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बंगाल: दुर्गा पूजा के लिए ममता सरकार की सौगात, क्लबों को मिलने वाले अनुदान में 15000 की बढ़ोतरी

ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र से फंड न मिलने के बावजूद उनकी सरकार ने हमेशा जन कल्याण पर खर्च किया है. 43 हजार से ज्यादा दुर्गा पूजा क्लबों को दिए जाने वाले मानदेय से राज्य के खजाने पर 340 करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ पड़ेगा.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मंगलवार को दुर्गा पूजा क्लबों के मानदेय में बढ़ोतरी का ऐलान किया. उन्होंने इस साल के लिए 15 हजार रुपये की बढ़ोतरी का ऐलान किया है. यानी अब 70 हजार के बजाय 85 हजार रुपए का फंड दिया जाएगा. ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार के पास 1 लाख 71 हजार रुपये लंबित हैं और केंद्र ने अभी तक बंगाल को उसका बकाया नहीं दिया है.

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मीटिंग के दौरान बनर्जी ने कहा, "हमारी जैसी गरीब सरकार और क्या कर सकती है? हमने 25 हजार रुपये के दान से शुरुआत की और धीरे-धीरे इसे बढ़ाया." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र से बकाया भुगतान न होने की वजह से संकट के बावजूद राज्य ने फंड में बढ़ोतरी की है.

उन्होंने कहा, "पिछले साल बिजली खपत पर 66 फीसदी की छूट दी गई थी. इस साल मैंने CESC और बिजली मंत्री से इसे बढ़ाकर 75 फीसदी करने के लिए बात की है."

'हमेशा जन कल्याण पर खर्च...'

ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र से फंड न मिलने के बावजूद उनकी सरकार ने हमेशा जन कल्याण पर खर्च किया है. 43 हजार से ज्यादा दुर्गा पूजा क्लबों को दिए जाने वाले मानदेय से राज्य के खजाने पर 340 करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ पड़ेगा.

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बीजेपी ने लगाया आरोप

भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया कि यह क्लबों को खुश करने और चुनावों के लिए उनका इस्तेमाल करने की चाल है. पीएम मोदी के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और बालुरघाट से बीजेपी विधायक अशोक लाहिड़ी ने कहा कि ममता बनर्जी दुर्गा पूजा के नाम पर क्लबों को पैसे देती हैं, जिससे चुनावों के दौरान उनका अप्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल किया जा सके.

अशोक लाहिड़ी ने इंडियन टुडे से कहा, “ममता बनर्जी मुझे प्रोतुल चन्द्र सरकार (PC Sorcar) के जादू की याद दिलाती हैं. कभी-कभी वह कहती हैं कि राज्य को केंद्र से लाखों करोड़ रुपये मिलने बाकी हैं. कभी-कभी वह क्लबों के मानदेय में बढ़ोतरी करती हैं, कभी-कभी वह कहती हैं कि राज्य के पास कोई फंड नहीं है, वह क्लबों को पैसे देती हैं. सभी पार्टियां राजनीति के बारे में सोचती हैं, लेकिन टीएमसी और ममता बनर्जी हमेशा राजनीति के बारे में सोचती हैं. मैं दुर्गा पूजा का समर्थन करता हूं और पूजा करता हूं, लेकिन ममता बनर्जी यह फंड क्लबों को देती हैं, जिससे ये क्लब उन्हें चुनाव जीतने में मदद कर सकें.” 

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क्या ममता को चुनाव में मिलेगा फायदा?

पश्चिम बंगाल में 43 हजार क्लब हैं, जिनमें से 2794 क्लब कोलकाता में हैं. तो क्या यह इन क्लबों को चुनाव के लिए लुभाने के लिए किया गया है? ज्यादातर क्लब इस तर्क को खारिज करते हैं और मानते हैं कि मानदेय में बढ़ोतरी से उन्हें किसी तरह से मदद मिलेगी और इसका चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है.

इंडिया टुडे से बात करते हुए कोलकाता में बड़े बजट वाली दुर्गा पूजा समिति ताला प्रत्यय (Dhrubojyoti Bose of Tala Pratyay) के ध्रुभज्योति बोस ने कहा कि भले ही देश में सब कुछ राजनीति से जुड़ा हो, लेकिन सरकार ने दुर्गा पूजा के जरिए एक बहुत बड़ा उद्योग खड़ा कर दिया है, जिसकी कीमत 80 हजार करोड़ रुपये है.

बोस ने कहा कि फंड जारी करने के पीछे की भावना को समझना बहुत जरूरी है. 15 हजार के फंड में बढ़ोतरी कई लोगों की मदद करेगी, लेकिन छोटे और मध्यम स्तर के पूजा के बारे में सोचिए. एक छोटे स्तर के पूजा का बजट लगभग 4 से 5 लाख होता है, इसलिए जब 1 लाख का भुगतान किया जा रहा है, तो यह बहुत बड़ी राहत है. ममता बनर्जी इस इंडस्ट्री के अर्थशास्त्र को समझती हैं. यह 80 हजार करोड़ रुपये का उद्योग है. सीएम का मानना ​​है कि यह बहुत बड़ी बात है. हमारे देश में सब कुछ राजनीति से जुड़ा हुआ है, लेकिन देखिए कि यह अर्थव्यवस्था की कैसे मदद कर रहा है."

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बीजेपी के आरोपों पर TMC का जवाब

फोरम फॉर दुर्गोत्सव (Forum for Durgoutsav) के महासचिव शाश्वत बसु ने कहा कि यूनेस्को द्वारा हेरिटेज टैग दिए जाने के बाद हर पूजा समिति ने अपना बजट बढ़ा दिया है. बिजली शुल्क में छूट देने की सरकार की पहल से कई लोगों को मदद मिली है, भले ही उनके पास बहुत बड़ा बजट हो.

टीएमसी सरकार ने बीजेपी के उन सभी दावों और आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि चुनाव के वक्त पार्टी की मदद के लिए क्लबों को फंड दिया जाता है. बंगाल के सीनियर मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि ये दावे अनुचित हैं और जिन क्लबों को फंड मिलता है, उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है.

चट्टोपाध्याय ने कहा, "पिछले साल बाजार ने 85 हजार करोड़ रुपये निकाले, इसका मतलब है कि इस दौरान सबसे गरीब व्यक्ति ने पैसा कमाया. इस प्रोत्साहन का उपयोग थीम आधारित पूजाओं को और ज्यादा लाने के लिए किया जा रहा है और बदले में सभी प्रकार के कारीगरों की मदद की जा रही है." जब उनसे पूछा गया कि क्या यह क्लबों की मदद करने के लिए भी किया जाता है, जो बदले में टीएमसी को चुनाव जीतने में मदद करते हैं? चट्टोपाध्याय ने कहा कि ये क्लब राजनीति में शामिल नहीं होते हैं.

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सवाल यह उठता है कि ऐसे वक्त में जब मुख्यमंत्री बकाया भुगतान न करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं, क्या क्लबों को फंड दिए जाने से राज्य के खजाने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा? उन्होंने कहा कि दोनों का आपस में कोई संबंध नहीं है.

सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने इंडिया टुडे से कहा, "ये दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं. केंद्र राज्य को भुगतान नहीं कर रहा है. राज्य कैसे चलेगा, यह सीएम पर निर्भर करता है लेकिन यह केंद्र की जिम्मेदारी है, जहां संघवाद मूल में है कि सीएम की मांग काफी उचित है और केंद्र को हमें पैसा देना होगा. अगर आप अधिनियम को देखें, तो मुनरेगा के लिए 10 दिनों में भुगतान किया जाना चाहिए या ब्याज के साथ भुगतान करना होगा. सीएम उस पैसे का भुगतान कर रहे हैं." 

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