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कोलकाता कांड में अब ED की एंट्री, संदीप घोष से जुड़े तीन ठिकानों पर 100 मेंबर्स की टीम मार रही छापे

कोलकाता रेप-मर्डर केस से जुड़े आरजी कर हॉस्पिटल मामले में ईडी अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ईडी की टीमें कम से कम 3 जगहों पर छापेमारी कर रही हैं.

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पश्चिम बंगाल में ईडी की रेड
पश्चिम बंगाल में ईडी की रेड

कोलकाता रेप-मर्डर केस से जुड़े आरजी कर हॉस्पिटल मामले में ईडी अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ईडी की टीमें कम से कम 3 जगहों पर छापेमारी कर रही हैं. ईडी की टीम हावड़ा, सोनारपुर और हुगली पहुंच चुकी है. हुगली में एक जगह आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी रिश्तेदारों का घर भी शामिल है. कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी मामले में सीबीआई जांच कर रही है. जांच के दायरे में आए पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष सीबीआई की हिरासत में है. सीबीआई ने कोर्ट में 10 दिन की हिरासत की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने 8 दिन के हिरासत की मंजूरी दी. सीबीआई के बाद अब इस मामले में ईडी की भी एंट्री हो गई है.

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क्या है आरजी कर मेडिकल कॉलेज का मामला?

9 अगस्त को तड़के कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ रेप करने के बाद हत्या कर दी गई थी. इस घटना को अंजाम देने के बाद शराबी आरोपी संजय रॉय उसी बिल्डिंग में सो गया था, जिसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है. 

वारदात के बाद, संजय रॉय की गिरफ्तारी और उससे हुई पूछताछ में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं. वारदात के बाद संजय रॉय ने जो किया, उसने पुलिस को कई सवालों में उलझा दिया है, पूछताछ के बाद सामने आई जानकारी के मुताबिक, वारदात के बाद संजय रॉय सीधे फोर्थ बटालियन गया और वहां जाकर सो गया. 10 अगस्त की सुबह जब वह उठा, तो उसने फिर से शराब पी और वापस सो गया. पुलिस को शक होने पर उन्होंने अस्पताल के सेमिनार हॉल के आसपास के तमाम सीसीटीवी फुटेज खंगाले. इन फुटेज में संजय रॉय की गतिविधियों के साथ-साथ अन्य लोगों की भी पहचान की गई.

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यह भी पढ़ें: 8 दिन की CBI कस्टडी में आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, कोर्ट ने दी मंजूरी

पीड़िता के पिता ने पुलिस पर लगाया आरोप

पीड़िता के पिता का कहना है कि कोलकाता पुलिस ने जल्दबाजी में शव का अंतिम संस्कार कराकर मामले को दबाने की कोशिश की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस मामले के सामने आने के बाद हमें रिश्वत देने की कोशिश की थी.

उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस शुरुआत से ही इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी. हमें बेटी का शव तक देखने नहीं दिया गया और घंटों पुलिस स्टेशन में इंतजार कराया गया. पोस्टमार्टम के बाद हमें शव सौंपा गया. इसी बीच एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने हमें रिश्वत देने की कोशिश की लेकिन हमने इससे इनकार कर दिया. 

पीड़िता के परिजनों का कहना है कि अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए वे जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन में शामिल हुए. बता दें कि 10 अगस्त से ही पूरे बंगाल में प्रदर्शन हो रहे हैं. अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोग पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. बता दें कि मामले के तूल पकड़ने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. 

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ममता सरकार पर केंद्र का बड़ा आरोप

केंद्र सरकार का आरोप है कि महिला सुरक्षाकर्मियों को उचित आवास नहीं मिल पा रहा है सुरक्षा उपकरण रखने के लिए सही जगह नहीं मिल पा रही है. केंद्र का कहना है कि पश्चिम बंगाल राज्य की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सीआईएसएफ को सुविधाएं न देना बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है.

ममता सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि वर्तमान जैसी तनावपूर्ण स्थिति में राज्य सरकार से इस तरह का असहयोग अपेक्षित नहीं है. डॉक्टरों और विशेष रूप से महिला डॉक्टरों की सुरक्षा पश्चिम बंगाल राज्य के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.

सरकार के मुताबिक, 'बार-बार अनुरोध के बावजूद पश्चिम बंगाल राज्य की निष्क्रियता एक प्रणालीगत अस्वस्थता का लक्षण है, जिसमें कोर्ट के आदेशों के तहत काम करने वाली केंद्रीय एजेंसियों के साथ इस तरह का असहयोग करना सामान्य बात नहीं है. यह माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन है.'

जानबूझकर बाधा पैदा कर रही है ममता सरकार- केंद्र

सरकार ने कहा है कि माननीय न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर गैर-अनुपालन करना राज्य सरकार का यह कदम न केवल अवमाननापूर्ण है, बल्कि यह उन सभी संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के भी खिलाफ है, जिनका राज्य को पालन करना चाहिए. केंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा जानबूझकर बाधाएं उत्पन्न कर रही है.

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केंद्र का आरोप है कि राज्य सरकार जानबूझकर समस्या का समाधान खोजने की दिशा में प्रयास नहीं कर रही है और इसके बजाय, अपने ही निवासियों के साथ अन्याय कर रही है.

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