिखाई पड़ा जो अपने परिजन को लेकर अस्पताल पहुंचा था. लेकिन आईसीयू बेड खाली ना होने के चलते उसे निराश होकर वापस जाना पड़ा. आजतक से बातचीत करते हुए परिवार ने बताया कि हमारा मरीज संक्रमित है और हम चार-पांच अस्पतालों का चक्कर लगा कर आ चुके हैं लेकिन कहीं बेड नहीं मिला. इस अस्पताल में भी कह रहे हैं कि बेड नहीं है, इसलिए हम इनको लेकर जा रहे हैं.

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इस खस्ता हालात पर जब अस्पताल के प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने एक रटा रटाया जवाब दे दिया. अस्पताल के प्रबंधक सुब्रतो चटर्जी का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से मरीजों की संख्या इस कदर बढ़ी है कि हमारी ऑक्सीजन की खपत भी 3 गुना बढ़ गई है. उनकी मानें तो बेड की संख्या बढ़ाई है लेकिन मरीजों के आगे अब वह कम पड़ने लगे हैं. इसी वजह से मरीजों को लौटाना पड़ रहा है. औसतन 7 से 8 मरीज वापस लौटा दिए जाते हैं क्योंकि अस्पताल भरे हुए हैं.

सीएम ममता बनर्जी ने जताई चिंता

ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आवाज उठाई है. लेकिन उससे भी बड़ी चिंता इन छोटे शहरों में टीकाकरण की सुस्त रफ्तार को लेकर है. इस निजी अस्पताल में पिछले 7 दिनों से टीकाकरण बंद है क्योंकि वैक्सीन की सप्लाई नहीं हो रही है. ऐसे में कोरोना विस्फोट के बीच स्वास्थ्य सेवाओं का चरमराना भी बड़ी चुनौती बन गया है. पिछले सप्ताह से हर रोज ईएसआईसी अस्पताल में टीका लगवाने के लिए चक्कर लगा रहे ए चैटर्जी का कहना है, "पिछले सोमवार से लेकर शुक्रवार तक मैंने चक्कर लगाया और आज भी जब यहां आया हूं तो बोला गया है कि वैक्सीन नहीं है. मेरा पहला डोज हो गया है और मुझे दूसरा टीका लेना है लेकिन वैक्सीनेशन नहीं हो पा रहा है.

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वैक्सीन की भी भारी कमी

आसनसोल शहर से आगे अगर रानीगंज जैसे सुदूर इलाकों में जाते हैं तो वहां भी टीकाकरण की रफ्तार सुस्त पड़ी है. सरकारी टीका केंद्र पर दूसरे चरण का टीका तो लग रहा है लेकिन पहली डोज मौजूद नहीं है. रानीगंज के स्वास्थ्य केंद्र के बाहर वैक्सीन की अनुपलब्धता के नोटिस भी लगा दिए गए हैं. ऐसे में बंगाल में सब जगह कमजोर व्यवस्था देखने को मिल रही है और कोरोना के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. अब तो राज्य में कोरोना का ट्रिपल म्यूटेंट भी पाया गया है, इस वजह से भी प्रशासन की चिंता काफी ज्यादा बढ़ गई है और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने पर जोर दिया जा रहा है.

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